गुप्त राजवंश 275 ईसवी में सत्ता में आया था| लेकिन इस राजवंश के आरंभिक शासकों की जानकारी स्पष्ट नहीं है। इस राजवंश के पहले दो शासक श्रीगुप्त और घटोत्कच महाराज की उपाधि से संतुष्ट थे। यहाँ हम गुप्त राजाओं एवं उनकी उपाधियों की सूची दे रहे हैं जो सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है|
गुप्त राजाओं द्वारा धारण की गई उपाधियाँ
राजा | उपाधि |
श्रीगुप्त | महाराज |
घटोत्कच | महाराज |
चन्द्रगुप्त I | महाराजाधिराज |
समुद्रगुप्त | 1. कविराज (प्रयाग प्रशस्ति) 2. अश्वमेघ – पराक्रम विक्रम 3. परम भागवत (नालन्दा ताम्र पत्र) 4. सर्व-राज-उच्च श्रेष्ठ अर्थात सभी राजाओं से ऊपर (सिक्कों पर इस तरह की उपाधि वाला एकमात्र शासक 5. इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख में शीर्षक 'धर्म-प्रचार बन्धु' उपाधि का उल्लेख किया गया है क्योंकि वह ब्राह्मण धर्म का संरक्षक था| |
चन्द्रगुप्त II | 1. विक्रमादित्य 2. देवगुप्त/देवश्री/देवराज 3. नरेन्द्र चन्द्र सिंह विक्रम 4. परम भट्टारक |
कुमारगुप्त | महेन्द्रादित्य |
स्कन्दगुप्त | 1. विक्रमादित्य 2. क्रमादित्य 3. परम भागवत 4. शक्रोपम 5. देवराज |
गुप्त राजाओं को उनके द्वारा धारण किये गए बड़े-बड़े उपाधियों के लिए जाना जाता है। उनका शासन वंशानुगत था लेकिन शाही शक्ति सीमित थी, क्योंकि ज्येष्ठाधिकार के अभाव के कारण हमेशा शासन का अधिकार सबसे बड़े पुत्र को नहीं दिया जाता था| गुप्त शासक उदारतापूर्वक ब्राह्मणों को उपहार देते थे जो अलग-अलग देवताओं से राजा की तुलना करते थे और अलग-अलग उपाधियों से उन्हें नवाजते थे|
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