UPSC परीक्षा में ‘स्टील प्लांट’ को ‘इस्पात का पौधा’ लिखा, संसद में उठा प्रश्न

Aug 2, 2019, 16:27 IST

UPSC द्वारा कराये जाने वाले एग्जाम में हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं का ट्रांसलेशन कुछ इस तरह होता है कि उसे मेधावी छात्र भी नहीं समझ पाते हैं.

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UPSC Civil Services Exam: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा अंग्रेजी मध्यम के एक पेपर को गलत अनुवाद किये जाने का मुद्दा हाल ही में संसद में उठाया गया है. शून्यकाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने मुद्दा उठाया कि गूगल ट्रांसलेशन पर आश्रित होने के चलते ‘स्टील प्लांट’ कों ‘स्टील का पौधा’ लिखा गया था.

Google से होता है ट्रांसलेशन

गलत अनुवाद होने के कारण परीक्षार्थियों को होने वाली समस्या के बारे में बात करते हुए हरनाथ सिंह ने कहा कि UPSC द्वारा कराये जाने वाले एग्जाम में हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं का ट्रांसलेशन कुछ इस तरह होता है कि उसे मेधावी छात्र भी नहीं समझ पाते हैं. उन्होंने सदन में कहा कि अंग्रेजी के सवालों का सीधा अनवाद गूगल से कर लिया जाता है. जब सवाल ही गलत होंते हैं तो उसका सही उत्तर कैसे दिया जायेगा.

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‘स्टील प्लांट’ को ‘इस्पात का पौधा’

हरनाथ सिंह द्वारा उदहारण दिया गया कि अंग्रेजी में लिखे गये ‘‘स्टील प्लांट’’ का हिन्दी में गूगल ट्रांसलेशन ‘‘इस्पात का पौधा’’ लिखा गया. इसे विद्यार्थी कैसे समझेगा और वह किस प्रकार उत्तर देगा यह कहना मुश्किल है. उन्होंने यह भी कहा कि गलत अनुवाद के चलते हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के परीक्षार्थियों की सफलता का प्रतिशत प्रभावित होता है. इस पूरे प्रकरण के बाद उन्होंने UPSC में हिंदी की उपेक्षा समाप्त करने तथा सिविल सेवा सर्विसेज के एप्टीट्यूट टेस्ट को बंद करने की मांग की.

केवल 26 हिंदी-भाषी हुए सिलेक्ट

हरनाथ सिंह यादव ने UPSC के पेपर में गलत हिंदी अनुवाद का सवाल उठाया साथ ही हिंदी की उपेक्षा को लेकर मुद्दा उठाया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक मंच पर हिंदी में भाषण देते हैं तो सभी देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है लेकिन देश के भीतर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं की ऐसी उपेक्षा निंदनीय है. उन्होंने सदन में बताया कि पिछले वर्ष 1222 उम्मीदवारों का चयन हुआ था, जिनमें से हिंदी भाषी केवल 26 और अन्य भारतीय भाषाओं के केवल 27 छात्रों का चयन हुआ था. हरनाथ सिंह द्वारा सदन में पेश की गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2000 में भारतीय भाषाओं के छात्रों की सफलता का प्रतिशत 20 था, जो सीसैट लागू होने के बाद से 2 प्रतिशत रह गया है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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