भारत में हाईवे एक विस्तृत लंबा नेटवर्क है। इस कड़ी में एक राज्य से लेकर दूसरे राज्यों तक हजारों किलोमीटर के हाईवे हैं। इन हाईवे पर प्रतिदिन लाखों गाड़ियां सफर करती हैं। आपने भी हाईवे पर जरूर सफर किया होगा। इस दौरान क्या आपने ध्यान दिया है कि हाईवे पर संकेतक बोर्ड लगे होते हैं। हालांकि, क्या आपने ध्यान दिया है कि आखिर ये बोर्ड सिर्फ हरे रंग में ही क्यों होते हैं। इनका रंग नीला या पीला क्यों नहीं होता है, क्या है असली वजह, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
दूरी और दिशा बताने के लिए होते हैं बोर्ड
हाईवे पर हरे रंग के बोर्ड ड्राइवरों को जगह की दिशा और दूरी बताने के लिए लगाए जाते हैं। हाईवे पर इन बोर्ड का इस्तेमाल अक्सर टोल प्लाज, रेस्तरां और पेट्रोल पंप बताने के लिए भी होता है। वहीं, कुछ स्थानों पर ये गाड़ी की तय स्पीड के बारे में बताने के लिए भी लगाए जाते हैं, जिससे दुर्घटना न हो।
हरे रंग के ही क्यों होते हैं बोर्ड
अब सवाल है कि हाईवे पर सूचना देने वाले ये बोर्ड सिर्फ हरे रंग में ही क्यों होते हैं, नीले या पीले क्यों नहीं होते हैं। तो इसके कारण इस प्रकार हैंः
-आंखों को आराम देता है हरा रंग- हरा रंग अन्य रंगों की तुलना में आंखों को आराम देता है। इससे आंखों पर कम तनाव बनता है। ऐसे में लंबी दूरी व अधिक गति होने के बाद भी यह रंग ड्राइवरों को थकाता नहीं, जिससे ड्राइवर की एकाग्रता बनी रहती है।
-संदेश पढ़ने में होती है आसानीः भारत में अमूमन हरे रंग पर सफेद रंग का इस्तेमाल किया जाता है। इससे हाई कांटरास्ट बनता है, जिससे खराब मौसम या अधिक दूरी से भी संदेश को आसानी से पढ़ा जा सकता है। क्योंकि, हरे रंग पर सफेद रंग स्पष्ट रूप से दिखते हैं।
-कम चकाचौंध पैदा करता है हरा रंगः हरा रंग अन्य रंगों की तुलना में रिफ्लैक्शन के दौरान कम चकाचौंध पैदा करता है। ऐसे में रात में जब बोर्ड पर गाड़ियों की हेडलाइट्स की रोशनी पड़ती है, तो यह रंग फैलता नहीं है और न ही अधिक चकाचौंध पैदा होती है। इससे ड्राइवर आसानी से संदेश पढ़ लेते हैं।
कहां इस्तेमाल होते हैं नीले बोर्ड
आपको बता दें कि नीले रंग के साइन बोर्ड हाइवे पर नहीं, बल्कि राज्य स्तर की सड़कों पर इस्तेमाल होते हैं। इस तरह के बोर्ड आपको शहरों की सड़कों पर देखने को मिल जाएंगे।
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