बेसल सम्मेलन

सीमा पार घातक पदार्थों का आवागमन तथा निष्पादन को नियंत्रित करने वाली बेसल सम्मेलन एक ऐसी अतंर्राष्ट्रीय संधि है जो घातक अपशिष्टों के विभिन्न देशों में फैलने को कम करने तथा घातक अपशिष्ट की विकसित देशों से कम विकसित देशों में स्थानांतरण को रोकने में सहायक है। हांलांकि यह रेडियोएक्टिव अपशिष्टों के स्थानांतरण को संबोधित नहीं करती। सम्मेलन 5 मई 1992 से प्रभावी हो गया था।

Dec 22, 2015, 12:38 IST

घातक पदार्थों के सीमा पार आवागमन तथा निष्पादन से संबंधित बेसल संधि को 22 मार्च 1989 को प्लैनीपोटैशियरीस सम्मेलन (बेसल, स्विट्जरलैंड) में स्वीकृत किया गया। यह संधि तब स्वीकृति में आई जब 1980 में अफ्रीका तथा प्रगतिशील देशों के अनेक भागों में विदेशों से आयातित जहरीले पदार्थ बहुतायत में पाये गए तथा 1980 में पर्यावरण के लिए बढ़ती जागरूकता तथा पर्यावरण संबंधी नियमों को औद्योगिक विश्व में सख्त बनाने के कारण आम जनता में घातक पदार्थों के निष्पादन हेतु संघर्ष बढ़ा है। जिसे अन्य शब्दों में "मेरे घर के आँगन में नहीं" (नॉट इन माई बैकयार्ड) सिन्ड्रोम के नाम से जाना गया जिससे निष्पादन का मूल्य भी बढ़ा। इस कारण जिन क्षेत्रों में पर्यावरण संबंधी नियमों तथा जागरूकता का अभाव था जैसे पूर्वी यूरोप तथा अन्य प्रगतिशील राष्ट्र, वहां कुछ कार्यवाहकों ने घातक अपशिष्टों के लिए सस्ता निष्पादन करने के प्रयास किए। इस घटना के फलस्वरूप बेसल सम्मेलन 1980 में प्रारंभ किया गया। तथा इसके प्रारंभ में इसका मुख्य उद्देश्य जहरीले व्यापार के प्रति संघर्ष था। यह संधि 1992 से लागू हुई।

बेसल संधि के लक्ष्य

बेसल संधि का मुख्य उद्देश्य मनुष्य के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण को घातक अपशिष्टों के बुरे प्रभावों से सुरक्षित करना। इस सुविधा में उत्पत्ति तथा बनावट के आधार पर कई प्रकार के घातक अपशिष्टों को पारिभाषित किया गया है। तथा अन्य दो प्रकार के अपशिष्टों जैसे घरेलू अपशिष्ट तथा अग्नियंत्र में डाले जाने राख जिन्हें अन्य अपशिष्ट भी कहते हैं।

लक्ष्य और प्रावधान

संधि की शर्तें निम्नलिखित मुख्य उद्देश्यों पर आधारित हैं:-

1. घातक अपशिष्टों के उत्पादन को कम करना तथा घातक अपशिष्टों का पर्यावरण मैत्री तरीकों से निष्पादन को बढ़ावा देना चाहे निष्पादन का स्थान कोई भी हो।

2. घातक अपशिष्टों के सीमापार निष्पादन को प्रतिबंधित करना, केवल उन समयों को छोड़कर जिनमें यह निष्पादन पर्यावरण मैत्रीपूर्ण तरीके से किया जाए।

3. एक ऐसा कार्यशील तंत्र बनाया जिससे उन समयों को नियंत्रित किया जाए जहां सीमा पार आवागमन की आवश्यकता हो।

संधि का पहला उद्देश्य संधि की आम शर्तों जैसे राज्यों द्वारा पर्यावरण के अनुकूल अपशिष्टों के प्रबंधन के मुख्य आदर्शों की पालना करना है। दूसरे उद्देश्य की पूर्ति के लिए कई प्रतिबंध बनाए गए हैं। घातक अपशिष्टों के अंटार्कटिका निर्यात पर निषेध, ऐसे राज्यों के लिए जो बेसल संधि का हिस्सा नहीं है, और ऐसे राज्य जिन्होंने घातक अपशिष्टों का आयात प्रतिबंधित कर दिया है। हालांकि सदस्य घातक अपशिष्टों से संबंधित द्विपक्षीय या अनेकपक्षीय संधियाँ समझौते कर सकते हैं यदि यह समझौते पर्यावरण के लिए मैत्रीपूर्ण तथा अनुकूल हों जैसा कि बेसल संधि से भी विदित है। यदि किसी समय सीमापार आवागमन प्रतिबंधित नहीं है तो यह आवश्यक है कि यह पर्यावरण मैत्रीपूर्ण तरीके से हो तथा संधि में दी गई शर्तों को पूरा करता हो।

यह जानकारी तंत्र प्रारंभ में स्वीकृत की गई बेसल संधि का मुख्य बिन्दु है। इसमें यह भी निहित है कि आवश्यकता पड़ने पर किसी भी निर्यात से पहले राज्यों के सरकारी निकायों द्वारा संबंधित निकायों को जानकारी देना। यह सीमापार आवागमन तभी होना चाहिए जब सभी संबंधित राज्यों को इसकी सूचना तथा उनकी अनुपति प्राप्त हो जाए। (अनुच्छेद 6 एवं 7)

बेसल  संधि अनेक सदस्यों के बीच आपसी मेलजोल बढ़ाने के आयाम उपलब्ध कराती है। सूचना के आदान-प्रदान से लेकर संधि को प्रौद्योगिक तरीके से विशेषत: प्रगतिशील राष्ट्रों तक पहुँचाना। इसके कार्यालय का मुख्य: कार्य आपसी सामजस्य में वृद्धि करना। यदि गैरकानूनी तरीके से सीमापार घातक अपशिष्टों का आवागमन हो रहा हो जैसे कि अनुच्छेद 6 और 7 के विपरीत, तब संधि के अनुसार, इसका दायित्व किसी एक या सभी राज्यों (संबंधित) पर होता है। (अनुच्छेद 8 एवं 9)

संधि में प्रशिक्षण एवं प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान के लिए क्षेत्रीय या अर्न्तक्षेत्रीय केन्द्रों जिनमें घातक अपशिष्टों तथा अन्य अपशिष्टों के प्रबंधन संबंधी प्रशिक्षण दिया जाए की स्थापना के बारे में दिया गया है तथा अपशिष्टों को कम करने की जागरूकता फैलाने संबंधी शिक्षा के बारे में दिया गया है। ऐसे 14 केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है। यह केन्द्र प्रशिक्षण तथा क्षमता बनाने संबंधी क्रियाकलाप करते हैं।

अन्य संबंधित संधियाँ एवं सम्मेलन

  • रोटरडम संधि: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में कुछ घातक रसायनों तथा कीटनाशकों संबंधी अग्रिम सूचित आज्ञा संबंधी संधि को रोटरडम संधि कहते हैं। यह संधि जानकारी के आदान-प्रदान तथा घातक रसायनों के सही नामकरण, तथा सुरक्षित उपयोग तथा उन पर लगे प्रतिबंधों की जानकारी उपलब्ध कराने पर बल देती है। इस पर हस्ताक्षर करने वाले राष्ट्र यह निधार्रित करते हैं कि इस संधि में नामांकित रसायनों के आयात की अनुमति दी जाए या उन्हें प्रतिबंधित किया जाए। तथा निर्यात करने वाले राष्ट्रों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उत्पादक लगाए गए नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं।
  • स्टॉकहॉम संधि: स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों पर आधारित स्टॉकहॉम संधि एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संबंधी संधि है जो 2001 में हस्ताक्षरित हुई तथा मई 2004 से लागू हुई। यह संधि स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों के उत्पादन एवं प्रयोग को प्रतिबद्ध या समाप्त करने पर बल देती है।
Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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