मध्य पाषाणकाल की प्रमुख विशेषता छोटे नुकीले और तेज धार वाले पत्थर के औजार हैं, जबकि नवपाषाणकाल की प्रमुख विशेषता चिकने पत्थर के उपकरणों का प्रयोग और कृषि की शुरुआत है|
यहाँ हम मध्यपाषाणकालीन एवं नवपाषाणकालीन भारतीय स्थलों की सूची दे रहे हैं जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है|
भारत के मध्यपाषाणकालीन एवं नवपाषाणकालीन स्थलों की सूची
मध्यपाषाणकालीन भारतीय स्थल | |
गौरी गुन्दम | आंध्र प्रदेश |
लंघनाज | गुजरात |
तिलवारा बागौर | राजस्थान |
पाटने हथ्खम्भा | महाराष्ट्र |
दमदमा चोपानीमंडो | उत्तर प्रदेश |
पंचमढ़ी भीमबेटका | मध्य प्रदेश |
संगनाकल्लु | कर्नाटक |
नवपाषाणकालीन भारतीय स्थल | |
बुर्जहोम गुफकराल | कश्मीर |
चोपानी महगड़ा | उत्तर प्रदेश |
चेचर | बिहार |
ब्रम्ह्गीरी टेक्कलकोटा संगनाकल्लु नरसीपुर हल्लूर कुपगल कोदेकल पिक्लिहल |
कर्नाटक |
उतनूर | आंध्र प्रदेश |
पैयम्पल्ली | तमिलनाडु |
मध्य पाषाणकाल, पुरा पाषाणकाल और नवपाषाणकाल के बीच का दौर था जबकि नवपाषाणकाल पाषाण युग का अंतिम चरण था|
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