प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) के लिए कैसे करें आवेदन? और कैसे उठाएं लाभ?

30 जून 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के नवंबर महीने के आखिर तक विस्तार की घोषणा की. महत्वपूर्ण लॉकडाउन अवधि के दौरान, पीआईबी के अनुसार "80 करोड़ गरीबों को हर महीने 5 किलो गेहूं या चावल और 1 किलो पसंदीदा दालें मुफ्त मिलीं." उन्होंने कहा कि योजना के विस्तार से 90,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि समय पर लॉकडाउन और अन्य फैसलों ने देश में लाखों लोगों की जान बचाई. जैसा कि अब हमने 'अनलॉक 2' चरण में प्रवेश किया है, उन्होंने नागरिकों को सोशल डिस्टन्सिंग मानदंडों को बनाए रखने और COVID-19 के प्रसार को तोड़ने के लिए सावधानी बरतने की चेतावनी दी है.
कोरोना संकट से निपटने के लिए भारत सरकार ने 'गरीब कल्याण पैकेज' की घोषणा 26 मार्च, 2020 को की थी ताकि लॉकडाउन के समय में कोई भी गरीब भूखा ना रहे और जरुरतमंदों को लाभ दिया जा सके. इसके तहत 1.70 लाख करोड़ रूपये के राहत पैकेज की घोषणा की गई थी. सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना इस मुश्किल समय में मददगार साबित हुई है. आइये जानतें है इस योजना और कैसे इसके लिए करें आवेदन?
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत विभिन्न पैकेजों की घोषणा की गई है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले 3 महीने तक व्यापार और श्रमिकों के लिए ईपीएफ समर्थन को जारी रखने का फैसला किया गया है यानी अगस्त तक.
यहीं आपको बता दें कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत केंद्र सरकार ने 80 करोड़ गरीबों को अगले तीन महीने ( मार्च, अप्रैल और मई) तक हर माह 5 किलो गेहूं या चावल और पसंद की 1 किलो दालें मुफ्त उपलब्ध कराना था. जिसे अब बढ़ाकर नवंबर के आखिर तक कर दिया गया है. गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा का मुख्य उद्देश्य निर्धनतम लोगों के हाथों में भोजन एवं पैसा देकर उनकी मदद करना है, ताकि उन्हें आवश्यक आपूर्ति या वस्तुओं को खरीदने और अपनी अनिवार्य जरूरतों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना न करना पड़े.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के बारे में
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) भारत सरकार द्वारा 2016 में शुरू की गई थी. इस योजना के तहत सरकार ने लोगों को अपनी अघोषित आमदनी पर जुर्माना सहित ब्याज चुकाने का मौका दिया था. इसके तहत हुए खुलासे पर 50 फीसदी टैक्स और जुर्माना लगेगा. बाकी की 25 फीसदी रकम 4 साल के लिए बैंक में ही जमा रहेगी जिस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित कोरोना राहत 'गरीब कल्याण पैकेज' के अनुसार:
- बैंक शाखाओं को खोलने का प्रावधान.
- भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों के लिए कल्याण कोष में लगभग 3.5 करोड़ पंजीक्रत श्रमिक हैं. इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने राज्यों को राहत प्रदान करने के लिए 31,000 करोड़ रुपये के धन का उपयोग करने के आदेश पारित किए हैं.
- PMGKY के तहत गरीबों और प्रवासियों के लिए नकद राशि का हस्तांतरण.
- PMGKY (अन्न योजना) के तहत लगभग 80 करोड़ व्यक्तियों को कवर किया जाएगा. इसके तहत सभी को पहले से जो कुछ भी मिल रहा है, उसके अतिरिक्त 5-5 किलो गेहूं या चावल मिलेगा. ये उस पर निर्भर करता है की वो चावल लेता है या गेहू. कोरोना के संकट में प्रोटीन की महत्ता को देखते हुए सरकार अगले तीन महीनों के लिए प्रत्येक घर को उनकी पसंद की 1 किलो दाल भी उपलब्ध कराएगी. अब इसे बढ़ाकर नवंबर के आखिर तक कर दिया गया है.
- प्रति स्वास्थ्यकर्मी को ₹ 50 लाख का मेडिकल बीमा कवर.
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- PM-KISAN योजना के माध्यम से, किसानों को हर साल ₹6000 मिल रहे हैं. अप्रैल 2020 में इसकी पहली किस्त 2000 रूपये सरकार द्वारा खाते में डाल दी जाएगी. अनुमान है कि लगभग 8.69 करोड़ किसानों को इससे तुरंत लाभ होने की उम्मीद है.
- सरकार को उम्मीद है कि मनरेगा के जरिए लगभग 13.62 करोड़ परिवारों को फायदा होगा. PMGKY के तहत 1 अप्रैल, 2020 से मनरेगा मजदूरी में 20 रुपये की बढ़ोतरी की जाएगी. मनरेगा के तहत मजदूरी बढ़ने से प्रत्येक श्रमिक को सालाना 2,000 रुपये का अतिरिक्त लाभ होगा.
- कुल आठ भागों में किसानों, मनरेगा, विधवाओं, गरीब पेंशनरों, दिव्यांग, जन धन योजना के तहत महिलाओं, उज्जवला योजना के तहत महिलाओं और परिवारों, आजीविका मिशन, महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह, ईपीएफओ, निर्माण श्रमिकों के तहत संगठित श्रमिक और जिला खनिज निधि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से नकद हस्तांतरण किया जाएगा.
- अगले तीन महीनों के लिए, दिव्यांग, गरीब वरिष्ठ नागरिक, विधवाओं को, ₹1000 दिए जाएंगे.
- स्वयं सहायता समूह: 63 लाख स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से संगठित महिलाएं 85 करोड़ परिवारों को आवश्यक सहयोग देती हैं. कोलैटरल मुक्त ऋण देने की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की जाएगी.
- गरीबी रेखा से नीचे की आबादी यानी लगभग 3 करोड़ परिवारों को तीन महीने के लिए मुफ्त एलपीजी सिलेंडर दिया जाएगा.
- अगले तीन महीनों के लिए भारत सरकार कर्मचारी और नियोक्ता दोनों (12% प्रत्येक), ईपीएफ योगदान का भुगतान करेगी. मुख्य रूप से, यह लाभ उन कंपनियों को मिलेगा जिसमें 100 से कम कर्मचारी कार्य करते हैं तथा 15,000 से कम कमाते हैं. अब इसको अगले तीन और महीनों के लिए भी बढ़ा दिया गया है यानी अगस्त तक भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए. यानी 3 और महीनों के लिए व्यापार और श्रमिकों के लिए 2500 करोड़ ईपीएफ का समर्थन.
2,500 करोड़ रुपए की लिक्विडिटी सपोर्ट वाले सभी प्रतिष्ठानों के लिए ईपीएफ राहत GOI नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को प्रदान करेगा - 12% योगदान. इससे करीब 3.6 लाख प्रतिष्ठानों और 72.22 लाख कर्मचारियों को होगा फायदा.
- संगठित क्षेत्र के लिए, ईपीएफओ योजना के नियमों में संशोधन किया जाएगा ताकि कर्मचारियों कोअपने खातों से कुल राशि के 75 प्रतिशत का गैर-वापसी योग्य अग्रिम या तीन माह का पारिश्रमिक, इनमें से जो भी कम हो, प्राप्त करने की अनुमति दी जाएगी. ईपीएफ के तहत पंजीकृत चार करोड़ कामगारों के परिवार इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं.
- जन धन खाताधारक जो लगभग 40 करोड़ महिलाएं हैं, उन्हें अपने घरों के खर्चों को चलाने के लिए अगले तीन महीनों के लिए 500 रूपये प्रति माह की अनुग्रह राशि दी जाएगी. लोगों को 1 अप्रैल, 2020 से योजना का लाभ मिलना शुरू हो गया है.
आइये अब प्रधानमंत्री राशन सब्सिडी योजना के लाभ के बारे में देखते हैं.
इस योजना के तहत सभी राशन कार्ड धारक लाभ उठा सकते है और देश के लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को राशन सब्सिडी प्रदान की जाएगी. देश में लोगो को तीन महीने तक गेहू 2 रूपये प्रतिकिलो और चावल 3 रूपये प्रतिकिलो की दर से राशन की दुकानों पर दिया जायेगा. यहीं आपको बता दें कि प्रधानमंत्री राशन सब्सिडी योजना के अंतर्गत 80 करोड़ लाभार्थियों को 3 महीने तक 7 किलो राशन सरकार द्वारा प्रदान किया जायेगा.
उम्मीदवारों को गरीब कल्याण योजना के लाभों के लिए पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं है. इसके लिए सरकार ने कोई मैन्युअल जारी नहीं किया है. राशन उपलब्ध होने पर आपको अपने राशन डीलर के संपर्क में होना चाहिए, कुछ जिले में सरकार ने वितरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जिन्हें पैसे आने हैं वो डीबीटी मोड के माध्यम से उनके अकाउंट में आएंगे.
तो ये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज हैं जो गरीब और जरूरतमंदों के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लॉकडाउन के दूसरे दिन घोषित किए गए थे, ताकि दैनिक वेतनभोगी श्रमिकों को अर्थव्यवस्था संकट से लड़ने के लिए लाभ मिल सके.
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