हमारे सौर मंडल में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां सभी प्रकार का जीवन अस्तित्व में है। इसका कारण यहां पर मौजूद कंट्रोल सिस्टम है जिसके अंतर्गत समुद्र, भूमि, वायु, पौधे, जीव-जंतु एवं सूर्य से प्राप्त होने वाले उर्जा शामिल हैं। यह सभी मिलकर पृथ्वी पर जीवन की मौजूदगी के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करते हैं। सौर उर्जा के पृथ्वी पर आने और यहां से परावर्तित होने पर उर्जा का सटीक संतुलन तैयार होता है जिससे यहां जीवन के लिए सही परिस्थितयों का निर्माण होता है। लेकिन स्ट्रैटोस्फेरिक सलफेट एयरोसोल (stratospheric sulphate aerosols) के आवश्यकता से अधिक उपयोग के कारण ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी स्थितियां पैदा हुई हैं। मौजूदा समय में बहुत से पर्यावरणविद ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए जलवायु इंजीनियरिंग पर काम कर रहे हैं।
सोलर जियो-इंजीनियरिंग क्या है?
इसे सौर विकिरण प्रबंधन (SRM) भी कहा जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पृथ्वी के वायुमंडल या सतह की परावर्तकता (एल्बिडो) को जीएचजी-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कुछ प्रभावों को ऑफसेट करने के प्रयास से बढ़ाया जा सकता है यह तकनीक ठीक उसी प्रकार कार्य करती है जैसे बड़े ज्वालामुखी विस्फोट के बाद अपने राख या ऐसी ही अन्य चीजों से सूर्य को ढक कर पृथ्वी को ठण्डा कर देती है।
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सोलर जियो-इंजीनियरिंग के तरीके
1. स्पेस-आधारित विकल्प / स्पेस सनशेड्स जैसे अंतरिक्ष में दर्पण का उपयोग करना, लैग्रेंज प्वाइंट 1, अंतरिक्ष छत्र आदि पर विशाल उपग्रह रखना।
2. स्ट्रैटोस्फियर-आधारित विकल्प जैसे स्ट्रैटोस्फीयर में सल्फेट एरोसोल के इंजेक्शन।
3. क्लाउड-आधारित विकल्प / क्लाउड सीडिंग जैसे मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग (हवा में एक अच्छा समुद्री जल स्प्रे करके), विषम बर्फ के नाभिक के साथ उच्च सिरस बादलों का बीजारोपण।
4. भूतल-आधारित विकल्प जैसे छतों को सफेद करना, अधिक चिंतनशील फसलें उगाना, आदि।
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सौर विकिरण प्रबंधन पर पहल
यह एक अंतरराष्ट्रीय, गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित परियोजना है, जो डस्टिन मॉस्कोविट्ज़ (फेसबुक के सह-संस्थापक) द्वारा वित्तपोषित है, जो सौर विकिरण प्रबंधन, जलवायु इंजीनियरिंग अनुसंधान प्रशासन की चर्चा को विकासशील देशों तक विस्तारित करने के लिए है। यह पहल रॉयल सोसाइटी और विज्ञान अकादमी के लिए विकासशील दुनिया (TWAS) और पर्यावरण रक्षा निधि (EDF) के बीच एक साझेदारी है।
पहल का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी जियोइंजीनियरिंग अनुसंधान जो प्रयोगशाला के अंदर या बाहर होता है वो जिम्मेदारी से हो, पारदर्शी और पर्यावरण के अनुरोप हो।
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