पेड़ों के बिना धरती पर जीवन की कल्पना करना असंभव है. पेड़ हमारे जीवन का अहम हिस्सा है. ये मनुष्य को अपनी आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के संसाधनों को प्राप्त कराते हैं. पर्यावरण का संतुलन भी तो पेड़ों से ही होता है. परन्तु रात में पेड़ो के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.
हम सब जानते है कि मनुष्य ही नहीं बल्कि अन्य प्राणी भी श्वसन करते हैं. इस क्रिया से ग्लूकोज और ऑक्सीजन प्राप्त होता है जिससे उर्जा मिलती है, ताकि हम अपने काम-काज को अच्छे से कर पाए. अर्थार्त इस क्रिया से कार्बन डाईऑक्साइड और पानी पैदा होता है. कार्बन डाईऑक्साइड को किसी-न-किसी तरह शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है. क्या आप जानते हैं कि पेड़-पौधे भी श्वसन की क्रिया करते हैं? पेड़ों को भी तो उर्जा की जरुरत होती है ताकि वह अपना काम कर सके. प्रकाश संश्लेषण की मदद से पौधें उर्जा प्राप्त करते हैं.
आइये पहले देखते है कि दिन में श्वसन क्रिया कैसे होती है?
मनुष्य सांस (breathing) लेते वक्त, ऑक्सीजन अंदर करते है और कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं. दरअसल, हम हवा फेफड़ों में खींचते हैं और फेफड़ों से ही छोड़ते हैं. हवा में करीब 79 प्रतिशत नाइट्रोजन, 20 प्रतिशत ऑक्सीजन और 1 प्रतिशत अन्य गैसें व जलवाष्प होते हैं और अन्य गैसों में करीब 0.03 प्रतिशत कार्बन डाई-ऑक्साइड शामिल है. श्वसन की क्रिया (respiration) में मनुष्य जब ऑक्सीजन अंदर लेता है तो उसकी मदद से खाना oxidised होता है और ग्लूकोज बनता है जिससे उर्जा प्राप्त होती है. इसी प्रकार पेड़ों में श्वसन के लिए कोई विशेष अंग नहीं होता है. इनमें हवा का आदान-प्रदान मूलत: पत्तियों में उपस्थित छिद्रों के ज़रिए होता है, जिसे स्टोमेटा कहते हैं. इनके अलावा तने पर भी कुछ छिद्र होते हैं और जड़ें अपनी सतह से ‘साँस’ लेती हैं. श्वसन की मदद से पेड़-पौधे भी ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं और कार्बन डाई-ऑक्साइड का निर्माण करते हैं.
ऐसा कहना गलत नहीं होगा की सारे सजीव श्वसन करते हैं और वो भी चौबीसों घण्टे. जिससे उर्जा प्राप्त होती है और दैनिक जीवन शैली को अच्छे से किया जाता है.
कैसे पौधे पर्यावरण से कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त करते हैं?
रात में पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए?
Source: www. quoracdn.net.com
प्रकाश संश्लेषण क्रिया की मदद से पौधे कार्बन डाईऑक्साइड तथा पानी से ग्लूकोज और ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं. यह क्रिया पौधों के सिर्फ उन भागों में होती है, जहाँ क्लोरोफिल होता है. इसका मतलब की प्रकाश संश्लेषण अधिकांश पौधों में सिर्फ पत्तियों और कुछ तनों तक सीमित होता है और रात में नहीं होता होता है. दूसरी ओर, श्वसन दिन-रात हर समय चौबीसों घण्टे चलता रहता है. इसके साथ एक बात और ध्यान देने योग्य है कि सुबह तमाम पत्तियाँ कार्बन डाईऑक्साइड और पानी की मदद से ग्लूकोज बनाने लगती हैं. प्रकाश संश्लेषण के कारण ही तो समस्त प्राणियों के लिए पौधे जीवन का आधार बन पाते हैं. दूसरी और श्वसन की क्रिया दिन हो या रात हर समय पौधों में होती है परन्तु मनुष्य की तरह इनको चलना-फिरना नहीं पड़ता है आदि तो पौधों को उर्जा की जरुरत कम होती है इसलिए श्वसन की क्रिया भी धीमी होती है. श्वसन की क्रिया में जो कार्बन डाईऑक्साइड पैदा होती है, वह पत्तियों के अन्दर ही खाली स्थानों में पहुँचती है. इन्हीं पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी होती है. इसके लिए हवा में मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग किया जाता है और श्वसन क्रिया में बनी कार्बन डाईऑक्साइड भी इसी में खप जाती है. इसलिए हम कह सकते हैं कि दिन में पौधे कार्बन डाईऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं.
परन्तु रात में प्रकाश संश्लेषण बंद हो जाता है और श्वसन ही चलता रहता है. यानी रात में ऑक्सीजन का निर्माण नहीं हो पाता है. श्वसन के कारण ऑक्सीजन खर्च होती रहती है और कार्बन डाईऑक्साइड बनती रहती है. दिन में तो प्रकाश संश्लेषण के द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग हो जाता है. यानी पौधे रात में कार्बन डाई-ऑक्साइड छोड़ते हैं. इसके आधार पर कहा जाता है कि रात में यदि आप पेड़ के नीचे सोते है, तो आपको ऑक्सीजन नहीं मिलेगी जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, दम घुट सकता है आदि.
पेड़ हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. ये वायु प्रदूषण कम करने में हमारी सहायता कर पर्यावरण को शुद्ध रखते है. जितने अधिक पेड़ होंगे पर्यावरण भी उतना ही शुद्ध रहेगा. परन्तु ध्यान रहे की रात में पेड़ों के नीचे नहीं सोना चाहिए.
पौधों में जल का परिवहन कैसे होता है?
पेड़ों के बिना धरती पर जीवन की कल्पना करना असंभव है. पेड़ हमारे जीवन का अहम हिस्सा है. ये मनुष्य को अपनी आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के संसाधनों को प्राप्त कराते हैं. पर्यावरण का संतुलन भी तो पेड़ों से ही होता है. परन्तु रात में पेड़ो के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.
हम सब जानते है कि मनुष्य ही नहीं बल्कि अन्य प्राणी भी श्वसन करते हैं. इस क्रिया से ग्लूकोज और ऑक्सीजन प्राप्त होता है जिससे उर्जा मिलती है, ताकि हम अपने काम-काज को अच्छे से कर पाए. अर्थार्त इस क्रिया से कार्बन डाईऑक्साइड और पानी पैदा होता है. कार्बन डाईऑक्साइड को किसी-न-किसी तरह शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है. क्या आप जानते हैं कि पेड़-पौधे भी श्वसन की क्रिया करते हैं? पेड़ों को भी तो उर्जा की जरुरत होती है ताकि वह अपना काम कर सके. प्रकाश संश्लेषण की मदद से पौधें उर्जा प्राप्त करते हैं.
आइये देखते है कि दिन में श्वसन क्रिया कैसे होती है
मनुष्य सांस (breathing) लेते वक्त, ऑक्सीजन अंदर करते है और कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं. दरअसल, हम हवा फेफड़ों में खींचते हैं और फेफड़ों से ही छोड़ते हैं. हवा में करीब 79 प्रतिशत नाइट्रोजन, 20 प्रतिशत ऑक्सीजन और 1 प्रतिशत अन्य गैसें व जलवाष्प होते हैं और अन्य गैसों में करीब 0.03 प्रतिशत कार्बन डाई-ऑक्साइड शामिल है. श्वसन की क्रिया (respiration) में मनुष्य जब ऑक्सीजन अंदर लेता है तो उसकी मदद से खाना oxidised होता है और ग्लूकोज बनता है जिससे उर्जा प्राप्त होती है. इसी प्रकार पेड़ों में श्वसन के लिए कोई विशेष अंग नहीं होता है. इनमें हवा का आदान-प्रदान मूलत: पत्तियों में उपस्थित छिद्रों के ज़रिए होता है, जिसे स्टोमेटा कहते हैं. इनके अलावा तने पर भी कुछ छिद्र होते हैं और जड़ें अपनी सतह से ‘साँस’ लेती हैं. श्वसन की मदद से पेड़-पौधे भी ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं और कार्बन डाई-ऑक्साइड का निर्माण करते हैं.
ऐसा कहना गलत नहीं होगा की सारे सजीव श्वसन करते हैं और वो भी चौबीसों घण्टे. जिससे उर्जा प्राप्त होती है और दैनिक जीवन शैली को अच्छे से किया जाता है.
रात में पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए?
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प्रकाश संश्लेषण क्रिया की मदद से पौधे कार्बन डाईऑक्साइड तथा पानी से ग्लूकोज और ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं. यह क्रिया पौधों के सिर्फ उन भागों में होती है, जहाँ क्लोरोफिल होता है. इसका मतलब की प्रकाश संश्लेषण अधिकांश पौधों में सिर्फ पत्तियों और कुछ तनों तक सीमित होता है और रात में नहीं होता होता है. दूसरी ओर, श्वसन दिन-रात हर समय चौबीसों घण्टे चलता रहता है. इसके साथ एक बात और ध्यान देने योग्य है कि सुबह तमाम पत्तियाँ कार्बन डाईऑक्साइड और पानी की मदद से ग्लूकोज बनाने लगती हैं. प्रकाश संश्लेषण के कारण ही तो समस्त प्राणियों के लिए पौधे जीवन का आधार बन पाते हैं. दूसरी और श्वसन की क्रिया दिन हो या रात हर समय पौधों में होती है परन्तु मनुष्य की तरह इनको चलना-फिरना नहीं पड़ता है आदि तो पौधों को उर्जा की जरुरत कम होती है इसलिए श्वसन की क्रिया भी धीमी होती है. श्वसन की क्रिया में जो कार्बन डाईऑक्साइड पैदा होती है, वह पत्तियों के अन्दर ही खाली स्थानों में पहुँचती है. इन्हीं पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी होती है. इसके लिए हवा में मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग किया जाता है और श्वसन क्रिया में बनी कार्बन डाईऑक्साइड भी इसी में खप जाती है. इसलिए हम कह सकते हैं कि दिन में पौधे कार्बन डाईऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं.
परन्तु रात में प्रकाश संश्लेषण बंद हो जाता है और श्वसन ही चलता रहता है. यानी रात में ऑक्सीजन का निर्माण नहीं हो पाता है. श्वसन के कारण ऑक्सीजन खर्च होती रहती है और कार्बन डाईऑक्साइड बनती रहती है. दिन में तो प्रकाश संश्लेषण के द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग हो जाता है. यानी पौधे रात में कार्बन डाई-ऑक्साइड छोड़ते हैं. इसके आधार पर कहा जाता है कि रात में यदि आप पेड़ के नीचे सोते है, तो आपको ऑक्सीजन नहीं मिलेगी जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, दम घुट सकता है आदि.
पेड़ हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. ये वायु प्रदूषण कम करने में हमारी सहायता कर पर्यावरण को शुद्ध रखते है. जितने अधिक पेड़ होंगे पर्यावरण भी उतना ही शुद्ध रहेगा. परन्तु ध्यान रहे की रात में पेड़ों के नीचे नहीं सोना चाहिए.
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