दुनिया में अब तक का सबसे विशाल, भव्य और ऊंचा मंदिर उत्तरप्रदेश के वृन्दावन में बनाया जा रहा है| भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर का नाम चन्द्रोदय मंदिर है| इस मंदिर की ऊंचाई क़ुतुबमीनार से भी तीन गुनी अधिक होगी| इतना ही नहीं, इस मंदिर की नींव दुनिया की सबसे ऊंची ईमारत बुर्ज खलीफा से भी तीन गुनी अधिक गहरी होगी|
वृन्दावन चन्द्रोदय मंदिर की ऊंचाई लगभग 700 फुट अथवा 210 मीटर होगी (जो किसी 70 मंजिल ऊंची ईमारत की ऊंचाई के बराबर है)| दिल्ली में स्थित 72.5 मीटर ऊंचे क़ुतुबमीनार से भी इसकी ऊंचाई 3 गुनी अधिक होगी जिसके कारण निर्माण कार्य पूर्ण होने पर यह विश्व का सबसे ऊंचा धर्मालय बन जाएगा|
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इसके गगनचुम्बी शिखर के अलावा इस मंदिर की दूसरी विशेष आकर्षण यह है कि मंदिर परिसर में 26 एकड़ भूभाग पर चारों ओर 12 कृत्रिम वन लगाये जाएंगे| मंदिर के वन क्षेत्र को कुछ वैसा ही बनाने का प्रयास किया जाएगा जैसा विवरण कृष्ण साहित्यों में मिलता है| पूरी तरह से तैयार होने के बाद यह मंदिर कृष्ण भक्तों की वृन्दावन की कल्पना को पूरी तरह से साकार करेगा|
इस मंदिर को बनाने में लगभग 300 करोड़ रूपये से ज्यादा खर्च होंगे|
इस मंदिर की सबसे ऊंची मंजिल का नाम ब्रज मंडल दर्शन रखा गया है| यहां से ब्रज के 76 धार्मिक स्थानों और ताजमहल तक को दूरबीन से देखा जा सकेगा| पूरे मंदिर का भ्रमण करने में श्रद्धालुओं को तीन से चार दिन लगेंगे|
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इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियेस्नेस (इस्कोन), बेंगलुरु के श्रद्धालुओं ने 2006 में इस मंदिर को बनाने की योजना बनाई थी| 8 साल की तैयारियों के बाद 2014 में इस मंदिर की नींव रखी गई|
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16 नवम्बर 2014 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस मंदिर की आधारशिला रखीं थी| यह मंदिर 2022 में बनकर तैयार होगा| वर्तमान में यहां एक हजार मजदूर काम कर रहें हैं, जिनकी संख्या एक साल बाद तीन गुनी हो जाएगी|
इस पूरे मंदिर में 511 पिलर होंगे, जिन पर पूरी बिल्डिंग का वजन 5 लाख टन होगा, जबकि ये पिलर नौ लाख टन वजन सह सकते हैं| मंदिर के लिए हाई स्पीड लिफ्ट भी तैयार की जा रही है| इस लिफ्ट की सबसे खास बात यह है कि यदि किसी तूफान की वजह से मंदिर एक मीटर झुक भी गई तो भी लिफ्ट सीधी चलती रहेगी और इसकी गति और दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होगा|
परंपरागत द्रविड़ और नागर शैली में बनाया जा रहा यह मंदिर, पिछले 200 सालों में अब तक का सबसे मॉडर्न मंदिर होगा, जिसमे 4डी तकनीक द्वारा देवलोक और देवलीलाओं के दर्शन भी किये जा सकेंगे| इसके अलावा इसमें श्रीकृष्ण की जीवन लीलाओं को जानने के लिए लाइब्रेरी जैसे अन्य माध्यम भी होंगे|
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