पुलिस कमिश्नरी सिस्टम क्या होता है और इसे क्यों लागू किया जाता है?

Jan 14, 2020, 15:54 IST

कानून और व्यवस्था की बिगडती हालत को देखते हुए योगी सरकार ने प्रदेश के दो बड़े शहरों नॉएडा और लखनऊ में पुलिस आयुक्त प्रणाली या पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू करने का फैसला किया है. क्या आप जानते हैं कि पुलिस कमिश्नरी सिस्टम क्या होता है और इसके लागू होने से क्या क्या बदल जाता है? आइये इस लेख में इन सब प्रश्नों के उत्तर जानते हैं.

UPP Symbol
UPP Symbol

भारत में महानगरों में जनसँख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, जिससे पुलिस को कानून और व्यवस्था को दुरुस्त रखने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने प्रदेश के नॉएडा और लखनऊ में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू करने का फैसला लिया है.

भारत में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम का इतिहास:- 

भारत में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम की शुरुआत अंग्रेजों ने शुरू की थी. भारत में पुलिस सिस्टम, पुलिस अधिनियम, 1861 पर आधारित थी और आज भी ज्यादातर शहरों में पुलिस प्रणाली इसी अधिनियम पर बेस्ड है. अंग्रेजों के समय में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम मुंबई (बॉम्बे),चेन्नई (मद्रास) और कोलकाता (कलकत्ता) में लागू थी.

नॉएडा और लखनऊ में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू करने की जरूरत क्यों पड़ी?

दरअसल, भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत जिलाधिकारी (आईएस) के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं. किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए बल प्रयोग के निर्णय लेने, धारा 144 लगाने के अधिकार, जिलाधिकारी के पास होते हैं. पुलिस के अधिकारी, आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के तहत ही कार्य करते हैं जिससे निर्णय लेने में देर हो जाती है और कई बार स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है.

अर्थात आसान शब्दों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में IPC और CRPC के कई महत्वपूर्ण अधिकार, पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं जो कि पहले जिलाधिकारी के पास होते थे.

पुलिस कमिश्नर के पास को ज्यूडिशियल पॉवर भी होती हैं. CRPC के तहत कई अधिकार इस पद को मजबूत बनाते हैं. पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस ही मजिस्ट्रेट पॉवर का इस्तेमाल करती है.

पुलिस कमिश्नरी प्रणाली का गठन:-

पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में एडीजे स्तर के अधिकारी को पुलिस कमिश्नर बनाया जायेगा और 9 एसपी रैंक के अधिकारी तैनात होंगे जिनमें एक एसपी रैंक की अधिकारी महिला भी होगी ताकि महिला सुरक्षा को भी सुधारा जा सके. इसके लिए निर्भया फण्ड का इस्तेमाल किया जायेगा. इसके साथ ही एसपी, एडिशनल एसपी रैंक का अधिकारी यातायात सुगमता के लिए विशेष रूप से तैनात होगा.

इस प्रणाली में थानाध्यक्ष और सिपाही के अधिकारों में कोई परिवर्तन नहीं होगा लेकिन उप पुलिस अधीक्षक (डिप्टी एसपी) से ऊपर जितने अधिकारी होते हैं, उनके पास मजिस्ट्रेट स्तर की शक्ति आ जाएगी. 

पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने से क्या क्या फायदे होंगे?

1. इस सिस्टम के लागू होने से शक्तियों का विकेंद्रीकरण होगा जिससे किसी भी आपातकाल की स्थिति में सही समय पर निर्णय लिया जा सकेगा.

2. धारा 144 लगाने या बल प्रयोग करने के आर्डर लेने के लिए जिलाधिकारी के ऊपर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा. 

3. कानून और व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सकेगा.

इस प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा नॉएडा और लखनऊ में  पुलिस कमिश्नरी प्रणाली को लगाने का निर्णय समय की मांग है जो कि इन दोनों शहरों में कानून और व्यवस्था हो ठीक करने में मददगार होगी.

भारतीय पुलिस की वर्दी का रंग खाकी क्यों होता है?

कर्फ्यू और CrPC की धारा 144 में क्या अंतर होता है?

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News