आज के इस अर्थवादी परिवेश में माता पिता दोनों के लिए कार्य करना समय की मांग हो गयी है. लेकिन वर्किंग पैरेंट(कार्यरत माता पिता) होना अपने आप में एक बहुत मुश्किल काम है. इससे कभी घर का कार्य प्रभावित होता है,तो कभी बच्चे का होम वर्क. सभी कार्यों को सही तरीके से करने के लिए हमेशा तत्पर रहने के बावजूद भी कुछ न कुछ शेष रह ही जाता है. हमेशा एक पैर पर खड़े होने के बावजूद भी कहीं न कहीं कमी रह ही जाती है. फलतः माता पिता में एकरसता घर करती जाती है जो आगे चलकर निराशा का रूप ले सकती है. यदि आप या फिर आपके साथी मित्र वर्किंग पैरेंट हैं, तो काम और व्यक्तिगत जीवन में सही तरीके से कैसे तालमेल बैठाया जा सकता है, इसकी जानकारी कुछ युक्तियों के माध्यम से दी गयी है-
1. संवाद की अहम् भूमिका
अपने पार्टनर के साथ हर चीज पर खुलकर बात करना तथा घर के कार्यों का दोनों में समान रूप से विभाजन बहुत जरुरी है. उदाहरण के लिए स्कूल में पैरेंट टीचर मीटिंग में दोनों अल्टरनेट करके जायें ताकि आप दोनों में से एक ऑफिस भी जा सके तथा दूसरा बच्चे के स्कूल की गतिविधियों पर भी नजर रख सके. मानसिक, आर्थिक और सामजिक रूप से परिपक्व होने के बाद ही बहुत सोच समझकर बच्चे पैदा करने का निर्णय लें ताकि भविष्य में आने वाली परिस्थितियों का सामना आप बिना कठिनाई के कर सकें.
2. समय बहुत कीमती है
कहते हैं समय और लहरें किसी का इंतजार नहीं करती हैं. आपके पार्टनर तथा आपके बच्चे को आपकी कंपनी के वनिस्पत अधिक समय की जरुरत है. जितना अधिक से अधिक समय आप उन्हें दे सकते हैं देने की कोशिश करें. इसके लिए आपको टाईम मैनेजमेंट की कला में अपने आप को प्रवीन बनाना होगा. आपको अपने आप को इस तरह से अलर्ट करना होगा कि आप अपना समय फिजूल में या किसी अन्य व्यक्ति के साथ बीताने की बजाय अपने बच्चों और पार्टनर के साथ क्वालिटी समय दें. उनको यह एहसास कराने की कोशिश करें कि आपके लिये वे कितने महत्वपूर्ण हैं ?
3. घर में कार्यालय का कार्य करने से बचें
अगर आप अपने बच्चे तथा पार्टनर के साथ क्वालिटी समय व्यतीत करना चाहते हैं तो कभी भी ऑफिस का कार्य घर लाकर उसे निबटाने की कोशिश मत कीजिये. आप लगभग 9 से 10 घंटे तक उनसे दूर रहे हैं. अतः उनपर ध्यान देने की कोशिश करें. आपको अपने ऑफिस के सभी कार्यों को ऑफिस में ही निबटाने की कोशिश करनी चाहिए. यह बात सही है कि काम का प्रेशर व्यक्ति को चिड़चिड़ा बना देता है. जिससे आप तनाव ग्रस्त होते हैं और उसका सीधा सीधा असर आपके बच्चे तथा पार्टनर पर पड़ता है. अतः बेहतर होगा कि आप अपने ऑफिस का सारा कार्य ऑफिस में ही पूरा करके आयें ताकि घर का कार्य करते समय आपका ध्यान ऑफिस में नहीं हो.
4. वीकेंड पर कहीं घूमने का प्लान करें
अगर शनिवार और रविवार आपकी तथा आपके बच्चों की छुट्टी हो,तो अवश्य ही वीकेंड पर कहीं बाहर जाने का प्लान करें. अगर आपके बच्चे का कोई पसंदीदा स्थान हो तथा वह वहां बार बार जाने की जिद्द करता हो,तो वहां अवश्य जाए. लेकिन इससे पहले एक बार इस चीज की जांच कर ले कि आपका बच्चा वहीँ क्यों जाना चाहता है ? अगर सब कुछ सही लगे और आपका बच्चा वहां खूब मस्ती करता हो,तो आप अवश्य जाएँ ताकि वह इसका भरपूर आनंद उठाये तथा इससे उसको मानसिक संतुष्टि मिले.
5. पूरे दिन में कम से कम एक बार सभी लोग एक साथ बैठकर खाना खाएं
कोशिश कीजिये की परिवार में जितने भी सदस्य हैं सभी एक साथ मिलकर कम से कम एक बार अवश्य भोजन करें. भोजन के दौरान मोबाइल, टेलीविजन आदि उपकरण सर्वथा बंद रखें. हो सके तो इस दौरान हास्य का माहौल रखते हुए कुछ बातें एक दूसरे से शेयर करें.
6. कुछ कार्यों में बच्चे तथा पार्टनर की मदद लें
आप अपने घर के छोटे छोटे मोटे कार्यों में इनकी मदद लेने से न कतराएँ. ध्यान रखिये इन छोटे मोटे कार्यों से ही उनके कार्य करने की स्किल में विकास होगा तथा वे अनुशासन प्रिय भी बनेंगे. इसके साथ साथ कार्य या श्रम विभाजन की वजह से आपको भी थोड़ी बहुत मानसिक तथा शारीरिक शांति महसूस होगी. लेकिन इस समय इस बात का भी ख्याल रखा जाना चाहिए कि उनसे इतना ज्यदा काम न लिया जाय कि अगले दिन थकावट की वजह से वे स्कूल जाने की स्थिति में न हों.
7. जरुरत पड़ने पर कभी कभी टाइमिंग्स को लेकर अपने बॉस से भी बात चित करें
कभी कभी अगर जरुरत पड़े तो अपनी समस्याओं का जिक्र अपने बॉस से करते हुए छुट्टी के लिए निवेदन करें लेकिन इसका एक लिमिट होना चाहिए.ऐसा न हो कि आपका बॉस इसे छुट्टी लेने का एक बहाना मात्र मानने लगे. उदाहरण के लिए अगर आपको अपने बच्चे के वार्षिक कार्यक्रम में उपस्थित होना है,तो इसके लिए थोड़े अतिरिक्त समय की मांग करें तथा ऑफिस में भी आकर अपना टारगेट या वर्क पूरा करे ताकि भविष्य में अगर पुनः ऐसी स्थिति आती है,तो आपको दूबारा छुट्टी लेने के लिए सोचना न पड़ें.
निष्कर्ष
21 वीं शताब्दी में जीवन की बढ़ती रफ़्तार की आपाधापी में बच्चों की जिम्मेदारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. इसके लिए आपको पहले से ही आर्थिक, मानसिक, सामजिक तथा पारिवारिक रूप से सशक्त होते हुए कोई भी निर्णय लेना चाहिए ताकि आगे का सफर आपके लिए मुश्किलों भरा न हो.
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