वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा बिल कैसे ग्राहकों के बैंक में जमा धन को प्रभावित करेगा?

Feb 19, 2018, 21:47 IST

सरकार ने लोकसभा में अगस्त में FRDI बिल, 2017 रखा था, जिसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया है. अब इसे संसद के शीतकालीन सत्र में सामने लाया जाएगा. इस बिल में वित्तीय सेवा प्रदाताओं के दिवालियापन से निपटने की बात की गई है. इस बिल में यह प्रावधान है कि बैंक लोगों के जमा धन को वित्तीय संकट के समय देने से मना कर सकता है.

Financial Resolution and Deposit Insurance -FRDI Bill
Financial Resolution and Deposit Insurance -FRDI Bill

भारत के 38 सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंकों की कुल गैर निष्पादित संपत्तियां (NPA) जून, 2017 तिमाही के अंत में 829336 लाख करोड़ रुपये पर पहुँच चुका हैं. यह हिस्सा अब तक बैंकिंग उद्योग द्वारा दिए गए कुल ऋण का करीब 11% है. स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया का NPA जून 2017 में 1 लाख 88 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है जबकि सभी कमर्शियल बैंकों का NPA; 8 लाख करोड़ से ऊपर का हो गया है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSBs), बैंकिंग क्षेत्र के कुल NPA के 90% हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं. सरकारी रिपोर्ट बताती है कि आम भारतीय का 63% पैसा सार्वजनिकि क्षेत्र के बैंकों में जमा है और 18% ही निजी बैंकों में जमा है.
गैर निष्पादित संपत्तियां (NPA) बैंक की उस उधार दी गयी राशि को कहा जाता है जिसका मूलधन और ब्याज 180 दिनों के बाद भी बैंक को नही मिलता है. बैंकों की गैर निष्पादित संपत्तियां (NPA) बढ़ने से बैंकों का पैसा जाम हो जाता है जिससे उनके दीवालिया होने की संभावना बढ़ जाती है. बैंकों को इसी दीवालियेपन से सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा बिल (Financial Resolution and Deposit Insurance -FRDI) संसद के शीतकालीन सत्र में ला रही है. इसलिए इस लेख में हमने यह बताने का प्रयास किया है कि इस बिल से खाता धारकों पर क्या फर्क पड़ेगा.
वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा विधेयक (Financial Resolution and Deposit Insurance -FRDI)क्या है?
सरकार ने लोकसभा में अगस्त में FRDI बिल, 2017 रखा था, जिसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया है. अब इसे संसद के शीतकालीन सत्र में सामने लाया जाएगा. इस बिल में वित्तीय सेवा प्रदाताओं के दिवालियापन से निपटने की बात की गई है. इसके तहत एक ऐसे कॉर्पोरेशन की स्थापना की बात कही गई है जिसके पास वित्तीय फर्म को संपत्तियों के ट्रांसफर, विलय या एकीकरण, दिवालियापन आदि से संबंधित कई अधिकार होंगे.
इसके द्वारा बैंकों की खराब हालत पर उन्हें उबारने के लिए लोगों के जमा धन का इस्तेमाल नहीं करने की बात कही जा रही है.अर्थात इस बिल से बैंकों को वित्तीय संकट के समय लोगों के जमा धन को इस्तेमाल करने की अनुमति मिल जाएगी.

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वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा विधेयक (FRDI) में से 'बेल-इन' के प्रावधान सरकारी संस्था को अधिकार देते हैं कि वह दिवालिया होने की कगार पर पहुंचे बैंक को बचाने के लिए जमाकर्ताओं के पैसे का इस्तेमाल कर सके. नए बिल के अनुसार, भले ही ग्राहक ने इस रुपये को अपनी किसी परेशानी को कम करने के लिए जमा किया हो लेकिन बैंक इस जमा से अपनी परेशानी ठीक करेगा. यानिकी बैंक आपको आपका जमा पैसा देने से मना कर सकता है लेकिन वर्तमान में ऐसा नही कर सकता है.
वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा विधेयक (FRDI) में से 'बेल-इन' के प्रावधान क्या है?
1.‘बेल-इन’ नाम से एक प्रावधान आ रहा है जो प्रस्तावित रेजोलुशन कॉरपोरेशन को अधिकार देगा कि वह बैंकों की लायबिलिटी को रद्द कर दे या बैंक लंबे समय तक के लिए निवेश कर दें.
2. जो पैसा आप बैंकों में फिक्स डिपोज़िट या आम डिपोज़िट जमा करते हैं उसे लायबिलिटी कहते हैं. अभी तक बैंक आपसे वादा करता है कि जब आप पैसा मांगेंगे तब वह लौटा देगा. अब इस FDRI बिल के आने के बाद बैंक आपको पैसा देने से मना कर सकते हैं और बदले में आपको कुछ शेयर या सिक्योरिटी पेपर थमा दे.
3.FDRI बिल के प्रावधानों में कहा गया है कि बैंक खातों में जमा आपका पैसा आपका नहीं होगा अर्थात इस जमा धन पर पहला हक़ बैंकों का होगा.
4. बिल में सुझाव दिया गया है कि 'बेल-इन' प्रावधान के इस्तेमाल से देनदारी को खत्म किया जा सकता है, जो बैंक में जमा धनराशि को भी प्रभावित कर सकता है या नियम व शर्तों में बदलाव हो सकता है. गौरतलब है कि डिपॉजिट इंश्योरेंस स्कीम फिलहाल सभी बैंकों, वाणिज्यिक, क्षेत्रीय ग्रामीण और कोऑपरेटिव बैंकों को कवर करती है.

fixed deposits
5. डिपाजिट इन्शुरन्स एंड गारंटी कारपोरेशन को भी ख़त्म किया जा सकता है, जिसके तहत यह प्रावधान है कि यदि बैंक कोई डूबने वाला है और किसी के खाते में 10 लाख रुपये जमा है तो ऐसी हालत में ग्राहक का एक लाख रुपये लौटाए जाने की व्यवस्था है लेकिन 9 लाख रुपया डूब जायेगा. इसकी जगह नए कानून में बैंकों को यह छूट दी जा रही है कि आपका पैसा लौटना है या नही ये बैंक तय करेगा कितना लौटाया जायेगा ये भी बैंक तय करेगा, किस रूप में लौटाया जायेगा कैश में या बैंक के शेयर में; यह बैंक ही तय करेगा.
6. इस बिल में बैंकों से यह कहा जायेगा कि यदि वे डूबते हैं तो अपने आप को खुद ही बचाने के उपाय करें.
7. बिल के चैप्टर 4 सेक्शन 2 के मुताबिक रेज़ोल्यूशन कॉरपोरेशन; रेग्यूलेटर से सलाह-मशविरे के बाद ये तय करेगा कि दिवालिया बैंक के जमाकर्ता को उसके जमा पैसे के बदले कितनी रकम दी जाए, पूरा या सिर्फ आधा.
तो इस प्रकार आपने पढ़ा कि यह नया बिल किस तरह से बैंकिग के क्षेत्र में परिवर्तन करने जा रहा है और इससे किस तरह ग्राहकों के जमा पैसे पर फर्क पड़ेगा.

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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