जानें टेस्ट मैच के लिए पिंक बॉल का रंग पिंक ही क्यों चुना गया है?

Nov 22, 2019, 15:33 IST

भारत और बांग्लादेश के बीच कोलकाता में डे-नाइट टेस्ट मैच 22 नवम्बर 2019 से शुरू हो गया है. यह भारत के लिए पहला डे-नाइट टेस्ट मैच होगा. इस मैच की खास बात यह है कि यह पिंक बॉल से खेला जायेगा. आइये इस लेख में जानते हैं कि आखिर इस बॉल का रंग पिंक ही क्यों चुना गया है?

Different balls used in cricket
Different balls used in cricket

जो लोग सोचते हैं कि क्रिकेट के खेल में विज्ञान का कोई महत्व नहीं हैं उन्हें अपनी सोच को बदलने की जरूरत है. क्योंकि क्रिकेट के खेल में विज्ञान का प्रयोग लगभग हर क्षेत्र में होता है चाहे वह फील्ड हो, उस पर घास हो, नमी हो, बैट हो, बैट की लम्बाई चौड़ाई हो, बॉल या उसका रंग हो.

क्रिकेट में खिलाडियों की ड्रेस भी वैज्ञानिक सोच के आधार पर बनाई जाती है. वनडे क्रिकेट में खिलाड़ी रंगीन कपडे पहनते हैं इसलिए इसमें सफ़ेद बॉल का प्रयोग किया जाता है ताकि बॉल ठीक से दिखायी दे. इसी प्रकार, टेस्ट मैच में सफ़ेद कपडे पहने जाते हैं ताकि दिन में कम गर्मी लगे और टेस्ट मैच में रंगीन बॉल का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि बॉल ठीक से दिखाई दे.

टेस्ट क्रिकेट में बॉल का इस्तेमाल;

टेस्ट मैचों में 3 प्रकार की क्रिकेट गेंदों का उपयोग किया जाता है; इनके नाम हैं; कूकाबुरा, एसजी और ड्यूक.  क्रिकेट में विभिन्न फोर्मट्स में अलग अलग रंगों की बॉल्स का इस्तेमाल किया जाता है. 

अब तक टेस्ट मैच में लाल रंग की बॉल का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन अब इसमें पिंक रंग की बॉल का इस्तेमाल किया जाने लगा है. 

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भारत और बांग्लादेश के बीच खेला जाने वाला टेस्ट मैच डे-नाइट का होगा और पिंक बॉल से खेला जायेगा. भारतीय टीम का यह पहला टेस्ट मैच होगा जो कि पिंक रंग बॉल की मदद से खेला जायेगा. भारत की जमीन पर यह पहला डे-नाइट टेस्ट मैच भी होगा.

आइये इस पिंक बॉल के रंग के प्रयोग के बारे में इस लेख में जानते हैं.

पिंक बॉल; लाल रंग की बॉल से कलर के मामले में इसलिए अलग है क्योंकि पिंक बॉल पर रंग पेंट किया गया गया है जैसा कि कार के ऊपर किया जाता है जबकि लाल रंग की बाल में रंग को लेदर द्वारा सोख लिया जाता है और चमकाने के लिए कुछ अन्य क्रियाएं भी की जातीं हैं.

पिंक बॉल पर रंग की एक्स्ट्रा परत चढ़ाई गयी है इसलिए जब तक यह बॉल नई रहेगी तब तक बहुत अधिक स्विंग करेगी.  

बॉल का रंग पिंक ही क्यों चुना गया है हरा या पीला क्यों नहीं?

पहली पिंक गेंद का निर्माण ऑस्ट्रेलिया की बॉल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी कूकाबूरा ने किया था. शुरुआत में इस बॉल का रंग जल्दी उतर जाता था लेकिन कंपनी ने इस पर काम किया और अब यह रेड बॉल की तरह टिकाऊ हो गया है.

कंपनी ने पिंक बॉल बनाने की शुरुआत में ऑरेंज और पीले रंगों का इस्तेमाल किया था, लेकिन इस रंग की बॉल को कैमरामैन ठीक से देख नहीं पा रहे थे और उन्हें मैच को कवर करने में दिक्कत हो रही थी. 

इसलिए फिर पिंक रंग की बॉल को बनाया गया और इसके ऊपर काले रंग के धागे से सिलाई की गयी थी. हालाँकि धागे को हरा और सफ़ेद भी चुना गया है. टीम इंडिया जिस कंपनी की बनाई पिंक बॉल से खेलेगी उसकी सिलाई काले रंग के धागे से हुई है.

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अतः ऊपर दिए गये विवरण से स्पष्ट बॉल को पिंक रंग में बनाने का मुख्य कारण यह है कि लाल रंग के अलावा अन्य रंगों की बॉल रात में कैमरे में ठीक से दिखाई नहीं देती है जिसकी वजह से मैच कवरेज में दिक्कत और मैच के रोमांच में कमी आती है. 

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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