उबगरमपिल्लई सगायम, दक्षिणी भारत में स्थित तमिलनाडु राज्य में एक सिविल सेवक के रूप मे कार्यरत हैं। सगायम, तमिलनाडु, पुदुक्कोट्टई, प्रुंचुनाई गांव के एक किसान के बेटे हैं जो कि राज्य में भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों को समाप्त करने के अपने अद्भुत प्रयासों के लिए जाने जाते हैं। सगायम अदूषणीयता एवं ईमानदारी के लिए एक प्रतिष्ठित ब्युरोकरेट हैं जो कि राज्य में ग्रेनाइट खनन लॉबी से अपने जीवन की धमकियों की शिकायत करते हुए पिछले हफ्ते मद्रास उच्च न्यायालय से संपर्क करने के बाद एक बार फिर से सुर्खियो में है।
सगायम ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा पास की थी, लेकिन भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में अधिकारी पद प्राप्त करने में असफल हुए। उन्होंने तमिलनाडु लोकसेवा आयोग की परीक्षा भी पास की और फिर उन्हें 1991 में उंटाकमुंड (ऊटी) शहर के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट के तौर पर IAS में शामिल होने का मौका मिला। उंटाकमुंड शहर में पोस्टिंग के दौरान जब वह बड़े चाय सम्पदा के ऑपरेटर के पक्ष में पक्षपात करने वाले जिला कलेक्टर पर आरोप लगाया तब से ही लोग सगायम को जानने लगे। उन्होंने भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों के खिलाफ लड़ने का फैसला किया और फिर उनकी दो दशकों की सार्वजनिक सेवा के अंतर्गत 20 बार से अधिक स्थानांतरित कर दिए गए, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम से कभी पीछे नहीं हटे।
भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों के खिलाफ सगायम के असाधारण प्रयासों की सूची यहाँ दी गई है, जो कि उन्हें अन्य सह-अधिकारियों से अलग बनाता है:
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चेन्नई के पास पेप्सी-कोला के बॉटलिंग प्लांट की सीलिंग
सन् 2000 में कांचीपुरम में एक अतिरिक्त-जिला मजिस्ट्रेट के रूप में सगायम ने पेप्सी के सॉफ्ट कोल्ड ड्रिंक के कई बोतलों में तैरते गंदगी को उजागर करने के बाद चेन्नई के पास स्थित पेप्सी-कोला के बॉटलिंग प्लांट को सील कर दिया। बाहरी दबाव के पश्चात भी सगायम के दृढ़ निश्चय को कोई हिला नहीं सका और पूरे प्लांट को सील कर दिया।
तीन दिनों के भीतर 5000 सब्सिडी वाले घरेलू गैस सिलेंडरों को जब्त किया
सन् 2004 में सगायम चेन्नई में सिविल आपूर्ति विभाग के डिप्टी कमिश्नर थे और उन्होंने पाया कि चेन्नई में कई रेस्तरां गैरकानूनी रूप से गैस सिलेंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं जो सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा रहा है, तो उन्होंने तीन दिनों के भीतर 5000 सब्सिडी वाले घरेलू गैस सिलेंडरों को जब्त कर लिया।
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मदुरै में गैरकानूनी ग्रेनाइट की उत्खनन के संबंध में तमिलनाडु सरकार को एक 13-पृष्ठ रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें राज्य ने 16,000 करोड़ रुपये खो दिए थे
सन् 2012 में सगायम ने एक अज्ञात याचिका के आधार पर अपनी जांच शुरू कर दी थी और ग्रेनाइट खनन में चल रही अनियमितताओं के बारे में जानकर वह पूरी तरह निराश हो गए।
जिला कलेक्टर के रूप में सगायम ने खदानों का दौरा किया और मजदूरों को साक्षात्कार दिया कि वैध-खनन के दौरान अवैध खनन हो रहा है और कुछ कंपनियां आस-पास के स्थलों से ग्रेनाइट चोरी एंव नियमित खदान से अधिक खनन कर रहे हैं जिसकी अनुमति बिल्कुल नहीं है। सगायम के रिपोर्ट के प्रभाव में 15 कंपनियों के खिलाफ गैरकानूनी ग्रेनाइट उत्खनन के 28 मामले दर्ज किए गए हैं और इसमें लगभग 30 आरोपियों में बड़े व्यापारिक खनन करने वाले भी शामिल हैं।
13-पृष्ठ की रिपोर्ट जमा करने के बाद तमिलनाडु हैंडलूम कापरेटिव प्रबंधन के प्रबंध निदेशक पद के लिए उन्हें 19वां स्थानांतरण-पत्र प्राप्त हुआ था।
सबूतों की रक्षा के लिए कब्रिस्तान में एक रात बिताया
सन् 2014 में, तमिलनाडु हाईकोर्ट ने मदुरै में मल्टी-करोड़ ग्रेनाइट घोटाले की जांच करने के लिए नियुक्त किया था। एक ग्रेनाइट खदान ऑपरेटर द्वारा किए गए 'मानव-बलि' के बाद, कब्रिस्तान में कथित रूप से दफन पीड़ितों के शवों को निकालने के लिए स्थानीय पुलिस ने इनकार कर दिया फिर उन्होंने खुद हीं कब्रिस्तान में रात बिताने का फैसला किया ताकि साक्ष्य के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न की जा सके।
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5000 से अधिक ग्रामीणों ने सगायम के स्थानांतरण के खिलाफ विरोध कर फैसला अपने पक्ष में किया
सगायम ने नमक्कल में ग्राम प्रशासनिक अधिकारियों (वीएओ) द्वारा अपने ड्युटीज का करने, को सुधारने और उनके उन्मूलन के लिए अथक प्रयास किये। उन्होंने पाया कि गांवों की निगरानी में रहने वाले वीएओ जो कि गांवों से दूर शहर में रह रहे थे। सगायम के अथक प्रयासो को जानने के पश्चात कई वीएओ और स्थानीय राजनेताओं ने सगायम के स्थानांतरण की मांग की, लेकिन 5000 ग्रामीणों ने उनके स्थानांतरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और स्थानांतरण आदेशों को वापस लेने के लिए मजबूर किया।
निषकर्ष
सगायम अपनी ईमानदारी का श्रेय अपनी मां को देते हैं जिन्होंने उन्हें ईमानदारी का सर्वश्रेष्ठ पाठ सिखाया था। ईमानदारी एक अवधारणा या सिद्धांत नहीं है जो एक संस्था में सिखाया जाता है, वास्तव में यह प्रत्येक व्यक्ति की एक विशेषता है जो कि भौतिकवादी चीजों के लालच के बिना हीं सम्भव हो सकता है। एक IAS अधिकारी के लिए, आम-लोगों के लिए उनकी सेवाएं तथा आम-लोगों से प्राप्त सम्मान हीं उनके कैरियर का प्राथमिक उद्देश्य होना चाहिए।
भारत एक ऐसा देश है जहां उबगरमपिल्लई सगायम जैसे समर्पित सरकारी अधिकारियों के हर सिस्टम में शामिल होने की आवश्यकता है जो देश को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने वाली कदाचार जैसी समस्याऔं से लड़ने की क्षमता रखता हो। आशा है कि हमारे सिविल सेवकों की ऐसी प्रेरणादायक कहानियां उन लोगों की मदद करेंगी जो देश हेतु एक सिविल सेवक बनना चाहते हैं।
। शुभकामनाएं ।
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