प्रिय मित्रों,
जरा सोचिए। जीवन में कोई लक्ष्य ही नहीं होता तो कैसा होता? शायद जीवन ही अस्त-व्यस्त हो जाता है। एक छात्र के तौर पर तो हमारे लिए Goals का निर्धारण करना और उस पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगे बढना अत्यंत ही आवश्यक है। सफलता के A to L Ingredients की इस श्रृंखला में आज G for Goals Orientation पर बात करते हैं। कैसे करते हैं हम अपने Goals का निर्धारण? हाल में कुछ सभाओं को संबोधित करते हुए मैंने इसे निम्न प्रकार से बताया :
1. Aim and Shoot- निशाना साधा और गोली चलाई। अर्थात निर्णय लिया कि क्या पाना है और ध्यान केंद्रित करते हुए उस पर कार्य किया।
2. Shoot and Aim शायद यह बात हास्यास्पद लगे। पहले गोली चला दी और जहां लग गई उसे ही अपना लक्ष्य बताने लगे।
3. Shoot, Shoot, Shoot...... बेतरतीब अलग-अलग निशाने लगाने लगे और यह सोचा कि कहीं तो लगेगी हमारी गोली। उसे ही गोल कहना शुरू कर देंगे।
4. Aim, Aim, Aim..... यह सज्जन शायद Perfect Aim की तलाश में गोली चलाना ही भूल जाते हैं और उम्र गंवाना शुरू कर देते हैं।
आप कैसा सोच रहे हैं? गोल निर्धारण के संग-संग उस पर एक्शन भी जरूरी है। यह अचानक Exam and Interviews के पहले नहीं होता। इसके लिए बडे लक्ष्यों को छोटे लक्ष्यों में बांटना पडता है और उसे पूरा करना पडता है। इसलिए वार्षिक लक्ष्य को मासिक, साप्ताहिक और दैनिक लक्ष्यों में निर्धारित अवश्य कीजिए।
अक्सर आप जैसे मित्र कहते हैं कि गोल तो बन जाते हैं परन्तु उनपर अमल नहीं हो पाता। जाहिर है कि हमारे में Self-Motivation की कमी है। यह Self-Motivation कैसे आएगा? यह भी जाहिर है कि सेल्फ से ही आएगा। पैरेन्ट्स आपको क्रिकेट का बल्ला तो ला कर तो दे सकते हैं लेकिन खेलने के लिए मैदान में तो आपको ही जाना पडेगा। वैसे मित्रों संग फेसबुक पर चैटिंग का Motivationकहां से आता है? जिस भी कार्य को हम Enjoy करते हैं वह हम बडी आसानी से कर लेते हैं और बाकि सब के लिए बहाने बना लेते हैं। तो फिर गोल वही बनाएं जिसे आप Enjoy करें या फिर जो भी गोल बनाएं उसमें Enjoyment पैदा करें। हर उस कार्य में जब-जब भी आप छोटी या बडी सफलता पाएंगे, उसमें Enjoyment पाना शुरू कर देंगे। तो फिर तो बहुत आसान सा लगता है-सबसे पहले स्वयं में किसी भी गोल को पूरा करने की Willingness पैदा कीजिए, उसे स्वयं के लिए चैलेंज मानिए और फिर छोटे-छोटे टुकडों में बांटकर उस गोल को पूरा करना शुरू कीजिए और हर सफलता पर स्वयं को शाबाशी दीजिए और हो सके तो कुछ Rewardभी दीजिए चाहे वह 10 मिनट के लिए फेसबुक चैटिंग ही क्यों न हो।
राजीव खुराना
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