भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। इस लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं, जिसमें पहला स्तंभ विधायिका, दूसरा स्तंभ कार्यपालिका, तीसरा स्तंभ न्यायपालिका और चौथा स्तंभ मीडिया है। इन चारों स्तंभ का अपना-अपना महत्वपूर्ण काम है। इसमें मौजूद तीसरा स्तंभ न्यायपालिका अन्य किसी भी स्तंभ पर निर्भर नहीं है। ऐसे में यह निष्पक्ष रूप से अपना निर्णय लेती है। इस कड़ी में लोगों को न्याय दिलाने के लिए अलग-अलग न्यायालय की स्थापना की गई है, जिसमें स्थानीय स्तर से लेकर सुप्रीम स्तर तक कोर्ट शामिल है। हर एक कोर्ट का अपना स्तर है, जो मामले की गंभीरता के साथ उस पर निर्णय लेता है। इस लेख के माध्यम से हम Session Court और High Court के बीच अंतर समझेंगे।
क्या होता है Session Court
Court of Sessions को ही Sessions Court कहा जाता है, जिसकी स्थापना राज्य सरकार द्वारा की जाती है। इस कोर्ट में नियुक्त होने वाले जज की नियुक्ति राज्य के हाई कोर्ट के जज द्वारा की जाती है। हालांकि, यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि राज्य में एक डिविजन में केवल एक ही सेशन कोर्ट होना चाहिए। सेशन कोर्ट में क्रिमिनल से जुड़े मामलों का निपटारा किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, चोरी, डकैती, हत्या व लूटपाट आदि। यदि किसी स्थिति में सेशन जज का पद खाली रहता है, तब हाई कोर्ट द्वारा किसी विशेष मामले में सुनवाई को लेकर किसी अतिरिक्त या सहायक जज का प्रबंध मुख्य ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट द्वारा किया जा सकता है।
क्या होता है High Court
उच्च न्यायालय किसी भी देश में बड़े न्यायालय होते हैं। कुछ देशों में इन्हें सर्वोच्च न्यायालय का दर्जा प्राप्त है। हालांकि, इंगलैंड और भारत में यह दूसरे स्थान पर हैं। प्रत्येक राज्य का अपना एक न्यायालय होता है। आपको बता दें कि उच्च न्यायालय अभिलेख न्यायालय होते हैं, जो कि अपने किसी आदेश की अवमानना की स्थिति में दंड देने का अधिकार रखते हैं, जिसें Contempt of Court भी कहा जाता है। ये न्यायालय किसी भी प्रशासन या न्यायालय के अधिकार से परे होते हैं, हालांकि इनके द्वारा दिए गए किसी भी फैसले से असहमत होने पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। हाई कोर्ट में एक जज अध्यक्षता करता है, जिसे मुख्य न्यायाधीश कहा जाता है। इसके अलावा अन्य जज भी शामिल होते हैं। सभी जज की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वहीं, हाई कोर्ट में जज की संख्या की सीमा नहीं है, बल्कि यह राज्य पर निर्भर करता है। भारत में कुल 25 हाई कोर्ट हैं। इनमें से हरियाणा और पंजाब का ही एक ही हाई कोर्ट चंडीगढ़ में है। वहीं, असम, नागालैंड, मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश का भी एक ही हाई कोर्ट गुवाहटी में है।
Session Court और High Court में प्रमुख अंतर
-Session Court के जज की नियुक्ति हाई कोर्ट के जज द्वारा की जाती है, जबकि High Court के जज की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
-Session Court में क्रिमिनल मामलों का निपटारा किया जाता है, जबकि High Court में निचली अदालत के मामलों को चुनौती दी जा सकती है।
-एक राज्य में कई Session Court हो सकते हैं, जबकि एक राज्य में एक ही High Court हो सकता है।
-सेशन कोर्ट के मामले में हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, लेकिन हाई कोर्ट के मामले की सेशन कोर्ट में चुनौत नहीं दे सकते हैं। हालांकि, यहां पर सुप्रीम कोर्ट विकल्प बचता है।
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