IAS प्रारंभिक परीक्षा 2017 के लिए करंट अफेयर्स: 4 मई 2017

May 5, 2017, 16:35 IST

समसायिकी IAS में चयन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सम्सायिकी के सतत अभ्यास से IAS की परीक्षा में अच्छे अंक लाये जा सकते हैं। यहाँ पर हमने IAS की परीक्षा के हिसाब से महत्वपूर्ण प्रश्नों की क्विज़ बनायी है।

Current Affairs Quiz

IAS प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी में, मौजूदा मामलों पे आधारित MCQ और सवालों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। वर्तमान मामलों और राष्ट्र की आर्थिक और राजनीतिक ढांचे के मुद्दों पर IAS परीक्षा का केंद्रीय हिस्सा होता है। यहाँ पर हमने IAS की परीक्षा के हिसाब से महत्वपूर्ण प्रश्नों की क्विज़ बनायी है।

अंग्रेजी मे पढ़ें- Current Affairs for IAS Prelims Exam 2017- 4 May 2017

1. हाल ही में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली योजना का SAMPADA के रूप में पुनर्गठन किआ है।  SAMPADA से जुड़े निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये
I. SAMPADA का लक्ष्य कृषि को सहायता देना,कृषि- अपशिष्टों में कमी लाना तथा कृषि का आधुनिकीकरण करना है।
II. इस  योजना में  कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर के विकास हेतु बड़े खाद्य पार्को, कोल्ड श्रंखलाओं तथा आधारिक संरंचनाओं के विकास को शामिल किआ गया है।
III. SAMPADA के क्रियान्वयन से कृषि उत्पादों के लिए उचित तथा आधुनिक आधारिक संरचना देखने को मिलेगी।

निम्न में से कौन सा कथन सही है।
a. केवल I
b. I और  II
c. II और III
d. उपरोक्त सभी

उत्तर : d

व्याख्या :

सरकार जल्द ही फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए 6000 करोड़ रुपये की स्कीम संपदा लांच करेगी। इसका मकसद मौजूदा और नई स्कीमों को एकीकृत करके कृषि उपजों की बर्बादी रोकना और किसानों की आय दोगुनी करना है। फूड प्रोसेसिंग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि उनका मंत्रलय जल्द ही स्कीम फॉर एग्रो-मैरीन प्रोड्यूस प्रोसेसिंग एंड डेवलपमेंट ऑफ एग्री-प्रोसेसिंग क्लस्टर्स (संपदा) को मंजूरी दिलाने के लिए कैबिनेट में नोट प्रस्तुत करेगा।

हरसिमरत कौर ने बताया कि यह स्कीम जल्दी ही लांच की जाएगी। इसमें मेगा फूड पार्क और कोल्ड चेन जैसे प्रोजेक्ट भी शामिल कर लिया जाएंगे। इसके अलावा तीन नई स्कीमें इसके अधीन होंगी। ये स्कीम भी लांच की जानी हैं। समूची फूड सप्लाई चेन में सुधार के लिए बुनियादी सुविधाएं विकसित करने के उद्देश्य से तीन स्कीमें लांच होंगी। इनमें फूड प्रोसेसिंग व प्रिजर्वेशन क्षमता विकसित करने और विस्तार करने, नये एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर और बैकवर्ड एंड फॉरवर्ड लिंकेज स्कीमें हैं। बादल ने कहा कि सरकार फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रही है। इसका उद्देश्य फसल कटाई के बाद उपज की बर्बादी को पूरी तरह बंद किया जा सके। उपभोक्ताओं को सस्ती कीमत पर क्वालिटी फूड सुलभ कराना और किसानों की आय दोगुना करना भी स्कीम का मकसद है।

केंद्र ने अब तक 42 मेगा फूड पार्क और 234 कोल्ड चेन प्रोजेक्टों को मंजूरी दी है। इससे करीब 35 हजार करोड़ रुपये मूल्य की कृषि उपज की प्रोसेसिंग और प्रिजर्वेशन की क्षमता विकसित होगी। अनुमान के तौर पर हर साल देश में 92 हजार करोड़ रुपये की कटाई उपरांत बर्बादी होती है। फूड पार्क और कोल्ड चेन से यह बर्बादी रोकने में मदद मिलेगी। ये स्कीम 15 हजार करोड़ रुपये की लागत से लागू हो रही हैं। इससे 3।5 लाख लोगों को रोजगार मिलेंगे और 15 लाख किसानों को फायदा मिलेगा।

2. हाल ही में, केन्द्रीय कैबिनेट  ने निम्न में से कौन कौन से देशो के साथ रेल सुरक्षा हेतु पूर्वव्यापी स्वीकृति दी है?
a. तुर्की
b. जापान
c. मलेशिया
d. उत्तरी कोरिया

उत्तर : b

व्याख्या:

रेल मंत्रालय ने रेल क्षेत्र में तकनीकी सहयोग के लिए विभिन्न देशों और राष्ट्रीय रेलवे कंपनियों के साथ सहयोग ज्ञापन और समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। सहयोग के क्षेत्रों में तीव्र गति के कॉरिडोर, विश्व स्तरीय स्टेशनों का निर्माण, रेलवे आधारभूत ढांचे क्षेत्र आदि सम्मिलित हैं। इन क्षेत्रों में आपसी सहयोग, जानकारी के आदान-प्रदान,तकनीकी विशेषज्ञों के दौरे, समान रूचि के क्षेत्रों में प्रशिक्षण और सम्मेलन और कार्यशाला के द्वारा प्राप्त किया जाएगा।

समझौता ज्ञापन भारतीय रेलवे को रेल क्षेत्र में नवीनतम विकास और ज्ञान के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करता है। समझौता ज्ञापन से तकनीकी विशेषज्ञों,रिपोर्ट और तकनीकी दस्तावेज, विशेष तकनीकी क्षेत्रो पर केंद्रित प्रशिक्षण और कार्यशाला और ज्ञान को सांझा करने में सहायता प्राप्त होती है।

रेल मंत्रालय और जापान के भूमि,आधारभूत ढांचे,परिवहन और पर्यटन मंत्रालय के बीच सहयोग ज्ञापन से निम्नलिखित क्षेत्रो  में तकनीकी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा
1. रेलवे सुरक्षा
2. ट्रेन सेट/ ईएमयू सहित रोलिग स्टाक
3. स्टेशन विकास और भूमि के उचित विकास के लिए सूचना का आदान-प्रदान
4. ट्राम में पर्यावरण अनुकूल स्वच्छता तकनीक के लिए सूचना का आदान-प्रदान
5. ग्नल और दूरसंचार
6. रेलवे विद्युतीकरण
7. सिविल ढांचा और रेलवे ट्रेक प्रणाली
8. ट्रेन नियंत्रण प्रणाली
9. प्राकृतिक आपदाओं में राहत
10. दोनो पक्षों द्वारा संयुक्त रूप से निर्धारित किया गया कोई अन्य क्षेत्र

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3. हाल ही में केन्द्रीय कैबिनेट ने लोहा तथा स्टील उत्पादों के स्वदेशी उत्पादन पर जोर दिया है। इससे जुड़े निम्न कथनों पर गौर कीजिये:
I. यह नीति प्रधानमंत्री के लक्ष्य मेक इन इंडिया को पूरा करने की इच्छा रखती है।
II. यह नीति लोहा तथा स्टील उत्पादों का स्वदेशी उत्पादन को समर्थन करती है।

निम्न से से कौन सा विकल्प सही है ?
a. केवल  I
b. केवल  II
c. I और  II
d. न  I  न ही  II

उत्तर : c

व्याख्या:

वर्ष 2015 में भारत विश्र्व में अकेला देश था जहां इस्पात की मांग में 5।3 फीसद की सालाना वृद्धि हो रही थी। जबकि इसके मुकाबले चीन में इस्पात की मांग में सालाना 5।4 फीसद तथा जापान में 7 फीसद की गिरावट देखने में आ रही थी। भारत में बुनियादी ढांचे के सतत विस्तार तथा मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में बढ़ोतरी के कारण इस्पात की मांग में अभी और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

मौजूदा चुनौतियों के बावजूद भारतीय इस्पात उद्योग में विकास की भारी संभावनाएं हैं। दरअसल यहां प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत अभी भी केवल 61 किलोग्राम है जो 208 किलोग्राम के वैश्रि्वक औसत के मुकाबले बहुत कम है। वर्ष 2015-16 में देश में कच्चे इस्पात का उत्पादन 8 करोड़ 97 लाख 70 हजार टन था।  सूत्रों के अनुसार नई इस्पात नीति में ‘घरेलू इस्पात उत्पादों के लिए गुणवत्ता के मानक विकसित करने तथा लागू करने’ का भी प्रस्ताव किया गया है।

4. हाल ही में केन्द्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 को मंजूरी दी। राष्ट्रीय इस्पात नीति से जुड़े निम्न कथनों पर विचार कीजिये :
I.  यह नीति भारत में स्टील उत्पादन को आत्मनिर्भरता प्रदान करेगी।
II. यह वैश्विक स्टील मांग को बढ़ाएगी
III. यह विदेशी निवेश को बढ़ावा देगी।

उपरोक्त में से कौन सा कथन सही है ?
a. केवल  I
b. I और  III
c. II और  III
d. उपरोक्त सभी

उत्तर : b

व्याख्या :

बिनेट बैठक में राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017/नेशनल स्टील पॉलिसी 2017 को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में स्टील (इस्पात) उत्पादन की स्थापित क्षमता वार्षिक क्षमता 2030-31 तक 30 करोड़ टन करने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय इस्पात नीति-2017 को मंजूरी दी है।

इसमें इस्पात क्षेत्र में अधिक क्षमता के सृजन के लिए 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य किया गया है। देश में अभी प्रति व्यक्ति स्टील की खपत 61 किलोग्राम के निचले स्तर पर है जबकि इसका वैश्विक औसत 208 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है।
नेशनल स्टील पॉलिसी में 2030-31 तक प्रति व्यक्ति स्टील की खपत को 160 किलोग्राम पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। साल 2015 में भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अकेला देश था जहां इस्पात की मांग में बढ़त देखी गई थी। यह 5।3 फीसदी रही थी। देश में 2015-16 में कच्चे इस्पात का उत्पादन 8।97 करोड़ टन रहा था।

आधार: निजता का अधिकार ?

5. भारतीय सेना की दक्षिण पश्चिम कमांड ने BRAHMOS ब्लाक III से सफलतापूर्वक  निशाने बाजी की। यह कार्य निम्न में से कौन से द्वीप में संपन्न हुआ ?
a. अंडमान और निकोबार द्वीप।
b. लक्षद्वीप
c. बारेन द्वीप  
d. अब्दुल कलाम द्वीप

उत्तर : a

व्याख्या :

दक्षिण पश्चिमी कमान ‘सट्राइक वन’ ने भूमि पर प्रहार करने वाली क्रूज़ मिसाइल प्रणाली से युक्त अत्याधुनिक ब्रह्मोस ब्लॉक – 3 का बुधवार 03 मई 2017 को अंडमान निकोबार में लगातार दूसरे दिन सफल परीक्षण किया। लगातार सफलतम परीक्षण ने दुर्जेय हथियारों से मार करने की क्षमता को और मज़बूत किया है। 02 मई 2017 को इसी स्थान से लंबी-दूरी तक मार करने वाले सामरिक हथियारों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था।

सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों का ये सफलतापूर्वक परीक्षण, मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर्स से पूर्ण परिचालन अवस्था में भूमि-से-भूमि पर मार करने वाली मिसाइल के रूप में अपनी पूर्ण क्षमता के साथ किया गया। उच्च स्तर और जटिल युद्धाभ्यासों को आयोजित करते समय कॉपीबुक तरीके से सभी उड़ान मापदंडों को पूरा करते हुए, बहु भूमिका वाली मिसाइल ने भूमि आधारित निर्धारित लक्ष्य पर वांछित सटीकता के साथ सफलतापूर्वक हमला किया। दोनों ही परीक्षणों के दौरान लक्ष्य पर हमले करने के मामले में मिसाइल की सटीकता एक मीटर से भी कम रही।

यह लगातार पांचवां मौका है, जब ब्रह्मोस के ब्लॉक-3 संस्करण का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया है और भूमि पर हमला करने के मामले में इसकी श्रेणी के किसी अन्य हथियार ने अभी तक यह अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल नहीं की है। वर्ष 2007 में ब्रह्मोस को अपनाने वाली दुनिया की पहली थल सेना की उपलब्धि पाने वाली भारतीय सेना इस दुर्जेय हथियार की कई अन्य श्रेणियों को विकसित कर चुकी है। इस मिसाइल को संयुक्त रूप से भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओएम द्वारा विकसित किया गया है।

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