आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस : वर्किंग प्रोफेशनल्स को किस हद तक करेगा प्रभावित ?

Jan 8, 2020, 10:15 IST

अभी तक कंप्यूटर प्रोसेसिंग की स्‍पीड और मेमोरी कैपेसिटी में लगातार प्रगति के बावजूद भी कम्प्यूटर में किसी ऐसे प्रोग्राम को नहीं बनाया जा सका है जो मनुष्य का विकल्प साबित हो सके अर्थात मनुष्य की तरह काम कर सके और मनुष्य के रोजमर्रे के काम को आसानी से निबटा सके.लेकिन टेक्नोलॉजिकल डेवेलपमेंट के तहत कुछ ऐसे प्रोग्राम्स बने हैं जो किसी विशेष काम को मनुष्य की तरह उत्कृष्टता पूर्वक करने की दिशा में प्रयासरत हैं. आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस तथा मशीन लर्निंग आदि इसी तरह के प्रोग्राम हैं.

How Artificial Intelligence can affect life at work in 2019
How Artificial Intelligence can affect life at work in 2019

इसमें कोई दो राय नहीं कि 21 वीं सदी के टेक्नोलॉजिकल विकास ने जीवन की रफ़्तार को और तेज कर दिया है. नित्य हो रहे नए नए अविष्कार वास्तव में मानव जीवन को सरल बनाते जा रहे हैं. 1940 के दशक में डिजिटल कंप्यूटर के विकास के बाद से ऐसे प्रोग्राम्स बनाये गए जिससे कॉम्‍प्‍लेक्‍स टास्‍क को भी आसानी से किया जा सकता है. जैसे मैथेमेटिकल थियरम को सॉल्व करने की विधि,शतरंज खेलने की तरकीब आदि. लेकिन अभी तक कंप्यूटर प्रोसेसिंग की स्‍पीड और मेमोरी कैपेसिटी में लगातार प्रगति के बावजूद भी कम्प्यूटर में किसी ऐसे प्रोग्राम को नहीं बनाया जा सका है जो मनुष्य का विकल्प साबित हो सके अर्थात मनुष्य की तरह काम कर सके और मनुष्य के रोजमर्रे के काम को आसानी से निबटा सके.लेकिन टेक्नोलॉजिकल डेवेलपमेंट के तहत कुछ ऐसे प्रोग्राम्स बने हैं जो किसी विशेष काम को मनुष्य की तरह उत्कृष्टता पूर्वक करने की दिशा में प्रयासरत हैं. आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस तथा मशीन लर्निंग आदि इसी तरह के प्रोग्राम हैं. इनका प्रयोग आम तौर पर मेडिकल डायग्नोस्टिक,कंप्यूटर सर्च इंजन तथा वॉइस या हैंडरा‍इटींग रिकग्निशन आदि में  किया जाता है.

अब यह सोचने वाली बात है कि क्या मशीन मनुष्य का पर्याय बन सकता है ? मार्केट में आई नई टेक्नीक जैसे आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस तथा मशीन लर्निंग ने इस विषय पर सोचने को मजबूर किया है. यह टेक्नीक आम आदमी से लेकर वर्किंग प्रोफेशनल्स तक पर अपना प्रभाव डाल रही है.आजकल रोबोट्स बनाने वाली एजेंसिया, रोबोट्स के व्यवहार में सुधार करने के लिए प्रयासरत हैं और इस प्रयास में उन्हें सफलता भी मिल रही है. ऑफिस में कार्य करने वाले प्रोफेशनल्स के जीवन पर आर्टिफिसियल रोबोट का प्रभाव वाकई चर्चा का विषय है. ग्राहकों की बढ़ती संख्या और उनके द्वारा अधिकतम प्रोडक्ट्स की मांग ने रोबोट बनानेवाले या रोबोट डेवलपर्स को रोबोटों के काम करने के तरीकों में सुधार करने के लिए विवश किया है. रोबोट द्वारा ऑफिस में प्रोफेशनल्स एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 37 कंपनियों के लगभग 30,000 से ज्यादा कर्मचारियों ने रोबोट की मदद से अपने कार्य सम्पन्न किये हैं. के साथ मित्रवत व्यवहार करने तथा उन्हें और प्रोडक्टिव बनाने में सफलता हासिल की जा रही है. अतः इससे स्पष्ट है कि रोबोट की यह तकनीक भविष्य में वर्किंग प्रोफेशनल्स की लाइफ को अवश्य प्रभावित करेगी.

ऑफिस में कर्मचारियों की व्यस्तता

स्टीलकेस (अ वर्कप्लेस सोल्यूशन प्रोवाइडर) ने 12,000 से अधिक प्रोफेशनल्स से पूछताछ करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि लगभग 28 प्रतिशत कर्मचारी अपने ऑफिस में इस टेक्नीक की वजह से व्यस्त और संतुष्ट पाए गए. इस दौरान ऐसा भी पाया गया कि ऑफिस में नाराज और असंतुष्ट प्रोफेशनल्स की संख्या अधिक थी. इससे कहीं न कहीं कंपनियों के  प्रतिभाशाली कर्मचारी भी प्रभावित होते हैं, जिसकी संख्या भारत में 2016 में 7.3 प्रतिशत से बढ़कर 12.3 हो गयी है. यह प्रवृत्ति कॉर्पोरेट कंपनियों के विकास के लिए एक खतरे का संकेत है. इस खतरे से निबटने तथा इस समस्या के समाधान के लिए ज्यादातर कॉर्पोरेट कंपनियों ने फीडबैक, इंगेजमेंट और एनालिटिक टूल्स को शामिल कर सुधार होने की संभावना जताई है. आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस अर्थात कृत्रिम रोबोट कर्मचारियों और वर्कप्लेस पर उनकी इंगेजमेंट का आकलन करेंगे. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन मैकार्थी के अनुसार, यह आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस मशीन बनाने का साइंस और इंजिनियरिंग हैं, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम बनाने के लिए”इससे कोई भी एम्प्लॉयर अपने कर्मचारी की न्यूनतम कार्य करने के मामले में आवश्यक कदम उठाने में सक्षम होंगे. इससे एक तरफ नियोक्ता उचित कदम उठाने में सक्षम होगा तो दूसरी तरफ कर्मचारी भी अपने प्रदर्शन तथा इंगेजमेंट के  आधार पर अपना आकलन कर सकेंगे.

स्थिति को सुधारने में रोबोट्स किस तरह सहायक हैं ?

कर्मचारियों द्वारा कार्य को सही तरीके से नहीं किया जाना तथा उनकी छटनी विकास और सफलता की राह में बहुत बड़ी बाधा बनती जा रही है. इसीलिए अधिकांश कंपनियों ने रोबोट्स के विषय में सोचना शुरू कर  दिया है. विशेष बात यह है कि आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस वाले ये रोबोट विशेष व्यवहार और कम्युनिकेशन पैटर्न को समझने और उसका पालन करने में सक्षम होने के साथ ही उसके अनुरूप एक्शन भी ले सकते हैं.  उदाहरण के लिए मान लीजिये कि काम पर किसी विषय को लेकर आप चिंतित हैं और उस सन्दर्भ में अपने बॉस के असिस्टेंट को एक ईमेल लिखते हैं. अब वह असिस्टेंट कोई और नहीं बल्कि एक रोबोट है. आपके बॉस का यह असिस्टेंट आपकी पिछली गतिविधियों और कम्युनिकेशन के आधार पर ही आपके प्रश्नों का जवाब या समस्याओं का समाधान बताएगा. इतना ही नहीं वह आपके तथा आपके सहकर्मियों के साथ इंटरैक्ट करेगा और बड़ी बुद्धिमानी पूर्वक सवाल जवाब भी करेगा. ये रोबोट वर्क प्लेस पर प्रोफेशनल्स की मनोदशा तथा काम में उनकी रूचि को भी भांप सकते हैं. विवाह तथा अन्य विशेष अवसरों पर इन बुद्धिमान रोबोट्स की मदद ली जा सकती है.

इसके अतिरिक्त भविष्य में मौजूदा परफॉर्मेंस-मैनेजमेंट सिस्टम में ये रोबोट महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. स्वचालित और पहले से ही  प्रोग्राम किए गए इन रोबोर्ट के माध्यम से एम्प्लॉयर या कंपनिया अपने कर्मचारियों के प्रदर्शन पर अपनी नजर रख पाएंगी. यदि वर्कप्लेस पर कर्मचारी को कोई दिक्कत है तो रोबोट उससे उस दिक्कत की जानकारी लेकर उस समय कंपनी में उपलब्ध लीडर को रीयल-टाइम डैशबोर्ड पर फीडबैक देगा. इन रोबोट्स द्वारा किये गए संक्षिप्त सर्वेक्षण से भविष्य में कर्मचारियों के रिस्पोंस रेट बढ़ने की भी संभवना है. इसके अतिरिक्त यह कंपनियों की  रूटीन ऑपरेशंस में एक प्रमुख भूमिका निभाकर उनकी लागत को भी कम कर सकता है. 

रोबोट्स के प्रभाव

इस तकनीक से पूरे व्यापार जगत में क्रांति आने की संभावना है. मौजूदा एम्प्लॉयी इंगेजमेंट और परफॉर्मेंस असेसमेंट सिस्टम में रोबोट की सक्रियता से मैनुफैक्चरिंग कंपनियों को फायदा होगा. इसके अतिरिक्त इससे छोटी सर्वेक्षण कंपनियों को संकट का सामना करना पड़ सकता है. आजकल पदाधिकारियों द्वारा मैनेजमेंट सिस्टम में अधिक से अधिक रोबोट के इंगेजमेंट का सुझाव दिया जा रहा है. लेकिन मानव पर रोबोट की निर्भरता के कारण इसके भविष्य पर अभी भी एक प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है. क्योंकि इन रोबोट्स के माध्यम से सिर्फ कर्मचारियों के विषय में प्रतिक्रिया प्राप्त की जा सकती है,स्थिति में सुधार लाने के लिए वे कुछ भी नहीं करते हैं. हर समस्या का समाधान रोबोट द्वारा नहीं किया जा सकता है. लेकिन इसके बावजूद भी कुछ कंपनियों के मौजूदा मैनेजमेंट मेकेनिज्म में रोबोट की उपस्थिति से आज के वर्क कल्चर में व्यापक बदलाव दिखने की संभावना है.

वस्तुतः हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और यह बात कॉर्पोरेट कंपनियों के मौजूदा मैनेजमेंट मेकेनिज्म में रोबोट्स के प्रयोग में भी समान रूप से लागू होती है. कुछ अहितकर प्रभावों के बावजूद भी यह प्रोफेशनल्स और कंपनियों हेतु विकास और सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगा.

Jagran Josh
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Education Desk

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