हमारे देश भारत में 1950 और 1960 के दशकों में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने वाले लोग काफी कम होते थे और ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त होते ही या फिर, अपने ग्रेजुएशन कोर्स के अंतिम वर्ष की परीक्षा देते ही स्टूडेंट्स को विभिन्न सरकारी विभागों या प्राइवेट कंपनियों में अच्छे जॉब ऑफर्स मिलते थे. लेकिन अब समय बिलकुल बदल गया है. आजकल केवल ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्रियां ही स्टूडेंट्स को बढ़िया सैलरी पैकेज वाली बड़ी जॉब नहीं दिलवा सकती हैं. अब सभी स्टूडेंट्स को ग्रेजुएशन (यूजी)/ पोस्ट-ग्रेजुएशन (पीजी) की डिग्रियां हासिल करने के बाद भी कई कॉम्पीटिटिव एग्जाम्स, ग्रुप डिस्कशन्स, पर्सनल इंटरव्यूज और मेडिकल फिटनेस टेस्ट पास करने के बाद अपनी पसंदीदा या सूटेबल जॉब मिलती है.
लेकिन सबसे पहले अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद अपने मनचाहे कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए हमें भारत के विभिन्न कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज द्वारा करवाए जाने वाले विभिन्न ग्रेजुएशन (यूजी)/ पोस्ट-ग्रेजुएशन (पीजी) कोर्सेज के बीच अंतर को अच्छी तरह समझाना चाहिए ताकि हम अपनी करियर फील्ड के बारे में कोई भी निर्णय लेते समय यह अच्छी तरह समझ लें कि क्या हम अपने ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के बाद ही अपना मनचाहा करियर अपना लें या फिर, क्या हमें अपने करियर में किसी मुकाम तक पहुंचने के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त कर लेनी चाहिए?
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अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज करने के लाभ
आज भी भारत में किसी भी विषय में अंडरग्रेजुएट डिग्री प्राप्त करने के बाद आप तकरीबन सभी कॉम्पीटिटिव एग्जाम्स देने के काबिल बन जाते हैं. लेकिन फिर भी, आपके पास अपनी संबद्ध वर्क-फील्ड में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री होने पर आपको अन्य ग्रेजुएट कैंडिडेट्स की तुलना में एक जैसे काम के लिए ज्यादा अच्छा वेतन मिलता है. सभी सरकारी विभाग और ऑफिसेज तो ऐसा करते ही हैं और इसके साथ ही विभिन्न प्राइवेट कंपनियां भी अक्सर इस नियम का पालन करती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है और एजुकेशनल लेवल पर यह साबित भी किया जा सकता है कि किसी भी विषय में डिग्री और फिर उच्च स्तर की डिग्री हासिल कर लेने के बाद आपका ज्ञान और जानकारी, दोनों ही काफी बढ़ जाते हैं. इस बढ़े हुए ज्ञान और जानकारी के साथ – साथ अपनी संबद्ध फील्ड में बढ़ता हुआ कार्य अनुभव हरेक व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र में माहिर बना देता है. इसलिए, अब हम विभिन्न यूजी और पीजी कोर्सेज में मुख्य अंतरों को समझते हैं.
अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज के बीच ये हैं विशेष अंतर
इंडियन कॉलेजेज और यूनिवर्सिटीज़ में करवाये जाते हैं ये अंडरग्रेजुएट कोर्सेज:
विभिन्न अंडरग्रेजुएट (यूजी) कोर्सेज से हमारा अभिप्राय ऐसे कोर्सेज से है जो विभिन्न कॉलेज और विश्वविद्यालय स्टूडेंट्स को किसी भी मान्यताप्राप्त बोर्ड से 12वीं क्लास का एग्जाम पास करने के बाद ऑफर करते हैं. विभिन्न अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में से अपनी पसंद के विषय में कोई कोर्स पूरा कर लेने के बाद स्टूडेंट्स को बैचलर डिग्री या ग्रेजुएशन की डिग्री मिलती है. भारत के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न अंडरग्रेजुएट कोर्सेज की अवधि 3 या 4 वर्ष होती है. सबसे लोकप्रिय अंडरग्रेजुएट कोर्सेज हैं – बीए, बीए (ऑनर्स) (हिस्ट्री, पोलिटिकल साइंस, हिंदी, इंग्लिश, इकोनॉमिक्स आदि में से किसी एक विषय में बीए-ऑनर्स की पढ़ाई की जाती है.) बीकॉम, बीकॉम (ऑनर्स – कॉमर्स/ बिजनेस स्टडीज आदि), बीएससी, बीएससी (ऑनर्स – बायोलॉजी/ केमिस्ट्री/ फिजिक्स) और बीटेक आदि.
बीए/ बीकॉम पास/ बीएससी जनरल : इस कोर्स के तहत स्टूडेंट्स को 3 वर्ष की अवधि में अपनी पसंद, काबिलियत और 12 वीं क्लास में प्राप्त स्कोर्स के मुताबिक कोई से 4 विषय पढ़ने होते हैं और 3 वर्ष के बाद उन्हें ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त होती है.
बीए/ बीकॉम/ बीएससी (ऑनर्स): इस कोर्स के तहत स्टूडेंट्स को 3 वर्ष की अवधि में अपनी पसंद, काबिलियत और 12 वीं क्लास में प्राप्त स्कोर्स के मुताबिक किसी एक विषय में ही 3 वर्ष तक अध्ययन करवाया जाता है और 3 वर्ष की अवधि के बाद अपने फाइनल ईयर के एग्जाम्स पास करने के बाद उन्हें अपने स्पेशलाइजेशन विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री (बीए(ऑनर्स-पोलिटिकल साइंस)/ बीकॉम (ऑनर्स-बिजनेस स्टडीज)या बीएससी (ऑनर्स – बायोलॉजी) आदि मिल जाती है.
करियर में कामयाबी के लिए ग्रेजुएट्स जरुर सीखें ये स्किल्स
इंडियन कॉलेजेज और यूनिवर्सिटीज़ में करवाये जाते हैं ये पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज:
अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करने के बाद अगर स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई आगे जारी रखना चाहते हैं तो वे अपने ग्रेजुएशन के किसी एक पसंदीदा विषय में या फिर, अगर स्टूडेंट्स ने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री किसी ‘ऑनर्स विषय’ सहित प्राप्त की है, तो उस विषय में 2 वर्ष की अवधि तक अध्ययन करके पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त कर सकते हैं. खास बात तो यह है कि किसी विषय में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करने के बाद विभिन्न सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में कैंडिडेट्स को अपने जॉब प्रोफाइल में समान काम के लिए ग्रेजुएट कैंडिडेट्स से कुछ ज्यादा सैलरी मिलती है.
आर्टिकल का सारांश
अगर हम कम शब्दों में विभिन्न यूजी और पीजी कोर्सेज का अंतर समझने की कोशिश करें तो हम उसे कुछ इस तरह समझ सकते हैं कि:
- अंडरग्रेजुएट (यूजी) कोर्सेज:हमारे देश के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में इन कोर्सेज की अवधि 3/ 4 वर्ष है. उदाहरण: ग्रेजुएशन/ बैचलर डिग्री (विभिन्न बीए/ बीकॉम, बीटेक या बीएससी कोर्सेज).
- पोस्टग्रेजुएट (पीजी) कोर्सेज:विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में इन कोर्सेज की अवधि 2/ 3 वर्ष है. उदाहरण: मास्टर डिग्री (एमए, एमकॉम, एमएससी, एमटेक).
स्टडी कोर्स चुनने से पहले इन पॉइंट्स पर जरुर ध्यान दें
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