गाँधी जयंती पर कविताएँ और गीत: Gandhi Jayanti Poems in Hindi

Oct 2, 2023, 08:30 IST

इस लेख में छात्रों के लिए गांधी जयंती के अवसर पर गाए जाने वाली प्रसिद्ध गीतों और कविताओं की सूची और विवरण प्रदान किया गया है। यह गीत और कविताएँ छात्रों के लिए गांधी जी के संदेशों को समझने और मन में उनकी महानता को याद करने का एक शानदार मौका है। इन गीतों और कविताओं के माध्यम से, हम गांधी जयंती के अवसर पर सत्याग्रह और अहिंसा के महत्व को सीख सकते हैं और एक सशक्त और समर्थ भारत की ओर बढ़ सकते हैं। इन गीतों और कविताओं के माध्यम से, हम छात्रों को गांधी जयंती के उपलक्ष्य में स्वतंत्रता संग्राम के महान सफर की यादें और महात्मा गांधी के महान संदेशों के प्रति जागरूक कर सकते हैं।

गाँधी जयंती पर कविताएँ और गीत: Gandhi Jayanti Poems in Hindi
गाँधी जयंती पर कविताएँ और गीत: Gandhi Jayanti Poems in Hindi

भारतीय इतिहास में 2 अक्टूबर का दिन एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इसी दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। इस दिन को 'गांधी जयंती' के रूप में मनाया जाता है, जो भारतीय जनता के लिए गर्व का संकेत है। गांधी जी ने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया।

महात्मा गांधी के विचार संक्षेप में:

  1. अहिंसा (Non-Violence): गांधीजी का सबसे महत्वपूर्ण विचार था अहिंसा, यानी हिंसा से दूर रहना। उन्होंने यह माना कि अहिंसा ही सच्चे और शांतिपूर्ण परिवर्तन का माध्यम है।
  1. सत्याग्रह (Satyagraha): गांधीजी ने सत्याग्रह को एक शक्तिशाली आपत्ति और संघर्ष का तरीका बनाया, जिसका मतलब होता है सत्य के लिए आवाज उठाना और समस्याओं का समाधान ढूंढना।
  1. सर्वोदय (Sarvodaya): उन्होंने समाज के सभी वर्गों की सामाजिक और आर्थिक सुधार की दिशा में काम किया और सर्वोदय का सिद्धांत प्रमोट किया, जिसका मतलब सभी की सामाजिक और आर्थिक उन्नति होना चाहिए।
  1. ग्राम स्वराज (Gram Swaraj): गांधीजी का मानना था कि भारतीय स्वतंत्रता का असली माध्यम गाँवों की स्वायत्तता में है, और वे ग्राम स्वराज की प्रमोट करते रहे।
  1. वसुधैव कुटुम्बकम् (The World is One Family): गांधीजी का यह विचार है कि सारा मानवता एक परिवार है और सभी लोगों के बीच एकता और सहयोग होना चाहिए।
  1. स्वदेशी आन्दोलन (Swadeshi Movement): उन्होंने बारीकी से स्वदेशी उत्पादों का समर्थन किया और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार को प्रोत्साहित किया ।

गांधीजी के ये विचार और उनके अमल में उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और आज भी उनके विचारों का महत्व है।

इस विशेष दिन को मनाते समय हमें गांधी जी के विचारों और मूल्यों को याद करना चाहिए। इन कविताओं एवं गानों के माध्यम से हम गांधी जी के संदेशों को और भी सार्थक तरीके से समझ सकते हैं। आप इन गीतों को गांधी जयंती के मौके पर कविता की रूप में भी पढ़ सकते हैं।  

 

1. "रघुपति राघव राजा राम" -

गांधी जी के पसंदीदा गीतों में से एक है यह गीत। "रघुपति राघव राजा राम" (जिसे राम धुन भी कहा जाता है) एक भजन (भक्तिगीत) है जिसे महात्मा गांधी ने व्यापक रूप से प्रसारित किया और विष्णु दिगंबर पालुस्कर ने राग मिश्र गरा में सुर मिलाकर धुन दिया। इस गीत के बोल गांधी जी के आदर्शों को प्रकट करते हैं और अहिंसा के मार्ग पर चलने का संदेश देते हैं। यह गीत गांधी जी के सत्याग्रह आंदोलनों के समय बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।

 

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीताराम

सीताराम, सीताराम,

भज प्यारे मना सीताराम

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीताराम

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,

सबको सन्मति दे भगवान

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीताराम

मुख में तुलसी घट में राम,

जब बोलो तब सीताराम

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीताराम

हाथों से करो घर का काम,

मुख से बोलो सीताराम

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीताराम

कौशल्य का वाला राम,

दशरथ का प्यारा राम

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीताराम

बंसीवाला हे घनश्याम,

धनुष्य धारी सीताराम

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीताराम।

 

2. "वैष्णव जन तो तेने कहिये" -

"वैष्णव जन तो तेने कहिये" एक प्रसिद्ध भजन है, जिसकी सर्वाधिक लोकप्रियता है, और इसकी रचना 15वीं सदी के संत नरसी मेहता ने की थी। यह गीत गुजराती भाषा में है। महात्मा गांधी की दैनिक प्रार्थना में यह भजन आमतौर पर शामिल था। इस भजन में वैष्णव समाज के व्यक्तियों के लिए उत्तम आदर्श और व्यवहार का वर्णन किया गया है। इस गीत में गांधी जी के आदर्शों को और उनके सेवाभाव को दर्शाया गया है। यह गीत गांधी जी के जीवन के महत्वपूर्ण पलों को छूने का प्रयास करता है और हमें एक अच्छे इंसान बनने के मार्ग पर चलने का संदेश देता है।

 

वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

पर दुःखे उपकार करे तो ये,

मन अभिमान न आणे रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


सकल लोकमां सहुने वंदे,

निंदा न करे केनी रे ।

वाच काछ मन निश्चळ राखे,

धन धन जननी तेनी रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी,

परस्त्री जेने मात रे ।

जिह्वा थकी असत्य न बोले,

परधन नव झाले हाथ रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


मोह माया व्यापे नहि जेने,

दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे ।

रामनाम शुं ताली रे लागी,

सकल तीरथ तेना तनमां रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


वणलोभी ने कपटरहित छे,

काम क्रोध निवार्या रे ।

भणे नरसैयॊ तेनुं दरसन करतां,

कुल एकोतेर तार्या रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

पर दुःखे उपकार करे तो ये,

मन अभिमान न आणे रे ॥



 

3. "एकला चलो रे" -

"एकला चलो रे" एक प्रसिद्ध बांग्ला गीत है, जिसका मतलब होता है "अकेले चलो"। इस गीत के बोल रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए थे और इसे उनकी काव्य-रचना "गीतांजलि" में शामिल किया गया था। यह गीत विभाजन के समय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अहम प्रतीक के रूप में जाना जाता है, और इसने लोगों को आत्मनिर्भरता और संघर्ष की दिशा में प्रेरित किया। यह गीत गांधी जी के सबसे पसंदीदा गीतों में से एक है।

 

जोदी तोर डाक सुने केउ ना आसे
तोबे एकला चलो रे,
एकला चलो, एकला चलो,
एकला चलो रे,
जोदी तोर डाक सुने केउ ना आसे
तोबे एकला चलो रे ।

जोदी केउ कोथा ना कोए
ओ रे ओ ओभागा,
केउ कोथा ना कोए ।

जोदी सोबाई थाके मुख फिराए
सोबाई कोरे भोई,
जोदी सोबाई थाके मुख फिराए
सोबाई कोरे भोई,
तोबे पोरान खुले
ओ तुई मुख फूटे तोर मोनेर कोथा ।
एकला बोलो रे…

जोदी तोर डाक सुने केउ ना आसे
तोबे एकला चलो रे ।

जोदी सोबाई फिरे जाए
ओ रे ओ ओभागा सोबाई फिरे जाई,
जोदी गोहान पोथे जाबार काले केउ
फिरे ना चाय,
जोदी गोहान पोथे जाबार काले केउ
फिरे ना चाय,
तोबे पोथेर काँटा
ओ तुई रोक्तो माखा चोरोनतोले ।
एकला दोलो रे…

जोदी तोर डाक सुने केउ ना आसे
तोबे एकला चलो रे ।

जोदी आलो ना धोरे
ओ रे ओ ओभागा आलो ना धोरे,
जोदी झोर बादोले आंधार राते
दुयार देये घोरे,
जोदी झोर बादोले आंधार राते
दुयार देये घोरे,
तोबे बज्रानोले
आपोन बुकेर पाजोर जालिये निये ।
एकला जोलो रे…

जोदी तोर डाक सुने केउ ना आसे
तोबे एकला चलो रे ।
एकला चलो, एकला चलो
एकला चलो रे,
जोदी तोर डाक सुने केउ ना आसे
तोबे एकला चलो रे ।

जोदी तोर डाक सुने केउ ना आसे
तोबे एकला चलो रे ।

 

4. "साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल" -

"साबरमती के संत तूने" गीत एक गाने की शैली में हमें महात्मा गांधी और उनके संघर्ष के दिनों का स्मरण कराता है। कवि प्रदीप के शब्द इस गाने के माध्यम से हमें गांधी जी के महानता और उनके आदर्शों का समर्थन करते हैं, और हमें याद दिलाते हैं कि सत्याग्रह के माध्यम से किसी भी अत्याचार का समापन किया जा सकता है। इस गीत का सुनना हमें गर्वित और प्रेरित करता है कि हमें सदैव अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए, जैसे कि महात्मा गांधी ने किया।

दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

{दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल}


आंधी में भी जलती रही गांधी तेरी मशाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल


दे दी हमें आजादी...


धरती पे लड़ी तूने अजब ढंग की लड़ाई

दागी न कहीं तोंफ न बंदूक चलाई

दुश्मन के किले पर भी न की तूने चढ़ाई

वाह रे फकीर खूब करामात दिखाई..


चुटकी में दुश्मनों को दिया देश से निकाल

{साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल}


दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल


शतरंज बिछा कर यहा बैठा था ज़माना

लगता था की मुश्किल है फिरंगी को हराना

टक्कर थी बड़े ज़ोर की दुश्मन भी था ताना

पर तू भी था बापू बड़ा उस्ताद पुराना


मारा वो कस के दांव कि उल्टी सभी की चाल

{साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल}


दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल


जब जब तेरा बिगुल बजा जवान चल पड़े

मजदूर चल पड़े थे और किसान चल पड़े

हिन्दू और मुसलमान सिख पठान चल पड़े

कदमों पे तेरे कोटि कोटि प्राण चल पड़े


फूलों की सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल

{साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल}


दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल


मन में थी अहिंसा की लगन तन पे लंगोटी

लाखों में घूमता था लिये सत्य की सोंटी

वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी

लेकिन तुझे झुकती थी हिमालय की भी चोटी


दुनियां में तू बेजोड़ था इन्सान बेमिसाल

{साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल}


दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल


जग में कोई जिया है तो बापू तू ही जिया

तू ने वतन की राह में सबकुछ लुटा दिया

मांगा न कोई तख्त न तो ताज भी लिया

अमृत दिया सभी को मगर खुद जेहेर पिया


जिस दिन तेरी चिता जली रोया था महाकाल

{साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल}


दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

 

इन कविताओं के माध्यम से हम गांधी जयंती के मौके पर उनके संदेशों को और भी सुंदरता के साथ समझ सकते हैं और उनके महान आदर्शों का समर्थन कर सकते हैं। ये गीत हमें एक बेहतर और सशक्त भारत के दिशा में आगे बढ़ने का संदेश देते हैं। इस गांधी जयंती पर, हम सभी को गांधी जी के आदर्शों का पालन करने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि हम उनके सपनों को साकार कर सकें और हमारा देश महात्मा के इरादों के अनुसार आगे बढ़ सके। छात्र इन कविताओं को अपने अभिव्यक्ति और आवाज के अपने तरीकों का उपयोग कर सकते हैं और इसे एक सर्वविक तरीके से रख सकते हैं।

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Sakshi Kabra
Sakshi Kabra

Senior Content Writer - Editorial

Sakshi Kabra is a passionate researcher, environmentalist and educationist. She has worked in education, women empowerment, environmental conservation domain and she has spearheaded many initiatives, projects and campaigns in collaboration with national and international organisations, as the student convenor of the Eco Club, during her graduation at Gargi College, University of Delhi. Sakshi holds a postgraduate degree in Sociology. She has gained experience of around 5 years in research work and teaching in Navyug Schools, S.D.M.C. Schools and Sardar Patel Vidyalaya in New Delhi. She has a vision to contribute in the education, technology, social development and environment sector, with the specialised skills and knowledge of holistic learning processes. She has demonstrated remarkable conduct in team building, leadership, people management, public speaking and work ethic through her work and professional commitment. She is also enthusiastic about nature photography, nature walks and poetry. She can be reached at sakshi.kabra@jagrannewmedia.com.
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