स्वतंत्रता से पहले और बाद में भारतीय रेलवे का तुलनात्मक विवरण

भारतीय रेलवे सम्पूर्ण भारत में लगभग हर लोगों के जीवन को छू रहा है. यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है जो करीब 7651 मिलियन यात्रियों का परिवहन कर रहा है. परन्तु क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में रलवे की शुरुआत कब से हुई, कैसे हुई और स्वतंत्रता से पहले और बाद में भारतीय रेलवे का कितना विकास हुआ इत्यादि. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

Aug 30, 2018, 10:10 IST
Comparison of Indian Railways before and after Independence
Comparison of Indian Railways before and after Independence

भारतीय रेलवे भारत में सार्वजनिक परिवहन का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम प्रदान करता है. यह यातायात के आधुनिक साधनों में से एक है. यह देश का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला और लागत प्रभावी लंबी दूरी की परिवहन प्रणाली है. भारतीय रेलवे रेल मंत्रालय द्वारा संचालित है. देखा जाए तो भाप इंजन से डीजल के इंजन और फिर बिजली के इंजनों तक का इसका सफर शानदार रहा है. रफ्तार में भी इसका जवाब नहीं, कहीं 50 किमी प्रति घंटा, कहीं 100 किमी, कहीं तो 300 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ती है. रेलगाड़ी यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

भारतीय रेलवे सम्पूर्ण भारत में लगभग हर लोगों के जीवन को छू रहा है, जिसमें 2011 डाटा के अनुसार 40,050 मील या 64,460 किलोमीटर रेलवे नेटवर्क के साथ 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं. यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है जो करीब 7651 मिलियन यात्रियों और प्रति वर्ष 921 मीट्रिक टन माल ढुलाई (2011 तक) परिवहन कर रहा है. परन्तु क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में रलवे की शुरुआत कब से हुई, कैसे हुई और अंग्रेजों की तुलना में भारत में रेलवे का कितना विकास हुआ इत्यादि. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

भारत में रेलवे की शुरुआत काफी दिलचस्प रही है.

यात्री रेल सेवाओं का शुभारंभ (1853-1869)

जब देश में ब्रिटिश शासन था तब भारत में रेल की पहली शुरुआत हुई थी. देखा जाए तो उस समय ब्रिटिश शासकों ने अपनी प्रशासनिक सुविधा बढ़ाने के लिए देश में रेल की नींव डाली थी. 16 अप्रैल 1853 को पहली ट्रेन, मुंबई के  बोरीबंदर स्टेशन से लेकर ठाणे तक की 34 किलोमीटर लंबी दूरी को तय किया. इसमें तीन भाप इंजनों के साथ 14 डिब्बों को शामिल किया और 400 यात्रियों को ले जाया गया. सफर तो छोटा था लेकिन इस छोटे से सफर ने भारतीय रेलवे के लंबे सफर की नींव रखी. हम आपको बता दें कि गर्वनर जनरल लार्ड हार्डिंग ने भारत में रेल व्यवस्था के निर्माण का प्रस्ताव रखा था. लेकिन वर्ष 1853 में ही पहली ट्रेन चली और इसकी चर्चा उस समय ब्रिटेन के अखबारों में की गई थी.

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यह लाइन ग्रेट इंडियन प्रायद्वीपीय रेलवे (the Great Indian Peninsular Railway, GIPR) और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच गठबंधन के माध्यम से बनाई गई थी. GIPR को 1849 में शामिल किया गया था. इसकी सफलता ने पूर्वी भारत (1854) और दक्षिण भारत (1856) में रेलवे व्यवस्था का विकास किया. दक्षिण में 1 जुलाई 1856 को मद्रास रेलवे कंपनी की स्थापना हुई. 1864 में कलकत्ता-दिल्ली लाइन का उद्घाटन और 1867 में इलाहाबाद-जबलपुर लाइन के उद्घाटन के बाद, इन लाइनों को GIPR से जोड़ा गया ताकि भारत में 4,000 मील चौड़े नेटवर्क को बनाया जा सके.

ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिर्फ रेल की शुरुआत ही नहीं की बल्कि इसे देश के हर प्रांत से जोड़ने का काम किया.

कुल मिलाकर, 1855 और 1860 के बीच आठ रेलवे कंपनियां स्थापित की गईं: पूर्वी भारत रेलवे, ग्रेट इंडिया प्रायद्वीप कंपनी, मद्रास रेलवे, बॉम्बे बड़ौदा और मध्य भारत रेलवे.

रेलवे का आर्थिक विकास (1869–1900)

1857 के भारतीय विद्रोह के बाद, ब्रिटिश राज ने भारत में सर्वोच्च शासन किया.

1869-1881 में रेलवे निर्माण पर नियंत्रण बाहरी ठेकेदारों ने लिया था.

1870 में, सतलज पुल का निर्माण पूरा हो गया था, जिसे अभी भी "महान परिमाण का काम" के रूप में परिभाषित किया गया है.

1880 में, दार्जिलिंग स्टीम ट्रामवे, जो बाद में दार्जिलिंग हिमालयी रेलवे बन गया, ने अपने पहले खंड सिलीगुड़ी-दार्जिलिंग रेल लाइन पर अपनी सेवाओं को शुरू किया.

1880 तक नेटवर्क की लंबाई 9,000 मील तक पहुंच गई थी, जिसमें बॉम्बे, मद्रास और कलकत्ता के तीन प्रमुख बंदरगाह शहरों को जोड़ा गया था.

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रेलवे में टर्मिनल, जंक्शन और सेंट्रल स्टेशन के बीच क्या अंतर होता है?

1890 में शौचालय, गैस लैंप और इलेक्ट्रिक लाइटिंग सहित नई यात्री सुविधाओं की शुरूआत की गई थी.

1895 में, पहला लोकोमोटिव, F Class 0-6-0 MG Loco, अजमेर में राजपूताना मालवा रेलवे (F-734) के लिए बनाया गया था. यानी भारत ने अपने स्वयं के लोकोमोटिव बनाने शुरू कर दिए थे.

रेलवे में केंद्रीकरण की शुरुआत (1901-1925)

अंततः 1901 में रेलवे ने लाभ कमाया. 1901 में रेलवे बोर्ड की स्थापना हुई थी, जिसमें एक सरकारी अधिकारी, एक अंग्रेजी रेलवे प्रबंधक और कंपनी रेलवे के एक एजेंट शामिल थे. 1905 में, सरकार द्वारा तत्कालीन वाइसराय लॉर्ड कर्जन के तहत इसकी शक्तियों को औपचारिक रूप दिया गया था.

1911 में, पंबन रेलवे पुल का निर्माण शुरू किया गया और 1914 को यह बनकर तैयार हो गया था. यह पहला भारतीय पुल है जो समुद्र पर बनाया गया.


1920 में, रेलवे ने मुंबई में दादर और करे रोड के बीच इलेक्ट्रिक लाइटिंग की शुरुआत हुई.

1924 से 1944 तक, रेलवे का राष्ट्रीयकरण शुरू किया गया था. राज्य ने GIPR,EIR इत्यादि जैसी सभी प्रमुख रेल कंपनियों को अपने अंदर शामिल कर लिया था.

पहले विश्व युद्ध के अंत तक, रेलवे नेटवर्क खराब हो गए थे, कई सेवाओं को प्रतिबंधित या डाउनग्रेड किया गया था.

1924 में रेलवे के वित्त को सामान्य बजट से अलग कर दिया गया था साथ ही रेलवे को 1925 में अपना पहला व्यक्तिगत लाभांश प्राप्त हुआ था.

रेलवे का विद्युतीकरण (1925-1946)


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3 फरवरी, 1925 को पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन बॉम्बे और कुर्ला के बीच चलाई गई थी.

हम आपको बता दें कि 1929 तक, रेलवे नेटवर्क 66,000 किमी हो गया था और सालाना लगभग 620 मिलियन यात्रियों और 90 मिलियन टन सामान ले जाया जाता था.

1928 में, भारत में पहली बार स्वचालित रंगीन लाइट सिग्नल बॉम्बे VT और Byculla के बीच GIPR की लाइनों पर लगाए गए थे.

1930 में, रेलवे ने बिजली संकेत और upper quadrant semaphore सिग्नल लगाए. इसके अलावा, Deccan Queen ट्रेन को को शुरू किया, जिसे पुना (अब पुणे) के एक नए विद्युतीकृत मार्ग पर WCP-1 द्वारा चलाया गया था.

1943 में, कोलकाता का प्रतिष्ठित हावड़ा ब्रिज को शुरू किया गया था.

विभाजन और रेलवे का क्षेत्रीय निर्माण (1947-1980)

1947 में, भारत में ब्रिटिश राज का तो अंत हुआ लेकिन देश को दो भागों में विभाजित कर दिया, जिससे रेलवे पर भी प्रभाव पड़ा क्योंकि नव निर्मित 40% से अधिक नेटवर्क पाकिस्तान में चले गए थे.

दो प्रमुख लाइनें, बंगाल असम और उत्तर पश्चिमी रेलवे को भारतीय रेल प्रणाली से अलग कर दिया गया था.

1951-1952 में, रेलवे नेटवर्क को ज़ोन में पुनर्गठित करना शुरू कर दिया था. भारत और पाकिस्तान के बीच पहली ट्रेन, समझौता एक्सप्रेस, 1976 में अमृतसर और लाहौर के बीच चलना शुरू हुई थी.

1954 में, रेलवे ने 3 टायर रेलवे कोच में सोने की सुविधा को शुरू किया.

1959 में, WAM-1 लोकोमोटिव "जगजीवन राम" को शुरू किया. WAM-1 भारत में पहले चलने वाले AC इलेक्ट्रिक है.

1961 में, CLW (चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स) ने 1500 V DC इलेक्ट्रिक इंजनों का निर्माण शुरू किया, पहला "लोकमान्य" था. ये पहले स्वदेशी डिजाइन किए गए डीसी इलेक्ट्रिक हैं.

1964 में, नई दिल्ली और आगरा के बीच ताज एक्सप्रेस ट्रेन सेवा को पर्यटकों को आगरा जाने और उसी दिन नई दिल्ली लौटने के लिए शुरू किया गया था.

1965 में, रेलवे ने कई मार्गों पर Fast Freight services की शुरुआत की, विशेष रूप से देश के चार प्रमुख महानगरीय शहरों अहमदाबाद, बैंगलोर इत्यादि जैसे अन्य महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ने के लिए.

1966 में, केन्द्रीय यातायात नियंत्रण प्रणाली (Centralized Traffic Control System) को पहली बार 187 किलोमीटर लंबी दूरी पर गोरखपुर और छपरा के बीच भारतीय रेलवे में शुरू किया.

1970 में, भारतीय रेलवे ने अपना अंतिम BG steam engine विकसित किया, जिसे "एंटीम सीतारा" कहा गया.

20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आगे बढ़ते हुए, रेलवे ने तेजी से आधुनिकीकरण की दिशा में कदम उठाया. औपनिवेशिक युग इंजनों को अत्याधुनिक ट्रेनों के साथ बदल दिया गया था.

रेलवे में नई टैकनोलजी: (1980-2000)

1980 और 1990 के बीच लगभग 4,500 किमी ट्रैक विद्युतीकृत किया गया था. इसी बीच, 1984 में कलकत्ता में भारत की पहली मेट्रो प्रणाली खोली गई थी.

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भारतीय रेलवे स्टेशन बोर्ड पर ‘समुद्र तल से ऊंचाई’ क्यों लिखा होता है

हालांकि 80 के दशक में आर्थिक स्थिरता और राजनीतिक उथल-पुथल ने नेटवर्क की वृद्धि को अवरुद्ध कर दिया, लेकिन 90 के दशक में कोकण रेलवे का उद्घाटन हुआ जो कि देश के पश्चिमी तट को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एक 738 किमी का ट्रैक है.

1986 में, भारतीय रेलवे ने नई दिल्ली में कम्प्यूटरीकृत टिकट और आरक्षण शुरू किया.

1990 में, रेलवे ने पहली स्वयं प्रिंटिंग टिकट मशीन (first Self Printing Ticket Machine) नई दिल्ली में शुरू की थी.

ऑनलाइन को स्थानांतरित करना (2000-2017)

2000 से, दिल्ली (2002), बैंगलोर (2011), गुड़गांव (2013) और मुंबई (2014) समेत भारत के प्रमुख शहरों में मेट्रो की शुरुआत हुई.

2002 में रेलवे नेटवर्क में पूर्वी तट, दक्षिण पश्चिमी, दक्षिण पूर्व मध्य, उत्तर मध्य और पश्चिम केंद्रीय रेलवे क्षेत्र का निर्माण हुआ.

इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि भारतीय रेलवे के लिए सबसे बड़ा कदम 2002 में IRCTC प्रणाली के माध्यम से ऑनलाइन ट्रेन आरक्षण और टिकिट लेने का शुभारंभ करना था.

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क्या आप जानते हैं कि यात्रियों ने 2000-2001 की अवधि में ट्रेन के द्वारा 4.5 बिलियन किलोमीटर से अधिक की दूरी को तय किया था.

गतीमान एक्सप्रेस, 160 किमी/घंटा की शीर्ष गति वाली भारत की सबसे तेज ट्रेन ने 5 अप्रैल 2016 को दिल्ली से आगरा तक अपनी पहली यात्रा की और भारतीय रेलवे ने 31 मार्च 2017 को घोषणा की कि देश का पूरा रेल नेटवर्क 2022 तक विद्युतीकृत होगा.

भारतीय रेलवे का भविष्य (2018)

आज, भारतीय रेलवे देश के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क का प्रबंधन करती है, जिसमें देश के 120,000 किमी से अधिक ट्रैक हैं. यानी 1950 तक भारत के रेल नेटवर्क में 53596 मार्ग किलोमीटर थे जो कि बढ़कर लगभग 121,407 किलोमीटर अब तक हो गए हैं.

भविष्य के लिए रेलवे में कई पहलुओं को लेकर तैयारी कर रही है. वर्तमान रेल मंत्री पियुष गोयल के अनुसार 2019 तक 7,000 से अधिक रेलवे स्टेशनों पर मुफ़्त वाईफाई सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी और भारतीय रेलवे ने 2025 तक मुख्य रूप से 25% बिजली की मांग को पूरा करने के लिए ग्रीनर प्रौद्योगिकियों में निवेश किया है जिसमें सौर प्रणाली से बिजली का उत्पादन किया जाएगा.

इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि अंग्रेजों के समय में रेलवे नेटवर्क की शुरुआत हुई और इसको कई उचाईयों पर पहुंचाया गया लेकिन आजादी के बाद भारत में रेलवे को एक और नया रूप मिला जैसे की इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की शुरुआत, Fast Freight services, केन्द्रीय यातायात नियंत्रण प्रणाली, रेलवे ने तेजी से आधुनिकीकरण की दिशा में कदम उठाया, कम्प्यूटरीकृत टिकट, पहली स्वयं प्रिंटिंग टिकट मशीन, मेट्रो की शुरुआत हुई, ऑनलाइन ट्रेन आरक्षण और टिकिट लेने का शुभारंभ हुआ, रेलवे नेटवर्क में वृद्धि हुई इत्यादि और इतना ही नहीं भारतीय रेलवे निरंतर प्रयास कर रही है इसको और उचाईयों पर ले जाने के लिए और आधुनिक सेवाओं को लोगो तक पहुचाने के लिए इत्यादि.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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