भारत के छात्रों को देश के अधिकतर भाषाओँ से परिचित करवाने के उद्देश्य से हाल ही में, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' मिशन के तहत 'भाषा संगम' नामक एक पहल शुरू की है. इस भाषा संगम पहल को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य औपचारिक क्रेडिट अर्जन प्रणाली के साथ सभी स्कूली छात्रों में भारत की विभिन्न भाषायें सीखने को एक कौशल के रूप में बढ़ावा देना है. अंग्रेजी भाषा में अनुवाद के साथ देवनागरी लिपि में 22 अनुसूचित स्थानीय भाषाओं में 100 महत्त्वपूर्ण वाक्य सिखाने के उद्देश्य से यह पहल शुरू की गई है.
NCERT द्वारा विकसित भाषा संगम पहल के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी
NCERT के एक सूत्र के मुताबिक, “भारतीय संविधान द्वारा अपनी आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है, लेकिन भारत के स्कूलों में 47 भाषायें सिखाई जाती हैं. उदाहरण के लिए, खासी और मिजो जो आठवीं अनुसूची में नहीं हैं, प्राथमिक विद्यालय स्तर पर पढ़ाई जाती हैं. हमारे पास गैर-अनुसूचित भाषाओं में भी पर्याप्त संख्या में पाठ्यपुस्तकें हैं. सरकार के दिशा-निर्देशों के आधार पर, NCERT अपने पाठ्यक्रम के माध्यम से कम से कम प्राथमिक स्तर पर बच्चों को पढ़ाने के लिए गैर-अनुसूचित भाषाओं सहित सभी भाषाओं को शामिल करने का प्रयास कर रहा है.
"इस भाषा संगम' के पीछे का प्रमुख कारण, छात्रों को स्थानीय भाषाओं के साथ परिचित करवाना और नागरिकों के बीच भाषाई सद्भाव को बढ़ावा देना है. हम छात्रों को स्कूलों में 22 भाषाओं में से कोई एक भाषा सीखने के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी विकसित कर रहे हैं. इसका तरीका मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज (MOOC) पर आधारित होगा.
मैसूर में स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेजेज (CIIL) ने गैर-मान्यता प्राप्त भाषाओं सहित सभी भारतीय भाषाओं में प्राइमर्स (कायदे) विकसित किए हैं. CBSE ने भी अपने बोर्ड में कुछ विदेशी भाषाओं सहित 40 भाषाओं की पेशकश की है, जिसके लिए पाठ्यपुस्तकें भी आसानी से उपलब्ध कराई जाती हैं. हालांकि, भाषा सामग्री के विकास और शिक्षण वितरण तंत्र में अभी देश में बहुत कुछ करने की जरूरत है. हमने छठी से दसवीं कक्षा के लिए इस गतिविधि की सिफारिश की है. एक कक्षा 20 दिनों में एक भाषा से परिचित हो जाएगी और फिर कुछ विराम के बाद, संबद्ध कक्षा दूसरी भाषा सीख सकती है.
शुरुआत में एक भाषा के लिए पांच वाक्यों को पेश करने की परिकल्पना की गई थी. बाद में, हमने इसे 100 वाक्यों तक विस्तारित करने की आवश्यकता महसूस की और इन वाक्यों को वास्तविक जीवन ऐसी स्थितियों के साथ विषयगत रूप से विभाजित किया गया है जहां बच्चे खुद को नई भाषा से जोड़ सकते हैं.
NCERT के एक अन्य सूत्र के मुताबिक, "हमारे विभाग ने 100 वाक्यों का 22 भाषाओं में अनुवाद किया है और स्कूलों के लिए ये दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं कि, इन भाषा संबंधी वाक्यों को सीखने से संबंधित गतिविधियों को कैसे संचालित किया जाए. कुल 108 वाक्य बनाए गए हैं. एक उदाहरण के तौर पर, कश्मीरी छात्रों को तमिल भाषा सीखने के लिए कहा जाएगा. इस 'भाषा संगम पहल' को भाषा जागरूकता कार्यक्रम माना जा सकता है."
भाषा संगम पहल का भारतीय छात्रों के लिए महत्त्व
बैंगलोर के एक स्कूल के प्रिंसिपल ने इस बारे में यह कहा है कि, "नई भाषा सीखने से युवा पीढ़ी के लिए एक नई दुनिया खोलने में मदद मिलती है क्योंकि अब दुनिया तेज गति से गतिशील परिवर्तनों से गुजर रही है जिससे भाषा कौशल को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण हो जाता है. बहुभाषी होने से छात्रों को तत्काल लाभ मिलता है और उन्हें अलग दिखने में मदद मिलती है.
भाषा कौशल को स्कूलों में एक अलग कौशल पाठ्यक्रम के रूप में विकसित किया जा सकता है क्योंकि यह बच्चों की सोचने की क्षमता को विकसित करने में सहायता करता है और उन्हें अपने संबंधों को विकसित करने और बनाए रखने में मदद करता है क्योंकि भाषा सभी संबंधों और संचार का मूल आधार है.
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