जानें नेशनल मेडिकल कमीशन बिल क्या है

Jan 18, 2018, 18:59 IST

नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के पारित होने पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगी और उसकी जगह नेशनल मेडिकल कमीशन लेगी. भारत में अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया की ज़िम्मेदारी थी. इस बिल के पारित होने के बाद सम्पूर्ण देश में मेडिकल शिक्षा और मेडिकल सेवाओं से संबंधित सभी नीतियों को बनाना इस कमीशन के हाथ में होगा. आइये इस लेख के माध्यम से नेशनल मेडिकल कमीशन बिल क्या है और इसका क्या प्रभाव होगा के बारे में अध्ययन करते हैं.

What is Medical Commission Bill
What is Medical Commission Bill

नेशनल मेडिकल कमीशन बिल को स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने लोकसभा में रखा था. अगर ये विधेयक लोक सभा में पारित होता है तो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council Of India, MCI) खत्म हो जाएगी और उसकी जगह नेशनल मेडिकल कमीशन (National Medical Commission, NMC) लेगी. क्या आप जानते हैं कि भारत में अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया (MCI) की ज़िम्मेदारी थी. इस बिल के पारित होने के बाद सम्पूर्ण देश में मेडिकल शिक्षा और मेडिकल सेवाओं से संबंधित सभी नीतियों को बनाना इस कमीशन के हाथ में होगा. डॉक्टरों की हड़ताल के बाद इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी को सौंप दिया गया है. आइये इस लेख के माध्यम से जानते है कि आखिर नेशनल मेडिकल कमीशन बिल क्या है और इसके आने से क्या असर होगा.
नेशनल मेडिकल कमीशन बिल क्या है

What is National Medical Commission Bill
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नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के तहत चार स्वायत्त बोर्ड बनाने का प्रावधान है. जिसमें 25 सदस्य राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग इस संरचना के शीर्ष पर होंगे. यानी NMC एक 25 सदस्यीय संगठन होगा जिसमें एक अध्यक्ष, एक सदस्य सचिव, आठ पदेन सदस्य और 10 अंशकालिक सदस्य आदि शामिल होंगे. इस कमीशन का काम अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षा को देखना, साथ ही चिकित्सा संस्थानों की मान्यता और डॉक्टरों के पंजीकरण की व्यवस्था को भी देखना होगा. इस कमीशन में सरकार द्वारा नामित चेयरमैन और सदस्य होंगे जबकि बोर्डों में सदस्य, सर्च कमेटी द्वारा तलाश किए जाएंगे. यह कैबिनेट सचिव की निगरानी में बनाई जाएगी. हम सब जानते है की इस बिल को स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने लोकसभा में रखा था और कुछ बदलाव के कारण इसको स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया है.

इंटरपोल द्वारा किस प्रकार के नोटिस जारी किए जाते हैं?
नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के प्रावधान

Provisions of National Medical Commission Bill
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1. चार स्वायत्त बोर्ड : इस बिल में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017 के तहत चार स्वायत्त बोर्ड बनाने का प्रावधान है. जिसमें अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षा को देखने के अलावा चिकित्सा संस्थानों की मान्यता और डॉक्टरों के पंजीकरण की व्यवस्था को देखना होगा. सरकार द्वारा नामित चेयरमैन व सदस्य इस कमीशन में होंगे और बोर्डों में सदस्य सर्च कमेटी के जरिये रखे जाएंगे. इसको कैबिनेट सचिव की निगरानी में बनाया जाएगा.
2. मेडिकल एडवाइज़री काउंसिल: केंद्र सरकार के द्वारा एक काउंसिल का गठन किया जाएगा जिसमें मेडिकल शिक्षा और ट्रेनिंग के बारे में राज्यों को अपनी समस्याएं और सुझाव रखने का मौका दिया जाएगा. मेडिकल शिक्षा को कैसे सुलभ बनाया जाए ये काउंसिल मेडिकल कमीशन को सुझाव देगी.
3. दाख़िले के लिए इंट्रेंस परीक्षा देना होगा: इस विधेयक के आते ही सम्पूर्ण भारत में मेडिकल संस्थानों में दाख़िले के लिए सिर्फ एक परीक्षा ली जाएगी और इस परीक्षा का नाम NEET होगा जिसका अर्थ है नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट.
4. लाइसेंस परीक्षा आयोजित होगी: इस विधेयक में साझा प्रवेश परीक्षा के साथ लाइसेंस परीक्षा (Exit exam) आयोजित कराने का भी प्रस्ताव है. ग्रेजुएटस को प्रैक्टिस करने के लिए परीक्षा देनी होगी तभी मेडिकल प्रैक्टिस का लाइसेंस मिल सकेगा. इसी परीक्षा के आधार पर पोस्टग्रेजुएशन के लिए भी दाखिला होगा और सीटों को बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा गया है.
5. मेडिकल संस्थानों की फीस को तय किया जाएगा: निजी मेडिकल संस्थानों की फीस को भी ये कमीशन तय करेगा लेकिन सिर्फ 40 फीसदी सीटों पर ही और 60 फीसदी सीटों पर निजी संस्थान खुद फीस तय कर सकते हैं. यानी ऐसा कहा जा सकता है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15% सीटों का फीस मैनेजमेंट तय करती थी लेकिन अब नए बिल के मुताबिक मैनेजमेंट को40% सीटों की फीस तय करने का अधिकार होगा.
6. ब्रिज कोर्स का प्रस्ताव: बिल के क्लॉज़ 49 के अनुसार ब्रिज कोर्स के तहत आयुर्वेद, होम्योपेथी, यूनानी डॉक्टर भी एलोपेथी का इलाज कर पाएंगे.
7. क्या कहता है बिल का 58 क्लॉज़: इस विधेयक के आते ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) खत्म हो जाएगी और इसमें काम कर रहे कमचारी और अधिकारीयों को तीन महीने की तनख्वाह और भत्ते देने के बाद, उनकी सेवाओं को समाप्त कर दिया जाएगा.
8. इस विधेयक के अनुसार नियुक्ति कैसे होगी: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अधिकारियों की नियुक्ति चुनाव से होती थी लेकिन मेडिकल कमीशन में सरकार द्वारा गठित एक कमेटी अधिकारियों को मनोनीत करेगी.
अगर यह बिल पास हुआ तो क्या असर पड़ेगा
अगर यह विधेयक पास होता है तो पहले प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी सीटों की फीस मैनेजमेंट तय करती थी, लेकिन अब नए बिल के मुताबिक मैनेजमेंट 40 फीसदी सीटों की फीस तय कर पाएगी. आईएमए के पूर्व प्रेसिडेंट केके अग्रवाल के मुताबिक, इस बिल में अल्टरनेटिव मेडिसिन यानी होम्योपैथी, आयुर्वेद, यूनानी, आयुष डॉक्टर्स को भी मॉडर्न मेडिसिन प्रैक्टिस करने की अनुमति मिल जाएगी, ब्रिज कोर्स प्रप्रोजल के जरिये. जबकि, इसके लिए कम-से-कम एमबीबीएस क्वालिफिकेशन का होना जरुरी होता है. इस कानून के आते ही पूरे भारत के मेडिकल संस्थानों में दाखिले के लिए सिर्फ एक परीक्षा ली जाएगी. इस परीक्षा का नाम NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट) रखा गया है. इसके लिए ग्रेजुएशन के बाद डॉक्टरों को बस एक परीक्षा देनी होगी और उसके बाद ही मेडिकल प्रेक्टिस का लाइसेंस मिल सकेगा. इसी परीक्षा के आधार पर पोस्टग्रेजुएशन के लिए दाखिला होगा.
उपरोक्त लेख से ज्ञात होता है कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल क्या है, इसमें क्या-क्या प्रावधानों को रखा गया है और इसके आने से क्या प्रभाव पड़ेगा.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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