प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश की अपनी एक दिवसीय यात्रा के तहत सेला सुरंग (Sela Tunnel) का उद्घाटन किया. जो दुनिया की सबसे लंबी ट्विन-लेन टनल है. सेला सुरंग का निर्माण सामरिक नजरिये से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
यह सुरंग चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास तेजपुर (Tezpur) को तवांग (Tawang) से जोड़ती है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत साल 2019 में हुई थी. हाल के कुछ वर्षो में भारत पड़ोसी देशों से लगी सीमाओं के पास तेजी निर्माण कार्य कर रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दौरे के दौरान पूर्वोत्तर में 55,600 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का अनावरण किया. पीएम ने ईटानगर में एक कार्यक्रम में मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में फैली परियोजनाओं का भी अनावरण किया.
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13,000 फीट की ऊंचाई पर हुआ निर्माण:
दुनिया की सबसे लंबी ट्विन-लेन सुरंग सेला सुरंग का निर्माण 13,000 फीट की ऊंचाई पर किया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत दो सुरंगें और 8 किमी से अधिक लंबी सड़क का निर्माण किया जा रहा है. यह प्रोजेक्ट पर 825 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे है.
पीएम मोदी ने फरवरी 2019 में इस परियोजना की आधारशिला रखी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसके पूरा होने में देरी हुई.
दुनिया की सबसे लंबी ट्विन-लेन टनल की खासियत:
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा इसका निर्माण किया गया है. इस प्रिजेक्ट में दो सुरंगें और एक लिंक रोड है. यह सुरंग 1 980 मीटर लंबी सिंगल-ट्यूब सुरंग है, जबकि सुरंग 2 1,555 मीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग है.
इसके निर्माण का उद्देश्य बालीपारा-चारिद्वार-तवांग रोड पर बर्फबारी और भूस्खलन को कंट्रोल करना है साथ ही हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है.
सेला सुरंग 13,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी दो लेन वाली सुरंग है. जिसमें एक बाई-लेन ट्यूब यातायात के लिए और दूसरी आपातकालीन सेवाओं के लिए है. इन सुरंगों के बीच 1,200 मीटर का लिंक रोड भी तैयार किया गया है.
सेला सुरंग परियोजना के निर्माण में 90 लाख से अधिक मानव-घंटे की आवश्यकता थी. जिसमें पिछले पांच वर्षों से प्रतिदिन औसतन 650 श्रमिक और श्रमिक योगदान दे रहे थे. निर्माण के लिए लगभग 71,000 मीट्रिक टन सीमेंट, 5,000 मीट्रिक टन स्टील और 800 मीट्रिक टन विस्फोटक की आवश्यकता हुई थी.
टनल, एप्रोच रोड और लिंक रोड सहित प्रोजेक्ट की कुल लंबाई लगभग 12 किमी है. दोनों टनल सेला के पश्चिम में दो पिक से होकर आ रही हैं.
सेला टनल क्यों थी जरुरी:
सेला टनल के निर्माण से तेजपुर से तवांग तक की यात्रा काफी समय में तय की जा सकेगी साथ ही दोनों क्षेत्र में अच्छी कनेक्टिविटी भी देखने को मिलेगी. सर्दियों और भारी बर्फबारी के कारण बंद रहने वाला सेला पास अब हर मौसम में यात्रा के लिए खुला रहेगा.
इसका निर्माण भारत के लिए इसलिए भी जरुरी था क्योंकि यहां से चीन से लगी सीमा तक सैन्य और नागरिक दोनों वाहनों के लिए लोजिस्टिक्स भेजने में आसानी होगी. साथ ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के इलाकों में हथियारों और सैनिकों की तेजी से तैनाती की जा सकेगी.
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