रॉ (अन्वेषण एवं विश्लेषण विभाग) भारत की बाह्य खुफिया एजेंसी है। 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद भारत में एक अलग बाह्य खुफिया एजेंसी की जरूरत महसूस की गई और 21 सितंबर, 1968 को रॉ की स्थापना की गयी थी| 1968 से पहले तक भारत की आंतरिक एवं बाह्य खुफिया सूचनाओं की जानकारी का दायित्व इन्टेलिजेन्स ब्यूरो (आईबी) के पास था। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है| रॉ के पहले निदेशक रामेश्वर नाथ काव थे|
इस संगठन की स्थापना पाकिस्तान और चीन के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने के लिए और पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में कारवाई हेतु अपनी क्षमता को मजबूत करने के लिए की गयी थी। बाद में रॉ (अन्वेषण एवं विश्लेषण विभाग) को आसपास के देशों में सैन्य और राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखने के लिए, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के निर्माण में एवं यूरोपीय देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन से पाकिस्तान को सैन्य हार्डवेयर की आपूर्ति पर नियंत्रण करने जैसे कार्यों में लगाया गया था|
रॉ (अन्वेषण एवं विश्लेषण विभाग) के बारे में रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:
1. 1971 में रॉ ने बांग्लादेश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी|
रॉ ने मुक्ति वाहिनी सेना (एक बांग्लादेशी गुरिल्ला संगठन) को प्रशिक्षण, खुफिया जानकारी और गोला बारूद की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| इसके अलावा रॉ ने पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों को भी बाधित किया था और अंततः बांग्लादेश नाम का एक नया देश अस्तित्व में आया था|
2. ऑपरेशन मेघदूत
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1984 में रॉ ने भारतीय सेना को पाकिस्तान के बारे में एक मत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई थी जिसके अनुसार पाकिस्तान सियाचिन ग्लेशियर के साल्टोरो रिज पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन “अबाबील” नाम से आक्रमण की योजना बना रहा था| अतः भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत की शुरूआत की थी और करीब 300 सैनिकों को साल्टोरो रिज में तैनात किया गया था| परिणामस्वरूप पाकिस्तान की सेना को पीछे हटना पड़ा था|
3. रॉ ने भारत के पहले परमाणु परीक्षण अर्थात ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा की योजनाओं को गोपनीय रखा था|
1974 में रॉ ने भारत के पहले परमाणु परीक्षण की योजनाओं को गोपनीय रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| चीन और अमेरिका जैसे देश भी भारत की इस गतिविधि के बारे में पूरी तरह से अनजान थे।
4. 'ब्लैक टाइगर' रवींद्र कौशिक कौन थे और उनके कारनामे क्या थे?
रविन्द्र कौशिक एक मशहूर थिएटर कलाकार थे और 1975 में रॉ के अधिकारियों द्वारा उन्हें एक जासूस के रूप में पाकिस्तान भेजा गया था, जहाँ वे पाकिस्तानी सेना में शामिल होने में कामयाब रहे और ‘मेजर’ के पद तक पहुँचने में सफल हुए थे| उन्होंने खुफिया एजेंसियों को बहुमूल्य जानकारी भेजकर हजारों भारतीयों की जिन्दगी बचाई थी, और इसलिए रॉ द्वारा उन्हें 'ब्लैक टाइगर' की उपाधि प्रदान की गई थी|
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ऑपरेशन कैक्टस
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पीपुल्स लिबरेशन ऑफ तमिल ईलम (PLOTE) नामक एक तमिल आतंकवादी संगठन ने नवंबर 1988 में मालदीव पर आक्रमण किया था| जिसके कारण मालदीव के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम ने भारत से मदद मांगी थी| तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भारतीय सेना के 1600 सैनिकों को मालदीव में व्यवस्था बहाल करने के लिए मालदीव के हुल्हुले द्वीप पर हवाई मार्ग से भेजने का आदेश दिया था और रॉ ने सेना को आवश्यक खुफिया सूचनाएं प्रदान की थी| अंततः भारतीय सैनिक कुछ ही घंटों के भीतर वहाँ शासन बहाल करने में सफल हुए थे।
6. नॉर्दन अलाइंस ( Northern Alliance) को समर्थन
पाकिस्तान और अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में तालिबान का समर्थन करने के बाद भारत ने तालिबान सरकार और सोवियत संघ के विरोध में खड़े नॉर्दन अलाइंस को समर्थन देने का निर्णय लिया| 1996 में फरखोर एयर बेस में रॉ द्वारा 25 बिस्तरों वाले सैन्य अस्पताल का निर्माण किया गया था। इस हवाई अड्डे का उपयोग नॉर्दन अलाइंस को सहायता कर रहे रॉ के सहायक भारतीय एविएशन रिसर्च सेंटर द्वारा किया गया था| इसके अलावा भारत द्वारा 2001 में अफगान युद्ध में नॉर्दन अलाइंस के साथ रिश्तों को और भी पुख्ता किया गया, जब भारत ने नॉर्दन अलाइंस को अधिक ऊंचाई पर युद्ध करने के लिए आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति की थी और रॉ कुंदुज़ एयरलिफ्ट की सीमा निर्धारित करने वाली पहली खुफिया एजेंसी बनी थी।
7. कारगिल युद्ध
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कारगिल युद्ध के दौरान रॉ ने बीजिंग में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ और इस्लामाबाद में चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अजीज के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत को सफलतापूर्वक टेप किया था| यह टेप कारगिल घुसपैठ में पाकिस्तान की संलिप्तता साबित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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ऑपरेशन चाणक्य
कश्मीर में शांति बहाल करने के लिए और अलगाववादी समूहों के घुसपैठ को रोकने के लिए रॉ द्वारा ऑपरेशन चाणक्य चलाया गया था| इस ऑपरेशन के द्वारा घाटी में आतंकवादी गतिविधियों को बेअसर करने में सफलता मिलीं थी| इसके अलावा अलगाववादी समूहों और अन्य आतंकवादियों के साथ आईएसआई के शामिल होने के बारे में सबूत एकत्रित किये गए थे और आतंकवादी संगठन हिज्ब-उल-मुजाहिदीन को विभाजित कर कश्मीर समर्थक भारतीय समूह बनाने में सफलता प्राप्त हुई थी|
9. क्या आप जानते हैं कि रॉ ने मुंबई हमले से 2-6 महीने पहले आतंकवादियों की बातचीत को सफलतापूर्वक टेप किया था?
लेकिन आपसी समन्वय की विफलता के कारण पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जा सकी थी| रॉ के टेक्नीशियन आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किये गए छह फोन पर नजर रखे हुए थे और उन्होंने आतंकवादियों एवं उनके आकाओं के बीच की बातचीत को भी टेप किया था|
10. स्नैच ऑपरेशन
इस ऑपरेशन के तहत संदिग्ध व्यक्तियों को विदेशों में गिरफ्तार किया जाता है और भारत लाया जाता है| इसके बाद अज्ञात स्थलों पर उनसे पूछताछ की जाती है और अंततः औपचारिक रूप से एक हवाई अड्डे पर या सीमा चौकी पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है| रॉ द्वारा पड़ोसी देशों में चलाये गए स्नैच ऑपरेशन द्वारा लश्कर के आतंकी तारिक महमूद, अब्दुल
करीम टुंडा (मुंबई हमलों का एक संचालक), शेख अब्दुल ख्वाजा एवं आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के संचालक यासीन भटकल को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है|
ये गुप्त योद्धा हमारी सुरक्षा के लिए दिन और रात काम करते हैं और खामोशी से हमारे देश की रक्षा कर रहें हैं जिसके लिए हमें उन पर गर्व होना चाहिए|
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