आज से पांच वर्ष पूर्व बैंकों में रिक्तियां काफी कम निकलती थीं। युवाओं का इस सेक्टर से मोहभंग हो गया था और वे अन्य क्षेत्रों की तरफ रुख करने लगे थे। लेकिन अब समय काफी बदल चुका है। जॉब के लिहाज से बैंक युवाओं के लिए हॉट डेस्टिनेशन बनकर उभर रहा है। प्राइवेट बैंकों के अलावा सरकारी बैंकों में भी जॉब की बहार है और आनेवाले समय में काफी संख्या में रिक्तियां निकलने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं। सरकारी जॉब की सिक्योरिटी, बेहतर सैलरी, वर्क एटमॉस्फियर जैसी कुछ चीजें आज इस सेक्टर को कॅरियर के लिहाज से हॉट बना रही हैं। यही कारण है कि वर्तमान और फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट्स को देखते हुए युवाओं का हुजूम बैंक की तरफ रुख कर चुका है। अवसरों की ऐसी ही भरमार के बीच देश का बैंकिंग क्षेत्र प्रबंधन, मेडिकल, इंजीनियरिंग की तर्ज पर अब एक ही संयुक्त परीक्षा लेने जा रहा है। बदले पैटर्न के तहत देश की प्रमुख 19 सार्वजनिक बैंकों ने कॉमन रिटेन एग्जाम के माध्यम से युवाओं के लिए जॉब का पिटारा खोल दिया है। अगर आप सिंपल ग्रेजुएट हैं और बैंक में पीओ या मैनेजमेंट ट्रेनी बनना चाहते हैं, तो अब एक ही एग्जाम के जरिए देश के पब्लिक सेक्टर बैंकों में अवसर तलाश सकते हैं। इसमें कैंडिडेट्स को न तो बैंकों कीपृथक-पृथक परीक्षाओं में भाग लेने की जरूरत होगी, न ही बैंकों को इन परीक्षाओं के विस्तृत आयोजन, खर्च, प्रबंधन की ही समस्या से जूझना पडेगा। इसके अलावा एक वर्ष के अंदर आप किसी भी बैंक में इंट्री करने की दावेदारी स्कोर कार्ड के बल पर कर सकते हैं।
क्या है सीडब्ल्यूई
सीडब्ल्यूई बैंकिंग से संबंधित परीक्षा का नाम है, जिसे आम भाषा में कॉमन रिटेन एग्जाम कहा जाता है। पब्लिक सेक्टर की 19 बैंकें अब प्रोबेशनरी ऑफिसर और मैनेजमेंट ट्रेनी की पोस्ट के लिए कॉमन रिटेन एग्जामिनेशन का आयोजन करने जा रही हैं। इस तरह से अब बैंक की नौकरी करने के इच्छुक कैंडिडेट को 19 बैंकों का एक साथ प्लेटफॉर्म उपलब्ध हो जाएगा और उन्हें इनके लिए अलग-अलग परीक्षाएं नहीं देनी होंगी। कॉमन रिटेन एग्जामिनेशन का आयोजन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन (आईबीपीएस) द्वारा किया जाएगा। इसमें उत्तीर्ण होनेवाले स्टूडेंट्स को एक स्कोर कार्ड दिया जाएगा, जो एक वर्ष की अवधि तक वैध रहेगा। इसकी परीक्षा 18 सितंबर को होनेवाली है।
आप योग्य हैं?
यह परीक्षा सिर्फ सार्वजनिक बैंकों में पीओ और मैनेजमेंट ट्रेनी के लिए हो रही है। इस परीक्षा के लिए किसी भी विषय में ग्रेजुएट होना आवश्यक है। परीक्षा के लिए उम्र सीमा भी निर्धारित है। अगर आप जनरल केटेगरी में आते हैं, तो अधिकतम उम्र सीमा 30 वर्ष और न्यूनतम उम्र सीमा 21 वर्ष निर्धारित है।
जानें टेस्ट पैटर्न
नए पैटर्न के अनुसार, परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रकार की होगी, जिसमें पांच क्षेत्रों से संबंधित प्रश्न होंगे। कुल 225 अंकों की परीक्षा होगी, जिसके अंतर्गत रीजनिंग, इंग्लिश लैंग्वेज, क्वांटीटेटिव एप्टीट्यूड, कम्प्यूटर नॉलेज और जनरल अवेयरनेस से संबंधित प्रश्न होंगे। इसके अतिरिक्त डिसक्रिप्टिव पेपर होंगे। वस्तुनिष्ठ परीक्षा के लिए ढाई घंटे और डिसक्रिप्टिव पेपर के लिए एक घंटा निर्धारित है।
नई परीक्षा, नया सिलेबस
रीजनिंग में वर्बल और नॉन वर्बल दोनों तरह के प्रश्न पूछे जाएंगे। वर्बल में नंबर सीरीज, अल्फाबेट सीरीज, कथन एवं निष्कर्ष के प्रश्न, डायरेक्शन टेस्ट, कोडिंग-डिकोडिंग, नंबर रैंकिंग, अर्थमैटिकल रीजनिंग, ब्लड रिलेशन, एनॉलाजी, डीसीजन मेकिंग आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं। नॉनवर्बल में ग्रुपिंग, फिगर रिलेशनशिप और सीरीज के प्रश्न होंगे। वहीं गणित में संख्या पद्धति, सरलीकरण, वर्ग तथा वर्गमूल, भिन्न, प्रतिशतता, ब्याज, औसत, चाल-समय, क्षेत्रफल के अलावा अनुपात एवं समानुपात से प्रश्न रहेंगे। अंग्रेजी में कॉमन एरर, कॉम्प्रीहैंशन, प्रीपोजीशन, सिनोनिम्स एंड एंटोनिम्स, स्पेलिंग रूल्स, सेंटेंस कंपलीशन, सेंटेंस इंप्रूवमेंट, क्लोज टेस्ट से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। इसी तरह कंप्यूटर से रिलेटेड प्रश्न रहेंगे और जनरल अवेयरनेस के अंतर्गत बैंकिंग से संबंधित प्रश्नों की संख्या अधिक रहेगी। डिसक्रिप्टिव पेपर के अंतर्गत एस्से, प्रेसिस, लेटर राइटिंग से प्रश्न पूछे जाएंगे, जिसे सिर्फ अंग्रेजी में ही लिखना अनिवार्य होगा। इसमें क्वालीफाई करने के बाद ही वस्तुनिष्ठ पेपर को जांचा जाएगा।
कठिन नहीं है परीक्षा
इस परीक्षा को लेकर काफी स्टूडेंट्स डरे हुए हैं कि इसमें किस तरह के प्रश्न पूछे जाएंगे और तैयारी के लिए किस तरह की स्ट्रेटेजी अच्छी रहेगी। इस संबंध में विशेषज्ञों का मानना है कि अंग्रेजी के डिसक्रिप्टिव पेपर को छोडकर अन्य पेपर के सिलेबस लगभग समान हैं। इस कारण डरने की जरूरत नहीं है। अगर आप वस्तुनिष्ठ परीक्षा की तैयारी निर्धारित समय सीमा के अंदर सिलेबस के अनुरूप करते हैं, तो सफलता प्राप्त कर सकते हैं। वर्बल रीजनिंग में अच्छे अंक नियमों की जानकारी और अभ्यास के द्वारा हासिल किए जाते हैं, वहीं नॉनवर्बल में अभ्यास ही सफलता का असली आधार होता है। गणित में सभी प्रश्न कांसेप्ट पर आधारित होते हैं। इस कारण कांसेप्ट क्लियर होने के बाद आप किसी भी तरह के प्रश्नों को आसानी से हल कर सकते हैं। बैंक में प्रश्नों का रीपिटीशन बहुत कम होता है, लेकिन उसके आधार पर प्रश्न काफी पूछे जाते हैं। इस स्थिति में यदि आपको कांसेप्ट क्लियर नहीं है, तो अभ्यास के बावजूद इसमें बेहतर स्कोर नहीं ला सकते हैं। इसमें शॉर्ट ट्रिक और सूत्रों को जाने बिना सफल होना नामुमकिन है। इन ट्रिकों को कोचिंगों एवं बाजार में उपलब्ध पुस्तकों से सीखा जा सकता है। अंग्रेजी में सफलता के लिए तीन चीजों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है वे हैं- ग्रामर की जानकारी और शब्दों का सही प्रयोग, स्पेलिंग की सटीक जानकारी और सेंटेंस फॉर्मेशन में निपुणता। इसके लिए जरूरी है कि आप एक ग्रामर बुक पढने के साथ ही राष्ट्रीय अंग्रेजी अखबार का नियमित अध्ययन करें और शब्द भंडार बढाने की कोशिश करें। इसी तरह आप कंप्यूटर से संबंधित जानकारी के लिए किसी एक प्रामाणिक पुस्तक का अध्ययन कर सकते हैं। असली कंपटीशन है यहां रीजनिंग, मैथ्स और अंग्रेजी में अच्छे अंक लाकर मेरिट में स्थान बना लेने वाले स्टूडेंट्स में असली कंपटीशन इसी विषय में होता है। इसमें कहीं से भी कुछ पूछा जा सकता है। इस खंड में तैयारी के लिए जरूरी है कि पिछले 6 महीनों में घटित देश-विदेश की प्रमुख घटनाओं, खेलों, संधियों से अपडेट रहें। इसमें इकोनॉमिक्स और बैंक से संबंधित प्रश्नों की तैयारी के लिए अधिक समय दें। आपके लिए बेहतर होगा कि आप बैंकिंग से संबंधित पुस्तकों का गहन अध्ययन करें। इस परीक्षा में कई बदलाव किए गए हैं। इसमें क्वालीफांइग मार्क्स लाने के बाद ही शेष पेपर की जांच की जाएगी। इस परीक्षा में अंग्रेजी में लिखना अनिवार्य होगा। अगर आप लेटर राइटिंग, प्रेसिस आदि पढते हैं और एस्से के लिए नियमित अखबार का अध्ययन करते हैं, तो आप इस परीक्षा में बेहतर कर सकते हैं।
अब बढी अहमियत जीडी और इंटरव्यू की
सीडब्ल्यूई के बाद जीडी और इंटरव्यू की अहमियत काफी बढ जाएगी, क्योंकि इस परीक्षा में क्वालीफाइंग कैंडिडेट को एक स्कोर कार्ड दिया जाएगा, जिसके आधार पर अभ्यर्थी 19 सार्वजनिक बैंकों में सिर्फ इंटरव्यू और जीडी के आधार पर नौकरी प्राप्त कर सकेंगे। क्वालीफाइंग स्टूडेंट्स के लिए यह गोल्डन पीरियड होगा और इसमें थोडी सी चूक उन्हें भारी पड सकती है। अगर आप इसमें अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं, तो इसके बारे में पहले से सभी कुछ जान लें और उसी के अनुरूप तैयारी को अंतिम रूप देने में जुट जाएं। ग्रुप डिस्कशन में कैंडिडेट के कॉन्फिडेंस लेवल और नेतृत्व क्षमता को परखा जाता है। इंटरव्यू में कैंडिडेट का पर्सनैल्टी टेस्ट लिया जाता है। इसके द्वारा यह देखा जाता है कि कैंडिडेट के सामान्य ज्ञान का क्या स्तर है, उसकी कम्युनिकेशन स्किल्स ठीक हैं? उसका व्यक्तित्व कैसा है? सबसे अहम कि कैंडिडेट दबाव में काम करने में सक्षम है कि नहीं?
क्या है जीडी
ग्रुप डिस्कशन आठ-दस लोगों का ऐसा समूह होता है, जिसमें कोई लीडर नहीं होता है और इसके सभी सदस्य विशेष परिस्थिति में किसी विषय पर दिए गए समय में अपने आकलन और विचार प्रस्तुत करते हैं। ग्रुप डिस्कशन में भाग लेने वाले सदस्यों की संख्या और इसके लिए निर्धारित समय परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं। ग्रुप डिस्कशन के दौरान मोडेरेटर पैनल प्रतिभागी पर इन बिंदुओं के तहत ध्यान देते हैं : लीडरशिप एबिलिटी : मोडेरेटर पैनल ऑब्जर्व करता है कि कैंडिडेट इनीशिएटिव लेता है या नहीं, उसमें दिशा देने की कितनी क्षमता है? क्या वह आगे बढकर जिम्मेदारी लेता है? ग्रुप में लोगों से उसका कोऑर्डिनेशन कैसा है? वह लक्ष्य के प्रति कितना सजग है?
नॉलेज : इसके अंतर्गत यह देखा जाता है कि कैंडिडेट की सब्जेक्ट पर पकड कितनी है। इसके अलावा वह अपने खुद के विचार कैसे समाहित करता है।
एनालिटिकल एबिलिटी : यह बहुत मायने रखता है कि आप एनालिटिकली कितने सक्षम हैं। आप आर्गुमेंट को कैसे इस्तेमाल करते हैं और आपके लॉजिक में कितना दम है।
कम्युनिकेशन : यह बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें आपकी फ्लुएंसी, विचारों में स्पष्टता, प्रेजेंटेशन स्किल्स, लिशनिंग एबिलिटी, आपका दृष्टिकोण और बॉडी लैंग्वेज देखी जाती है।
ग्रुप बिहेवियर : मोडेरेटर पैनल यह भी ऑब्जर्व करता है कि ग्रुप में आपका बिहेवियर कैसा है। कहीं आप ओवर एग्रेसिव तो नहीं हैं? दूसरों पर बिना वजह हावी होने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं? सेंसेटिव टॉपिक पर आपकी भाषा कैसी है?
सफलता के टिप्स
ग्रुप डिस्कशन में सफल होने के लिए जरूरी है कि आप ग्रुप में एक टीम प्लेयर की तरह रहें। खुद को साबित करने की कोशिश में आप दूसरों की अवहेलना न करें। आप खुद को कैसे आंकते हैं, यह बात मायने नहीं रखती, बल्कि मायने इस बात के हैं कि मोडेरेटर पैनल आपको कैसे रेट करता है। अगर आप यह बात अपने दिमाग में रखें तो ग्रुप डिस्कशन में आपकी परफॉर्र्मेस आश्चर्यजनक रूप से सुधर सकती है।
कैसे करें शुरुआत
1. अगर आप जीडी में पहल करते हैं तो उसका फायदा यह है कि आपकी इमेज मोडरेटर पैनल के समक्ष इनीशिएटिव लेने वाले कैंडिडेट की बनेगी। इसके अलावा दूसरी बार बोलने के लिए आपको पर्याप्त समय मिलेगा, जिसका आप बखूबी इस्तेमाल कर सकते हैं।
डिस्कशन शुरू करके आप ग्रुप को दिशा देंगे, जबकि ग्रुप के शेष लोग डिस्कशन के टॉपिक को ही टटोलते रहेंगे।
डिस्कशन की शुरुआत तभी करें, जब आप दिए गए टॉपिक पर कुछ सेंसिबल बोल सकें, अन्यथा खामोश रहना ही उचित होगा।
जितना बोलें टू द प्वाइंट बोलें और डिस्कशन को तभी समाप्त करें, जब मोडेरेटर ऐसा करने को कहें।
डिस्कशन को समराइज करने में एक ही बात को न दोहराएं, बल्कि अपनी बात प्रभावशाली अंदाज में कहें।
जेआरसी टीम
सीडब्ल्यूई KEY फॉर 19 बैंक्स
आज से पांच वर्ष पूर्व बैंकों में रिक्तियां काफी कम निकलती थीं। युवाओं का इस सेक्टर से मोहभंग हो गया था और वे अन्य क्षेत्रों की तरफ रुख करने लगे थे
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