भारत में हर साल 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस मनाया जाता है। यह दिवस मुख्य रूप से सिविल सेवकों के लिए होता है, जो कि उनके द्वारा राष्ट्र को समर्पित कार्यों व योगदान को दर्शाता है। हर साल इसके लिए थीम सेट की जाती है। हालांकि, क्या आपक जानते हैं कि आखिर 21 अप्रैल को ही सिविल सेवा दिवस क्यों मनाया जाता है। यदि नहीं, तो आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे, इस वर्ष क्या है सिविल सेवा दिवस की थीम और क्यों हर साल 21 अप्रैल को ही इस दिवस का आयोजन किया जाता है।
इस बार क्या है सिविल सेवा दिवस की थीम
हर साल सिविल सेवा दिवस की थीम तय की जाती है। इस वर्ष भी इसकी थीम तय की गई है, जो कि विकसित भारत- नागरिकों को सशक्त बनाना और अंतिम मील तक पहुंचना है।
कब मनाया गया था पहला सिविल सेवा दिवस
भारत में सिविल सेवा दिवस का पहला आयोजन साल 2006 में 21 अप्रैल को किया गया था, जिसके बाद से यह लगातार मनाया जा रहा है। साल 2020 में कोविड महामारी फैलने के दौरान लॉकडाउन में भी इस दिवस का आयोजन किा गया था, हालांकि तब इसका आयोजन वर्चुअल रूप से किया गया था। इस बार 16वां सिविल सेवा दिवस मनाया जा रहा है।
अधिकारियों को मिलता है प्रधानमंत्री पुरस्कार
सिविल सेवा दिवस के अवसर पर पूरे वर्ष लोक प्रशासन में बेहतर काम करने के लिए अधिकारियों को प्रधानमंत्री पुरस्कार मिलता है, जिससे वे आगे भी सामाज की बेहतरी के लिए निरंतर काम करते रहे।
21 अप्रैल को क्यों मनाया जाता है दिवस
स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 21 अप्रैल को ही सिविल सेवकों के पहले बैच को दिल्ली स्थित मैटकाफे हाउस में संबोधित किया था, जिसके बाद से यह दिवस मनाया जाने लगा। उन्होंने अधिकारियों को संबोधित करते हुए सिविल सेवकों को भारत का स्टील फ्रेम कहा था।
कौन थे पहले भारतीय सिविल सेवक
सिविल सेवा में चयनित होने वाले सत्येंद्र नाथ टैगोर पहले भारतीय थे, जो कि एक आईएएस अधिकारी बने थे। वैसे तो सिविल सेवा की नींव वारेंट हेस्टिंगंस ने रखी थी। हालांकि, बाद में लॉर्ड कार्नवालिस ने इसमें कई सुधार किए। उनके द्वारा किए जाने वाले सुधार के बाद कार्नवालिस को सिविल सेवा का जनक कहा जाने लगा।
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