बैच 2002 उत्तर प्रदेश काडर के IPS अपर्णा कुमार एवेरेस्ट पर्वत पर विजय पाने वाली भारत की पहली सिविल सेवक हैं। केवल एवेरेस्ट हीं नहीं बल्कि सात महाद्वीपों में से छह महाद्वीपों के उच्चतम चोटियों पर सफलतापूर्वक चढ़ने का ख्याति इनके नाम दर्ज है। अपर्णा वर्ष 2015 में अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी पर भी चढ़ चुकी हैं।
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यह भी उल्लेखनीय है कि बेंगलुरु की महिला जो दो बच्चों की मां हैं और जिन्होंने 2002 में मुसौरी में लाल बहादुर शास्त्री अकादमी प्रशासन में फाउंडेशन पाठ्यक्रम के लिए आने से पहले कभी बर्फ नहीं देखी, लगातार दुनियां की कठिन ऊंचाइयों पर चढ़ने में सफलता प्राप्त कर रहीं हैं जो कि भारत की प्रतिष्ठित नौकरशाही में अब तक कोई अन्य व्यक्ति भी नहीं कर सका है। अपर्णा अपनी पर्वतारोही जुनून को वर्ष 2013 से शुरुआत की और उस दौरान वह उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिलें में 9वीं बटालियन के कमांडेंट के रूप में तैनात थीं। उन्होंने अक्टूबर 2013 में अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स, मनाली में एक महीने के लंबे आधारभूत पर्वतारोहण पाठ्यक्रम में खुद को नामांकित की थीं। वह हमेशा अपने फिटनेस को बनाए रखने के लिए भरसक प्रयास करती रहती थी लेकिन आधारभूत पर्वतारोहण कोर्स और ट्रेकिंग अनुभव के उपरांत वह दिल और दिमाग से और अधिक ढृढ़ हो चुकी थीं।
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वर्ष 2014 में उन्होंने तंजानिया में माउंट किलिमंजारो पर विजय हासिल की जो कि अफ्रीकी महाद्वीप के सबसे ऊंचा शिखर है। इस उपलब्धि के पश्चात उन्होंने इंडोनेशिया के पश्चिम पापुआन प्रांत में स्थित शीर्ष कारस्टेंस पिरामिड शिखर पर चढ़ीं जो कि ऑस्ट्रेलिया और ओशिनिया क्षेत्र में सबसे उंची है।
वर्ष 2014 और 2015 में हिमस्खलन और भूकंप के कारण एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने के दो असफल प्रयासों के बाद वह अंततः 21 मई 2016 में एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने में कामयाब हुईं। वह इस ख्याति को प्राप्त करने वाली पहली महिला IPS अधिकारी के साथ-साथ सात में से छह महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई करने वाली पहली अखिल भारतीय सेवा अधिकारी (पुरुष या महिला दोनों वर्गों में) बन गईं। वह एवरेस्ट की चोटी पर उत्तर की ओर (चीन की ओर) से चढ़ाई कर रही थी और उनके साथ संयुक्त राज्य अमेरिका, बेल्जियम और भारत के 4 अन्य टीम के सदस्य भी थे। पूरे मिशन के दौरान उनका वजन लगभग 13.5 किलोग्राम कम हो गया था। उन्होंने भारत और यूपी पुलिस के ध्वज को एवरेस्ट की चोटी पर पहराने के बाद ही नीचे की तरफ उतरी थीं।
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अपर्णा अपने इस सपने को पुरा करने के लिए अपने पति संजय कुमार जो कि एक सरकारी कर्मचारी भी हैं के बिना शर्त समर्थन का आभार मानती हैं। अपर्णा दो बच्चों की मां हैं और उन्हें पूरे परिवार का समर्थन और प्रोत्साहन हासिल है जिसकी वजह से हीं बड़ी-बड़ी कामयाबी को हासिल करती जा रही हैं। उनकी सफलता के लिए उत्तर प्रदेश के वर्तमाण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा IPS एसोसिएशन की तरफ से बधाई संदेश मिल चुका है।
अपर्णा केवल उत्तर प्रदेश के लिए हीं नहीं बल्कि पूरे देश तथा देश की हर महिलाओं के प्रेरणा श्रोत हैं। अपर्णा का उच्चतम शिखरों पर कामयाबी का रिकार्ड भारतीय लोक सेवा अधिकारियों के लिए भी एक चुनौती है जो कि विषम परिस्थितियों तथा व्यस्त कार्यभार के बावजूद ऐसा अनोखा रिकार्ड अपने नाम किया है। उन्होंने यह साबित कर दिया है महिलाएं साहसी खेलों के क्षेत्र में भी अपना वर्चस्व कायम कर सकती हैं अगर उनमें इच्छा शक्ति हो। भारतीय लोक सेवा की इच्छा रखने वाले उन सभी उम्मीदवारों के लिए अपर्णा की जीवनी एक संदेश है। केवल भारतीय लोक सेवा के कठिन परीक्षा में सफल होना ही मक़सद नहीं होना चाहिए बल्कि आपको अपनी कुशल शक्ति एवं प्रतिभा का सबूत अपने कार्यों के माध्यम से देना चाहिए। भारतीय लोक सेवा अधिकारियों की कार्यशैली जिसका आधार देश निर्माण में समर्पित होता है इस प्रकार होनी चाहिए जिससे पूरे देश एवं समाज को प्रभावित करे।
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