गंगा नदी के किनारे बसा सबसे छोटा शहर कौन-सा है, जानें

गंगा नदी भारत की प्रमुख नदियों में शामिल है। साथ ही, यह नदी भारत की सबसे लंबी नदियों में भी शामिल है, जिसकी कुल लंबाई 2525 किलोमीटर है। इसके किनारे भारत की कई प्रमुख शहर बसे हैं, हालांकि, क्या आप जानते हैं कि गंगा नदी के किनारे बसा सबसे छोटा शहर कौन-सा है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

Apr 21, 2025, 17:47 IST
गंगा नदी
गंगा नदी

भारत में यदि प्रमुख नदियों की बात करें, तो इनमें गंगा नदी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। यह नदी भारत की सबसे पवित्र नदी भी कही जाती है, जो कि 2525 किलोमीटर लंबाई के साथ सबसे लंबी नदियों में शामिल है। इस नदी के किनारे भारत के कई बड़े और प्रमुख शहर बसे हुए हैं, हालांकि क्या आप जानते हैं कि गंगा नदी के किनारे बसा सबसे छोटा शहर कौन-सा है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

कहां से निकलती है गंगा नदी 

गंगा नदी का उद्गम हिमालय में गोमुख स्थान से होता है, जिस जगह को गंगोत्री भी कहा जाता है। हालांकि, नदी का उद्गम भागीरथी और अलकनंदा को मिलाकर होता है। ये दोनों नदियां, जिस जगह पर मिलती हैं, उस स्थान को देवप्रयाग नाम से जाना जाता है। 

कितने राज्यों में बहती है गंगा नदी 

गंगा नदी उत्तराखंड से निकलने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य में अपनी सबसे लंबी यात्रा पूरी करती है। इसके बाद यह बिहार व झारखंड में बहते हुए पश्चिम बंगाल में फरक्का नामक स्थान से दो धाराओं में बंटकर बांग्लादेश होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। इसकी एक धारा को हुगली और बांग्लादेश में पद्मा नाम से जाना जाता है। 

इस शहर से मैदान में उतरती है गंगा 

गंगा नदी हिमालय की गोद से निकलने के बाद घाटियों में बहती है। घाटियों में लंबा सफर तय करने के बाद यह हरिद्वार शहर से पहली बार मैदानी इलाकों में उतरती है और आगे का सफर मैदानी इलाकों से होते हुए पूरा करती है। 

गंगा किनारे बसा सबसे छोटा शहर 

गंगा नदी के किनारे सबसे छोटे शहर की बात करें, तो यह ऋषिकेश शहर है। यह शहर उत्तराखंड में स्थित है, जो कि हरिद्वार से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर है। यह शहर केवल 11.5 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। ऐसे में यह शहर गंगा किनारे बसा सबसे छोटा शहर है। 

क्या है शहर का इतिहास 

शहर के इतिहास की बात करें, तो आठवीं शताब्दी में शंकराचार्य ने यहां भगवान विष्णु की एक शालिग्राम से बनी प्रतिमा को पुनर्स्थापित किया था। ऐसे में यह स्थान शुरू से ही तपस्या और ध्यान का केंद्र रहा है। तीर्थयात्री हिमालय की उच्च चोटियों में जाने से पहले यहां विश्राम किया करते थे। ऐसे में इस स्थान का अधिक महत्त्व है।

1960 के दशक में बीटल्स बैंड के महर्षि महेश योगी के आश्रम में आने के बाद ऋषिकेश को पश्चिमी देशों में भी ख्याति पाने का अवसर मिला। वर्तमान में ऋषिकेश को "विश्व योग राजधानी" के रूप में जाना जाता है। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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