जानें वॉलेट का आविष्कार किसने और कब किया?

Dec 4, 2020, 18:10 IST

अधिकतर सब वॉलेट का इस्तेमाल करते हैं और यह हमारे दैनिक जीवन शैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. परन्तु क्या आप जानतें हैं कि वॉलेट का अविष्कार कब और किसने किया. कैसे यह विकसित हुआ इत्यादि. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

Do you know who invented Wallet?
Do you know who invented Wallet?

वॉलेट को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है. आप सबने इसको देखा ही होगा और अधिकतर लोग इसका इस्तेमाल भी करते हैं. परन्तु क्या आप जानते हैं कि वॉलेट का अविष्कार किसने और कब किया? आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

वॉलेट क्या है?

वॉलेट कैश को रखने वाला एक छोटा, अकसर जेब के आकार का उपकरण है और अन्य सामग्री जैसे क्रेडिट कार्ड, बैंक कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पहचान पत्र इत्यादि जैसे अन्य क़ीमती सामान रखने के लिए उपयोग किया जाता है. आमतौर पर यह चमड़े या क्रत्रिम प्लास्टिक जैसे फैब्रिक से बना होता है. हमारे दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली बड़ी संख्या में सामानों में से अधिकांश लोग इस बात से सहमत होंगे कि किसी भी परिस्थिति में आप जिन शीर्ष 3 डिवाइसों को खोना नहीं चाहते हैं, उनमें से एक वॉलेट होगा.

इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक बार जब मानव जाति ने चीजों को ले जाने की आवश्यकता महसूस करनी शुरू की  होगी तकरीबन तभी से हो सकता है कि वॉलेट अस्तित्व में आए हों.

वॉलेट की उत्पत्ति कब हुई?

पेपर मुद्रा की उत्पत्ति के लगभग तुरंत बाद, 1600 के अंत में वॉलेट का आविष्कार हुआ था. 1690 में Massachusetts में पेपर मुद्रा का आविष्कार किया गया था. इससे पहले, मूल रूप से 1300 के दशक में धातु के सिक्कों को ले जाने के लिए सरल पर्स, बटुआ या वॉलेट का उपयोग किया जाता था. ये वॉलेट छोटे, ड्रॉस्ट्रिंग (drawstring) बैग के समान हुआ करते थे. पहले वॉलेट आमतौर पर गाय, भेड़िये या घोड़े की चमड़ी से बने होते थे और इसमें एक छोटा सा थैला होता था जिसमें लोग पहचान पत्र या कालिंग कार्ड रखते थे. क्या आप जानते हैं कि प्राचीन ग्रीकों द्वारा यह बेल्ट के पास पहना या लटकाया जाता था जिसमें वे उपयोग में आने वाले खाद्य पदार्थों और प्रावधानों जैसे आवश्यक वस्तुओं को ले जाने के लिए करते थे.

अब सवाल ये उठता है कि वॉलेट को इसका नाम कैसे मिला. ऐसा माना जाता है कि "वॉलेट" शब्द की उत्पत्ति प्राचीन ग्रीक शब्द किबिसिस (Kibisis) से हुई है जिसका इस्तेमाल भगवान हेर्मीस (God Hermes) द्वारा बोरे के रूप में करने के लिए किया गया था.

Ancient Wallet

हम आपको बता दें कि किबिसिस को पारंपरिक रूप से वॉलेट के रूप में अनुवादित किया गया है. जबकि आज उपयोग में किए जाने वाले वॉलेट, पर्स के लिए वॉलेट शब्द का आधुनिक उपयोग लगभग 1834 में मुख्य रूप से अमेरिकियों द्वारा अन्य नामों के साथ उपयोग किया जाता था.

क्लासीसिस्ट ए वाई कैंपबेल (A. Y. Campbell) ने अपनी 1931 की पुस्तक में आर्कैकिक अवधि "द बॉय, द ग्रैप्स एंड द फॉक्स" (Archaic period “The Boy, the Grapes and the Foxes”) में वॉलेट के बारे में लिखा है कि "वॉलेट गरीब आदमी का पोर्टेबल लार्डर था; ...एक ऐसी चीज़ जिसे अपने प्रावधानों के साथ स्टॉक किया था."

इससे यह पता चलता है कि वॉलेट का उपयोग उस समय सिर्फ भोजन को ले जाने के लिए ही नहीं अपितु अपने दैनिक उपयोग में आने वाले उपकरणों के लिए भी किया जाता था.

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वॉलेट का पुनर्जागरण

पेपर मुद्रा के आने के कारण 17वीं शताब्दी के मध्य में वॉलेट ने अधिक परिचित फ्लैट आकार लेना शुरू कर दिया था. फ्लैट पेपर मुद्रा को पहली बार 1690 में Massachussetts Bay Colony में प्रस्तावित किया गया था, इससे पहले सिक्का मुद्रा प्रचलित थी और लोग एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए छोटे नैपसेक्स (knapsacks) को वॉलेट के रूप में इस्तेमाल किया करते थे.

पेपर मुद्रा का आविष्कार होने से लोगों को अब अपने कमर या बेल्ट पर सिक्कों को बांध कर थोक में ले जाने की आवश्यकता नहीं रही.  इसका मतलब यह भी था कि अब से, एक फ्लैट टिकाऊ वॉलेट का इस्तेमाल होना शुरू हो गया था.19वीं शताब्दी की शुरुआत में प्रारंभिक औद्योगिक अमेरिकियों द्वारा वॉलेट का व्यापक रूप से उपयोग देखा गया. स्पेन में, धूम्रपान जैसे सामान को ले जाने के लिए वॉलेट का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था. अत्यधिक टिकाऊ आमतौर पर घोड़ा या गाय के चमड़े से बने एक फोल्ड करने योग्य वॉलेट जो जेब के आकार का क़ीमती उपकरण इत्यादि सामान रखने के लिए एक सुरक्षित और सुविधाजनक सहायक के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा था.

आइये फ्लैट केस वॉलेट के बारे में अध्ययन करते हैं

Flat case wallet
Source: www.rubylane.com

1950 के दशक में क्रेडिट कार्ड की शुरूआत के साथ, वॉलेट के डिजाइन ने भी समय के साथ बदलना शुरू कर दिया. वॉलेट में अब कम्पार्टमेंट को पतला करना शुरू कर दिया था ताकि मुद्रा आसानी से समायोजित हो सके. साथ ही कुछ और भी स्लॉट बनाए जाने लगे ताकि क्रेडिट कार्ड वगेरा भी आजाए. बीसवीं सदी के दुसरे चरण में आधुनिक वॉलेट bi-fold/tri-fold  होने के कारण काफी लोकप्रिय हुए. समय के साथ वॉलेट धीरे-धीरे प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक अनिवार्य वास्तु बन गई. bi-fold/tri-fold वॉलेट, फ्रंट पॉकेट वॉलेट (अक्सर मनी क्लिप के रूप में जाना जाता है) से लेकर, पासपोर्ट और बोर्डिंग पास इत्यादि को समायोजित करने के लिए ट्रैवल वॉलेट, स्पोर्ट्स वॉलेट, शू वॉलेट इत्यादि का उपयोग किया जाने लगा है.

फैशन और वॉलेट का विकास

Evolution of wallet
Source: www.ebay.co.uk.com

1950 के दशक में हाई-फैशन वॉलेट का युग था, 70-80 के दशक में सिम्प्लर वॉलेट के विकास को देखा गया. धीरे-धीरे विकास होने के साथ वॉलेट में भी काफी बदलाव आए जैसे विभिन्न रंगों के वॉलेट, चेन, नायलॉन और अन्य आधुनिक वस्त्रों ने सभी लोगों के लिए अधिक सुलभ बना दिया. 90 के दशक में वेल्क्रो वॉलेट (velcro wallets) फैशन के साथ भी जुड़ गया. चैन वॉलेट सुरक्षा के विचार से उत्पन्न हुए थे और एक नए फैशन के रूप में उभरे.

आधुनिक वॉलेट या आज का वॉलेट

विभिन्न चमड़े के वॉलेट के उपयोग के साथ अब विशेष रूप से वॉलेट को तैयार किया जाने लगा है जो कि अन्य कपड़े की एक श्रृंखला से बन रहें है और धोने योग्य, वाटरप्रूफ, नए पैटर्न और स्लिम हैं. इस तरह के वॉलेट में क्रेडिट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि जरुरत के हिसाब से आसानी से आजाते हैं और निकलना भी आसान होता है.

नए युग के वॉलेट (The New Age Wallets)

The new age wallets
जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी विकसित हो रही है, आधुनिक वॉलेट भी हो रहे हैं. आजकल डिजिटल युग में भुक्तान विभिन्न तरीकों से हो जाता है तो अब वॉलेट भी उसी हिसाब से बनने लगे हैं. इसे ऐसे कहा जा सकता है कि मुद्रा और भुगतान की विधियों में परिवर्तन होने के कारण वॉलेट में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. अब दर्जनों क्रेडिट कार्ड ले जाने की आवश्यकता नहीं रही और इसलिए स्लिम फ्रंट पॉकेट वॉलेट का इस्तेमाल धीरे-धीरे बढ़ रहा है.  

वॉलेट का इतिहास समय के साथ लंबा और विविध रहा है, लेकिन फिर भी यह समय के साथ विकसित हो रहा है. कह सकते है कि वॉलेट हमारा सबसे वफादार सहयोगी और सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाली वस्तु है.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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