जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : पुनर्मूल्यांकन के लिए अर्जी लगाने वाले छात्र की उत्तर पुस्तिका में एक सही उत्तर पर भी CBSE बोर्ड द्वारा जीरो नंबर देने के मामले को दिल्ली हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है । न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और एके चावला की खंडपीठ ने सीबीएसई से पूछा कि आखिर आपने पुनर्मूल्यांकन नीति क्यों समाप्त कर दी । इस गलती को बोर्ड कैसे न्यायोचित ठहराएगा ।
सीबीएसई का कहना था कि 12वीं की परीक्षा देने वाले करीब 10 लाख विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं के पुनमूल्यांकन के दौरान गलती सामने आने का आंकड़ा महज 0.21 फीसद है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले सीबीएसई के दावों के उलट हैं। एक व आधा अंक भी कम मिलने पर छात्र का भविष्य दांव पर लग जाता है। इतने अंक भी अच्छे कॉलेज में दाखिला होने व नहीं होने में निर्णायक साबित होते हैं । पुनर्मूल्यांकन नीति बंद करने से एक भी छात्र प्रभावित नहीं होना चाहिए।
दिल्ली हाई कोर्ट में इस वर्ष 12वीं की परीक्षा देने वाले उन विद्यार्थियों की याचिका पर सुनवाई चल रही है, जिन्होंने कम अंक आने पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के समक्ष पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन दिया था। सीबीएसई ने आवेदनों को यह कहते हुए टुकरा दिया था कि नए नोटिफिकेशन के तहत पुनर्मूल्यांकन की नीति बंद कर दी गई है। विद्यार्थियों ने सीबीएसई के नोटिफिकेशन को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
हाल ही में एक न्यूज रिपोर्ट में कहा गया था कई छात्रों के पुनर्मूल्यांकन के दौरान अंक में 35 से 40 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ। सीबीएसई की कहना है कि मीडिया इस मुद्दे की सनसनीखेज बनाने की कोशिश कर रहा है l
CBSE के नोटिफिकेशन को विदेशी छात्र ने दी दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती
याद करने के इन तरीकों को अपनाएं, किसी भी विषय को एक बार पढ़ेंगे तो फिर कभी नहीं भूलेंगे
CBSE 12वीं की ऑल इंडिया टॉपर रक्षा गोपाल से इंटरव्यू; जानिए उनकी सफलता का राज
Comments
All Comments (0)
Join the conversation