गरीब और जरूरतमंदों को को नि: शुल्क कानूनी सहायता और सशक्तीकरण प्रदान करने के लिए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने न्याय मित्र और दो अन्य पहलों की शुरुआत की. तीनों में सबसे दिलचस्प योजना है न्याय मित्र योजना जिसके तहत भारत सरकार के विभिन्न कानूनी विभागों में बड़े पैमाने पर भर्ती की जाएगी. इससे सेवानिवृत्त कानून अधिकारियों, न्यायाधीशों और कानूनी योग्यता रखने वाले व्यक्तियों के लिए कानूनी नौकरी को अवसर मिलेंगे.
न्याय मित्र योजना का उद्देश्य भारत के विभिन्न निचली और जिला अदालतों में एक दशक से अधिक समय तक लंबित मामलों को निपटना है. केंद्रीय मंत्री द्वारा साझा सांख्यिकीय आंकड़ों के मुताबिक करीब 2.5 करोड़ मामले निचली और जिला अदालतों में लंबित हैं जिनमें से 12 से 14 प्रतिशत मामले 10 वर्ष से अधिक पुराने हैं. इस योजना का उद्देश्य इन लंबित मामलों को निपटना है. इस कार्य के लिए वरिष्ठ सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों या कानूनी क्षेत्र में अनुभव के साथ कानून अधिकारियों को न्याय मित्र के पदों पर नियुक्त किया जाएगा. ये न्याय मित्र लंबित मामलों को सुलझाएंगे और इससे हमारी न्यायपालिका पर लंबित मामलों का बोझ कम हो जायेगा. इन योजनाओं से योग्य कानून पेशेवरों के लिए अच्छी संख्या में कानूनी नौकरियों के अवसर उत्पन्न हो सकते हैं.
अन्य दो योजनाएं समान रूप से महत्वपूर्ण हैं और वे हैं: प्रो बोनो लीगल सर्विस और दूसरी टेली लॉ की नौकरी. प्रो बोनो लीगल सर्विस में योग्य पेशेवर वकीलों को हाल ही में शुरू होने वाले सरकारी पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करना होगा. फिर उन्हें जरूरतमंदों को ईमानदार और स्वस्थ कानूनी सहायता प्रदान करनी होगी. न्याय विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध पेज उनके द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के बारे में एक डेटाबेस तैयार करेगा और यह सरकार की न्यायाधीशों और अन्य उपयुक्त पदों पर भर्ती करने में मदद करेगा. टेली कानून में वकीलों के एक विशेषज्ञ पैनल के माध्यम से कानूनी सलाह देने का उद्देश्य है. इन वकीलों को राज्य कानूनी सेवा अधिकारियों (एसएलएसए) के तौर पर तैनात किया जाएगा. इस अवधारणा का उद्देश्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वकीलों के साथ ग्राहक कनेक्ट करना है. यह लागत कम करेगा और कानूनी प्रणाली में तरलता लाएगा. यह जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार और भारत के अन्य प्रमुख राज्यों में 1800 पंचायतों में शुरू होगा.
यह उम्मीद है कि इन नई पहलों से भारत की न्यायिक व्यवस्था अधिक जवाबदेह, तेज, पारदर्शी और सस्ती हो जायेगी जिससे भारत की न्यायिक व्यवस्था में सकारात्मक और ठोस बदलाव आएंगे और भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थायी कानूनी जॉब्स के अवसर भी उपलब्ध हो सकेंगे.
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