इतिहास की 5 अजीब मगर सच घटनाएं

Jan 22, 2021, 19:36 IST

ऐतिहासिक घटनाओं का विश्व में काफी लंबा इतिहास रहा है जिसने लोगों तक कहीं न कहीं अपनी चाप छोड़ी है. परन्तु इतिहास की कुछ ऐसी भी घटनाएं हैं जो हैं तो बहुत अजीब मगर सच हैं. क्या आप ऐसी घटनाओं के बारे में जानते हैं. अगर नहीं ती आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

5 Events in History that Seem Illogical but are True
5 Events in History that Seem Illogical but are True

जैसा की हम जानतें हैं कि दुनिया को बनाने में लाखों ऐतिहासिक घटनाओं ने अपने-अपने स्थर पर योगदान दिया है.
परन्तु इतिहास में कुछ ऐसी भी घटनाएं हैं जो सच तो हैं लेकिन बहुत ही अजीब हैं. जिनके बारे में जानकार आप भी हैरान हो जाएँगे.
आइये इस लेख के माध्यम से उन घटनाओं के बारे में अध्ययन करते हैं.

1. मुहम्मद बिन तुगलक को इतिहास में बुद्धिमान मूर्ख के रूप में जाना जाता है.

मुहम्मद बिन तुगलक मध्यकालीन भारत के दौरान दिल्ली सल्तनत का सबसे दिलचस्प सुल्तानों में से एक है जिसने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्सों और दक्कन पर भी किया था.

बुद्धिमान मूर्ख के रूप में इसलिए सुल्तान को जाना जाता है क्योंकि प्रशासनिक सुधार करने के लिए वे अधिकतर योजनाएं और निर्णय सही से नहीं ले पाए थे. जैसे कि:

उन्होंने टोकन मुद्रा की शुरुआत की. 14वीं शताब्दी के दौरान, दुनिया भर में चांदी की कमी होने के कारण उन्होंने चांदी के सिक्कों के मूल्य के बराबर तांबा सिक्का पेश किया जो आर्थिक अराजकता का कारण बना.

पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन करने के लिए, उन्होंने अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरित कर दी. उन्होंने नई राजधानी को स्थानांतरित करने के लिए विद्वानों, कवियों, संगीतकार समेत दिल्ली की पूरी आबादी को दौलताबाद शिफ्ट करने को कहा. जब तक लोग दौलताबाद पहुंचे, मुहम्मद बिन तुगलक ने अपना मन बदल दिया और नई राजधानी छोड़ने और अपनी पुरानी राजधानी दिल्ली जाने का फैसला किया.  स्थानांतरण राजधानी की योजना पूरी तरह विफल रही थी.

2. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रूस पर हिटलर का आक्रमण

इतिहासकार एंड्रयू रॉबर्ट्स की किताब “The Storm of War “ के अनुसार 1941 में हिटलर का रूस पर आक्रमण के लिए उसकी सेना आमतौर पर बीमार थी या यह कह सकते है कि वहा के ठंडे वातावरण के हिसाब से तैयार नहीं थी.

हिटलर के आदेश अनुसार जर्मनी ने रूस पर 22 जून, 1941 में आक्रमण शुरू किया. उस समय वहां बहुत ठंड थी और जर्मनी की पुलिस ने रूस में सैनिकों को पर्याप्त ऊनी टोपी, दस्ताने, ओवरकोट, जैसी वस्तुओं को नहीं पहुंचाया था.

युद्ध के दौरान ठंड की वजह से खाना भी पर्याप्त समय तक नहीं पहुंच पाया था और सैनिकों को इतनी ठंड में रहने का कोई अनुभव नहीं था.

ये जानते हुए कि ठंड काफी है, सैनिकों के पास न तो गर्म कपड़े थे और ना ही खाना हिटलर ने युद्ध को नहीं रोका. परिणाम स्वरुप हजारों सैनिकों ने अपने अंग खो दिए थे; उनकी नाक, उंगलियां और अन्य अंग ठंड से फट गए थे. कई सैनिकों ने अपने बालों और पलकों को खो दिया था. आखों से पलके जम गई थी, इतना ही नहीं सैनिक इतने दिनों तक भूख से लड़ते रहे और अंत में हार कर उन्होंने अपने ही घोड़ों को खाना शुरू कर दिया था. इस युद्ध को हिटलर की बड़ी गलती माना गया है.

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3. Matthias Gallas का इतिहास

Matthias Gallas एक सैन्य कमांडर थे, जिन्होंने 1637 में अपनी सेना को बिना किसी भोजन के एक बंजर भूमि में मार्च करने का आदेश दिया था. उसके ज्यादातर सैनिक भूख से मर गए थे. उन्होंने 1638 में अपनी सेना को उसी बंजर भूमि में फिर से ले जाने की गलती को दोहराया था.
1635 में, Gallas और उसके सैनिकों ने Zweibrücken को जब्त कर लिया. उन्होंने तीन महीने तक शहर पर कब्जा कर लिया. आखिरकार, भोजन ख़त्म होने लगा और सेना भूक से मरने लगी थी.

Gallas द्वारा अंतिम गलती 1637 और 1638 में हुई थी. इस लड़ाई में, Gallas ने स्वीडिश जनरल Banér के खिलाफ आदेश दिया था. Banér और उसके सैनिकों ने दो बार उसी बंजर भूमि पर हमला किया, भोजन ख़त्म हो गया और अधिकांश सेना भूख से मरने लगी थी. यह विश्वास करना मुश्किल है कि एक अनुभवी जनरल दो बार एक ही गलती कैसे कर सकता है. इसलिए Matthias Gallas को इतिहास में "army wrecker" या "सेनाओं के विनाशक" के रूप में जाना जाता है.

4. नेपोलियन ने 100 दिनों के लिए पेरिस पर शासन किया

नेपोलियन, एल्बा द्वीप पर अपने निर्वासन से बचने में कामयाब रहा और फ्रांस पहुंचकर पेरिस पर 100 दिनों तक शासन किया.

पेरिस को गठबंधन के द्वारा जीतने के बाद, नेपोलियन को 1814 में इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा और उसे एल्बा द्वीप से निर्वासित कर दिया गया. इस बीच, फ्रांस में, शाही लोगों ने लुई XVIII को सत्ता में ले लिया. 26 फरवरी 1815 को नेपोलियन एल्बा द्वीप से बच निकला और मार्च 1815 को फ्रेंच मुख्य भूमि लौट आया.

लुई XVIII ने नेपोलियन के खिलाफ अपनी सेना 5वीं रेजिमेंट को भेजा, जिसने पहले रूस में नेपोलियन के तहत सेवा की थी. सेना युद्ध में नपोलियन के कहने पर उसकी तरफ हो गई और पेरिस पर 100 दिनों तक शासन किया. इस अवधि को नेपोलियन के सौ दिन अभियान के रूप में जाना जाता है.

5. 1941 का Raseiniai युद्ध

1941 में Raseiniai की लड़ाई में एक एकल सोवियत टैंक ने एक दिन के लिए पूरे जर्मन प्रभाग को रोक दिया था.

Raseiniai के गांव के पास नदी क्रॉसिंग पर नियंत्रण रखने के लिए जर्मन और रूसियों के बीच Raseiniai की लड़ाई लड़ी गई थी. इस लड़ाई का सबसे प्रमुख तत्व टैंक था.

यह एक ऐसे बहादुर रूसी केवी टैंक की कहानी है, जिसने पूरे दिन पूरे जर्मन डिवीजन को रोक कार रखा था. स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह सिंगल टैंक तब तक अपने स्थान पर रहा जब तक जर्मन सेनिक नहीं पहुंचे. उनके पहुँचने पर टैंक को इस्तेमाल किया गया और जर्मन की सेना आगे बढ़ने में असमर्थ रही.

तो ये थीं वो अजीब एतिहासिक घटनाएं जो सच तो हैं लेकिन बहुत अजीब भी हैं.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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