बाघ: भारत का राष्ट्रीय पशु

शालीनता, दृढ़ता, फुर्ती और अपार शक्ति के कारण 'रॉयल बंगाल टाइगर' को भारत का राष्ट्रीय पशु माना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम 'पैंथेरा टिगरिस -लिन्नायस' है. बाघ की आठ प्रजातियों में से भारत में पायी जाने वाली बाघ प्रजाति को 'रॉयल बंगाल टाइगर'  के नाम से जाना जाता है. बाघ को 1973 में भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था. वर्ष 2018 में भारत में बाघों की कुल संख्या बढ़कर 2967 हो गई है.

Nov 18, 2019, 12:18 IST
Bagh:The National Animal of India
Bagh:The National Animal of India

भारत में बाघों की घटती संख्या को देखते हुए वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था. इस कार्यक्रम के शुरू होने के बाद से भारत में टाइगर्स की संख्या में वृद्धि होना शुरू हो गयी थी.

वर्ष 2006 में देश में टाइगर्स की कुल संख्या 1411 थी जो कि 2018 में बढ़कर 2967 हो गयी थी. वर्ष 2018 में सबसे अधिक टाइगर्स की संख्या 526 हो गयी है जबकि कर्नाटक में यह संख्या 524 है और तीसरे पर उत्तराखंड है जहां पर कुल 442 बाघ देखे गए हैं.

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बाघ से संबन्धित तथ्य :

अप्रैल 1973 में ‘बाघ’ को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था और बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 1973 में ही 'बाघ परियोजना'  को प्रारम्भ किया गया था |

Image courtesy:hindustantimes

जीव वैज्ञानिक वर्गीकरण की दृष्टि से बाघ ‘पैंथेरा’ वंश और ‘टिगरिस’ प्रजाति का जीव है, जिसका वैज्ञानिक नाम 'पैंथेरा टिगरिस' है.

बाघ भारत के उत्तर-पश्चिम भाग को छोड़कर बाकी सारे देश में पाया जाता है.

सामान्य रूप से बाघ की रॉयल बंगाल, इंडो-चीन, सुमात्रा, आमूर या साइबेरियाई, दक्षिणी चीनी, कैस्पियन, जावा और बाली नाम की आठ प्रजातियाँ पायी जाती हैं.

नर बाघ की तुलना में मादा बाघ छोटा होता है .
नर बाघ की लंबाई लगभग 2.2 मीटर, ऊँचाई लगभग 1 मीटर, , पूंछ की लंबाई लगभग 1 मीटर और कुल भार लगभग 160-230 किग्रा. के बीच पाया जाता है .

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स्थान और प्रजाति के अनुसार बाघों के आकार, रंग एवं धारीदार चिह्नों में भी बदलाव हो जाता है, जैसे-उत्तर के मुक़ाबले दक्षिण के बाघ छोटे और ज़्यादा भड़कीले रंग के होते हैं.

जंगल के खत्म होते जाने और अवैध शिकार पर अंकुश न लग पाने से बाघों की संख्या लगातार कम होती जा रही है और यह विलुप्ति के कगार पर पहुँच गया है।

हर बाघ के शरीर पर 100 से भी ज्यादा धारीदार पट्टियाँ पायी जाती हैं, लेकिन किन्हीं भी दो बाघों की धारीदार पट्टियाँ एक जैसी नहीं होती हैं .

भारत व बांग्लादेश के सुंदरबन में पाये जाने वाले बाघ मैंग्रोव वनों में रहने वाले विश्व के एकमात्र बाघ हैं .

कैट फैमिली के अन्य जानवरों के समान ही बाघ भी पानी में खेलने और तैरने का शौकीन होता है | बाघ मछलियों के शिकार के लिए कई किमी. तक तैर सकते हैं .


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सफ़ेद बाघ, बाघों की कोई अलग प्रजाति नहीं है बल्कि सामान्य बाघ ही हैं लेकिन उनकी त्वचा पर ‘पिगमेंटरी कोशिकाओं’ के कम पाये जाने के कारण त्वचा का रंग सफ़ेद हो जाता है .

एक वयस्क बाघ छह मीटर से भी अधिक दूरी तक छलांग लगा सकता है और पाँच मीटर की ऊँचाई तक उछल सकता है.

बाघ की टांगें घोड़े के समान मजबूत होती हैं .

ऐसा देखा गया है कि आधे भी अधिक बाघ वयस्क होने तक मर जाते हैं.

नवजात बाघ अपने जन्म से एक सप्ताह तक कुछ भी नहीं देख पाता है.

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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