भारतीय रेलवे का 168 साल पुराना इतिहास: जानिए राष्ट्र की जीवन रेखा के बारे में

राष्ट्र की जीवन रेखा कही जाने वाली भारतीय रेलवे की शुरूआत आज से 168 साल पहले अंग्रेज़ों द्वारा शुरू की गई थी। मौजूदा वक्त में ये एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। आइए इस लेख के माध्यम से भारतीय रेलवे के इतिहास पर नज़र डालते हैं। 

Oct 4, 2021, 17:31 IST
भारतीय रेलवे को राष्ट्र की जीवन रेखा क्यों कहा जाता है?
भारतीय रेलवे को राष्ट्र की जीवन रेखा क्यों कहा जाता है?

भारतीय रेलवे को अक्सर राष्ट्र की जीवन रेखा कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय रेलवे न सिर्फ यात्रियों और सामानों का परिवहन करता है बल्कि पूरे देश को भी एक सूत्र में जोड़ता है। हर रोज इससे हज़ारों हज़ार की संख्या में लोग यात्रा करते हैं। भारतीय रेलवे का संचालन रेल मंत्रालय द्वारा किया जाता है। भाप से लेकर मौजूदा वक्त की रेल का इतिहास काफी शानदार है। आइए इस लेख के माध्यम से भारतीय रेलवे के इतिहास पर नज़र डालते हैं। 

भारतीय रेल सेवाओं की शुरूआत

भारतीय रेलवे की शुरूआत अंग्रेज़ों द्वारा 168 साल पहले की गई थी। भारत की पहली यात्री ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को दोपहर 3:30 बजे बोरी बंदर से एक विशाल भीड़ की जोरदार तालियों और 21 तोपों की सलामी के बीच रवाना हुई थी और 34 किलोमीटर दूर ठाणे के बीच  चली थी। इसका संचालन साहिब, सुल्तान और सिंध नामक तीन इंजनों द्वारा किया गया था। 14 बोगियों वाली इस ट्रेन में 400 यात्रियों ने सफर किया था।

15 अगस्त 1854 को पहली यात्री ट्रेन हावड़ा स्टेशन से 24 मील की दूरी पर हुगली के लिए रवाना हुई थी। इस प्रकार ईस्ट इंडियन रेलवे के पहले खंड को सार्वजनिक यातायात के लिए खोल दिया गया था, जिससे पूर्वी हिस्से में रेलवे परिवहन की शुरुआत हुई थी।

पहली ट्रेन के कुछ ही साल बाद भारतीय रेलवे के इंजीनियरों ने भोरे घाट पर एक ट्रैक बनाने का बड़ा काम संभाला था। बॉम्बे को पुणे से जोड़ने के लिए 2000 फीट की ऊंचाई पर ट्रैक को नौ साल की अवधि और बड़ी मानवीय लागत पर बनाया गया था।

बॉम्बे को ठाणे, कल्याण और थाल और भोरे घाटों के साथ जोड़ने के लिए रेलवे का विचार पहली बार 1843 में भांडुप की यात्रा के दौरान बॉम्बे सरकार के मुख्य अभियंता जॉर्ज क्लार्क को हुआ था।

दक्षिण में पहली रेलवे लाइन 1 जुलाई, 1856 को मद्रास रेलवे कंपनी द्वारा खोली गई थी। यह व्यासपदी जीवा निलयम (व्यासरपंडी) और वालाजाह रोड (आरकोट) के बीच 63 मील की दूरी पर चलती थी। उत्तर में 3 मार्च 1859 को इलाहाबाद से कानपुर तक 119 मील लंबी लाइन बिछाई गई थी। हाथरस रोड से मथुरा छावनी तक का पहला खंड 19 अक्टूबर 1875 को यातायात के लिए खोल दिया गया था।

सन् 1864 में उत्तर रेलवे को अपना पहला स्टेशन मिला। ये दिल्ली जंक्शन था जिसे चांदनी चौक के पास उस समय स्थापित किया गया था जब बंगाल से ट्रेनों का संचालन दिल्ली तक शुरू हुआ था। 

इस तरह भारतीय रेलवे नेटवर्क पूरे देश में विकसित हुआ और सन् 1880 तक भारतीय रेल प्रणाली का रूट माइलेज लगभग 9000 मील था। मौजूदा वक्त में भारतीय रेलवे एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।

पहली रेलवे कार्यशाला

भारत की पहली रेलवे कार्यशाला 1862 में बिहार के मुंगेर के पास जमालपुर में स्थापित की गई थी। धीरे-धीरे ये भारत की प्रमुख औद्योगिक इकाईयों में से एक बन गई। 

विश्व विरासत का दर्जा

दार्जिलिंग स्टीम ट्रामवे (दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे) ने सिलीगुड़ी और कुर्सेओंग के बीच अपना पहला खंड 1880 में शुरू किया था। सन् 1881 में लाइन को दार्जिलिंग तक बढ़ा दिया गया था। नैरो गेज पर संचालित होने वाली इस लाइन को 1999 में विश्व विरासत का दर्जा (World Heritage Status) दिया गया था। ये इस तरह का दर्जा पाने वाला एशिया का पहला रेलवे था।

हिल पैसेंजर रेलवे का पहला और अभी तक सबसे उत्कृष्ट उदाहरण नीलगिरि माउंटेन रेलवे है। इसका संचालन 1899 में किया गया था और 1903 में ऊटी तक बढ़ा दिया गया था। इसे 2005 में विश्व विरासत का दर्जा दिया गया था।

कालका शिमला रेलवे 2276 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और कालका को शिमला से जोड़ती है। 96.54 किमी लंबी इस नैरो गेज रेलवे को 9 नवंबर 1903 को यातायात के लिए खोला गया था और 2008 में इसे विश्व विरासत का दर्जा दिया गया था।

लोकोमोटिव डिजाइन में प्रगति

सन् 1855 में फेयरी क्वीन (EIR-22) का निर्माण में किया गया था जो दुनिया के सबसे पुराना भाप इंजन है। इंग्लैंड में निर्मित इस इंजन को पश्चिम बंगाल में लाइट मेल ट्रेनों को चलाने के लिए भारत लाया गया था। इसका संचालन दो सिलेंडरों द्वारा किया जाता है।

फेयरी क्वीन का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है। इसे मार्च 2000 में इंटरनेशनल टूरिस्ट ब्यूरो, बर्लिन में हेरिटेज अवार्ड मिला। दिल्ली का मुख्य स्टेशन ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है। ये दुनिया का सबसे बड़ा रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम है।

भारत में पहली स्टीम लोकोमोटिव का निर्माण

सन् 1895 में अजमेर वर्कशॉप में भारत में पहला स्टीम लोकोमोटिव पूरी तरह से निर्मित किया गया था। एफ -734 लोकोमोटिव राजपुताना मालवा रेलवे का हिस्सा बन गया था और मध्य भारत के साथ यात्री और मालगाड़ी दोनों में उपयोग किया जाता था। ये लोकोमोटिव 63 वर्षों तक सेवा में रहा और इस तरह देश में लोकोमोटिव के निर्माण की शुरुआत हुई थी।

भारत का पहला समुद्री पुल

24 फरवरी 1914 को पंबन ब्रिज खोला गया था जो भारत का पहला समुद्री पुल था। यह पंबन द्वीप पर रामेश्वरम को मुख्यभूमि भारत से जोड़ने वाला एक रेलवे सेतु है। इसमें एक डबल-लीफ बेसक्यूल सेक्शन है, जिसे जहाजों और बार्ज को गुजरने देने के लिए उठाया जा सकता है।

भारत का पहला रेल संग्रहालय

भारत का पहला रेल संग्रहालय, राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, 1977 में नई दिल्ली में स्थापित किया गया था। भारतीय रेलवे के पास अब पूरे देश में फैले 33 संग्रहालय, विरासत पार्क और गैलरी हैं। राष्ट्रीय रेल संग्रहालय भारतीय रेलवे के इतिहास पर सबसे व्यापक संग्रहों में से एक है। सदियों पुराने लोकोमोटिव से लेकर मॉडल और सूचनात्मक पैनल और गेम तक भारत रेलवे का पूर्ण इतिहास यहां मौजूद है। 

यात्रियों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम

मैजूदा वक्त में भारतीय रेलवे से लगभग 13 मिलियन यात्री सफर करते हैं जिनकी सुरक्षा प्रणाली रेलवे के लिए सर्वोपरि है। रेलवे अनुभागों के बेहतर प्रबंधन के लिए कई उपकरणों का विकास, नियमित सुरक्षा मानदंडों का पालन और प्रौद्योगिकी के नवीन उपयोग के माध्यम से यात्री सुरक्षा की दिशा में कई महत्तवपूर्ण कदम उठाए हैं।   

आने वाले वर्षों में रेलवे की पुरानी संपत्तियों जैसे खराब पड़े पुल, पुराने ट्रैक, सिग्नलिंग सिस्टम और अन्य सुरक्षा बढ़ाने वाले उपकरणों को बदला जाएगा। कोंकण रेलवे द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-कोलिज़न डिवाइस (एसीडी) का परीक्षण चल रहा है। यह तकनीक ट्रेनों के बीच टक्कर के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने में मदद करेगी।

रेल यात्रियों की सुरक्षा वर्तमान में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और सरकारी रिजर्व पुलिस (जीआरपी) की साझा जिम्मेदारी है। ट्रेनों में और रेलवे परिसर के भीतर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आरपीएफ को अधिक अधिकार देने के लिए रेलवे अधिनियम में संशोधन के प्रयास जारी हैं। महिला यात्रियों की सुरक्षा और सहायता के लिए महिला पुलिस बल की तैनाती की गई है।

भारतीय रेलवे ने अपने संचालन से लेकर अब तक कई गुना वृद्धि और विस्तार किया है, लेकिन अभी भी कई जगहों पर इसका विस्तार होना बाकी है जिससे हर भारतीय तक ये सुविधा पहुंच सके। 

रेलवे में टर्मिनल, जंक्शन और सेंट्रल स्टेशन के बीच क्या अंतर होता है?

जानें भारत में पहली ट्रेन कब और कहां से चली थी?

Arfa Javaid
Arfa Javaid

Content Writer

Arfa Javaid is an academic content writer with 2+ years of experience in in the writing and editing industry. She is a Blogger, Youtuber and a published writer at YourQuote, Nojoto, UC News, NewsDog, and writers on competitive test preparation topics at jagranjosh.com

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