शाहजहाँ की तरह भारत में एक और शख्स ने खड़ा कर दिया ताजमहल

जैसा कि हम सब जानते हैं कि आज से 350 वर्ष पहले मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी सबसे प्रिय बेगम मुमताज़ के लिए ताज महल बनवाया था। ठीक ऐसे ही 80 वर्षीय सेवानिवृत्त पोस्ट मास्टर फैज़ हसन कादरी अपनी ‘बेगम’ की याद में इस विरासत की प्रतिकृति यानी ‘मिनी ताजमहल’ बना रहे हैं। वह केसर केलन गाँव से सम्बंध रखते हैं जो कि बुलंदशहर जिले, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

Oct 18, 2016, 17:00 IST

जैसा कि हम सब जानते हैं कि आज से 350 वर्ष पहले मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी सबसे प्रिय बेगम मुमताज़ के लिए ताज महल बनवाया था। ठीक ऐसे ही 80 वर्षीय सेवानिवृत्त पोस्ट मास्टर फैज़ हसन कादरी अपनी ‘बेगम’ की याद में इस विरासत की प्रतिकृति यानी ‘मिनी ताजमहल बना रहे हैं। वह केसर केलन गाँव से सम्बंध रखते हैं जो कि बुलंदशहर जिले, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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कादरी की बेगम औरमिनी ताजमहल के निर्माण के सम्बंध में

कादरी ने ताजामुल्ली नामक महिला से 1953 में निकाह किया। वह रिश्ते में उनके मामा की बेटी लगती थी। इन दोनों की कोई संतान नहीं थी। गले का कैंसर होने के कारण ताजामुल्ली का सन 2011 में निधन हो गया। कादरी ने अपनी बेगम को अपनी ही कृषि भूमि में दफना दिया। कादरी ने अपनी बेगम ताजामुल्ली से वायदा किया था कि उसकी मृत्यु के बाद वह उसके लिए एक महान मकबरा बनाएगा। यही कारण है कि कादरी अपनी तमाम आय ‘मिनी ताज महल’बनाने के पीछे खर्च कर रहे हैं। वह इसके जरिये अपनी बेगम के प्रति अपना प्यार व्यक्त करना चाहते हैं।

इतना ही नहीं कादरी ने अपनी जमीन का एक टुकड़ा बेच दिया और बेगम के कुछ आभूषण तक बेच दिये ताकि ‘मिनी ताजमहल’के निर्माण में किसी तरह की अड़चन न आ सके। लेकिन बदकिस्मती से 3 साल से लगातार बनने के बावजूद यह अब तक पूरा नहीं हो सका है। कादरी इसके निर्माण में अब तक तकरीबन 11 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। जबकि 6 से 7 लाख रुपयों की अब भी आवश्यकता है। इसमें अब भी कई किस्म के काम बचे हुए हैं मसलन कुरान शिलालेख और इमारत में संगमरमर लगाना। चूंकि कादरी पोस्ट आफिस के वरिष्ठ क्लर्क के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं इसलिए उन्हें 10,500 रुपये की पेंशन प्रति माह मिलती है। कादरी की यह कमाई कृषि के जरिये हो रही आय से भिन्न है।

क्या आपको कोई अंदाजा है कि गांव और उत्तर प्रदेश के लोगों की इस सम्बंध में क्या प्रतिक्रिया है?


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इस गांव के स्थानीय लोगों ने यह कल्पना तक नहीं की थी कि उनके गांव को एक नई पहचान मिलेगी। लेकिन कादरी के ‘मिनी ताजमहल’ ने ऐसा कर दिखाया। लोग इसे हाईवे से गुजरते हुए अपनी कार में बैठे बैठे आसानी से देख सकते हैं। यहाँ तक सब डिवीज़न मेजिस्ट्रेटे कार्यालय की कार से , स्कूटर से गुजरते हुए इत्यादि भी ‘मिनी ताज’ का लुत्फ उठाते है। वहाँ लोग चाहें तो कुछ देर रुक सकते हैं, ‘मिनी ताज’ को निहार सकते हैं। इससे ‘मिनी ताज’ की प्रसिद्धी में चार चांद लग रहे हैं।

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आइयेमिनी ताज ताजमहलऔरताजमहलदोनों पर एक नजर दौड़ाते हैं। क्या ये अलग हैं या फिर एक जैसे हैं?

मिनी ताज 5000 स्क्वायर फीट की प्लाट पर खड़ा है जबकि ताजमहल 561 फीट पर मौजूद है और इसके चारों दिशाओं में 130 फीट की चार मीनार मौजूद हैं। जहाँ एक ओर ताजमहल के भवन में आठ कोने हैं, वहीं दूसरी ओर मिनी ताज आम कमरों की तरह चार कोनों वाला एक ढांचा है जिसमें कादरी की बेगम की कब्र मौजूद है। हालाकिं मिनी ताज, ताजमहल जैसा दिखता जरूर है। लेकिन यदि इसे मैदानी भूमि पर चार स्तंभों के जरिये चूने मिट्टी से बना एक ढांचा कहे तो गलत न होगा। इसमें दिलचस्प तथ्य यह है कि जिस तरह शाहजहाँ सलाखों के पीछे से ताजमहल के नजारों का लुत्फ उठा सकते थे, ठीक इसी तरह कादरी ने मिनी ताज को अपनी कमरे की खिड़की के समाने बनवाया है ताकि वह इसे अपने कमरे से आसानी से देख सकें। यही नहीं कादरी की बेगम की तस्वीर और उसका नाम यादगार--मोहब्बत-ताजामुल्ली बेगमजो कि मिनी ताज का आधिकारिक नाम है, स्पष्ट दिखता है।

आगे बढ़ते हुए कहानी और दिलचस्प लगती है। कादरी ने अपनी पत्नी के मकबरे के पास एक और मकबरे की जगह खाली छोड़ी है। उनकी इच्छा है कि मृत्यु के बाद उनकी कब्र उनकी पत्नी के मकबरे के पास ही दफनायी जाए। इसका गुंबद तैयार है और चार मीनार भी जिसकी ऊंचाई 27 फीट तक है। कादरी इसके आस पास पेड़ पौधें लगाना चाहते हैं साथ ही मिनी ताज के पीछे वाले हिस्से में एक छोटा सा तालाब भी बनवाना चाहते हैं। कहने योग्य बात यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव सहित कई लोग कादरी की उनके मिनी ताज को पूर्ण करने के लिए वित्तीय रूप से मदद करना चाहते हैं। लेकिन कादरी ने किसी की भी मदद लेने से इंकार कर दिया है। वह मिनी ताज को अपने बलबूते पर तैयार करना चाहते हैं क्योंकि वह इसके जरिये अपने पत्नी प्रेम को लोगों को दिखाना चाहते हैं।

क्या आप जनते हैं कि उन्हें यह मकबरा बनाने का विचार कहाँ से आया?

यह छोटी सी मगर दिलचस्प कहानी है। एक बार दोनों पति-पत्नी बैठकर आपस में बातें कर रहे थे। उन्होंने सोचा कि उनके मरने के बाद आखिर उन्हें कौन याद करेगा? इसी तरह उन्हें विचार आया कि उन्हें मिनी ताज बनाना चाहिए।

कादरी अपना ज्यादातर समय मिनी ताज के सामने बनाए अपने नए घर में गुजारते हैं। उन्होंने अपने भाई से यह तक कह दिया कि उनके मरने के बाद इस महान मकबरे में उनकी बेगम के पास ही उन्हें दफनाया जाए। असल में वह वक्फ बोर्ड में फीस भी जमा करवा चुके हैं। जैसा कि यह प्रकृति का नियम है कि जो आया है, उसे जाना ही होगा यानी जो पैदा हुआ है, उसे मरना ही होगा। अतः उनकी आखिरी तमन्ना यही है कि मरने से पहले उनका मिनी ताज तैयार हो जाए।

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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