कंप्यूटर, ई-मेल या बैंक अकाउंट हैक करने की बढ़ती घटनाओं से पूरी दुनिया परेशान है। कुछ साल पहले तक इस तरह की घटनाओं को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता था, लेकिन जब ब्लैक हैट हैकर्स खुफिया व संवेदनशील दस्तावेजों में सेंध लगाने के साथ-साथ बैंकों को भी भारी-भरकम चूना लगाने लगे, तो इनसे निपटना बड़ी चुनौती बन गई। पुलिस-सुरक्षा एजेंसियों के कारगर न होने पर इन हैकर्स से मोर्चा लेने का बीड़ा उठाया इन्हीं जैसे हैकर्स ने, जिन्हें एथिकल हैकर्स कहते हैं। एथिकल हैकर्स के रूप में आज स्किल्ड युवाओं के सामने रोजगार का खुला आसमान है..
साइबर डिटेक्टिव की नई फौज
हाल ही में देश के सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले रक्षा, विदेश, गृह मंत्रालय, डीआरडीओ सहित सामरिक महत्व के कई संवेदनशील ऑफिसों के कंप्यूटर एक बड़े साइबर हमले का शिकार हो गए। इससे दर्जनों गोपनीय फाइलों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई। हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं था। इससे पहले भी ऐसी कई घटनाएं सामने आती रही हैं। दुनिया के तमाम देश साइबर सिक्योरिटी की तमाम कोशिशों के बावजूद हैकिंग से परेशान हैं।
पिछले दिनों एक मूवी आई थी मिकी वायरस। इसमें साउथ दिल्ली का मिकी अरोड़ा गजब का हैकर है। मिकी के इस हैकर गैंग में प्रोफेसर नीतेश पांडे और फ्लॉपी भी शामिल हैं। लेकिन मिकी की लाइफ में उस समय टर्निंग प्वाइंट आता है, जब दिल्ली पुलिस का एसीपी सिद्धांत चौहान (मनीष चौधरी) उसके बारे में बहुत कुछ जान जाता है और उसे एक खुफिया मिशन पर अपने साथ लगाता है। चौहान और उसके सहायक इंस्पेक्टर देवेंद्र भल्ला (वरुण बडोला) के साथ मिकी इस खुफिया मिशन में शामिल होता है। आज तमाम ऐसे यंगस्टर्स हैं, जो मिकी की तरह पुलिस के साथ मिलकर साइबर क्राइम के केसेज को सॉल्व कर रहे
हैं। 24 साल के सनी वाघेला अहमदाबाद पुलिस के राइट हैंड हैं। पिछले कई सालों से साइबर अपराध से जुड़े मामलों में पुलिस ने उनकी मदद ली है। यह सिलसिला तब शुरू हुआ, जब यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग के दौरान किसी स्टूडेंट ने एक फेक आईडी बनाकर एमएमएस को सोशल मीडिया वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था। पुलिस ने इस मामले में उनकी मदद मांगी और उन्होंने केस सॉल्व कराने में अहम भूमिका निभाई। आज सनी टेकडिफेंस कंसल्टिंग के चीफ टेक्निकल ऑफिसर और फाउंडर हैं। इंडिया में ऐसे और भी यंगस्टर्स हैं जो बैंकों, कंपनियों, सेना और सरकार की मदद कर रहे हैं। लेकिन इन्हें हैकर नहीं, एथिकल हैकर या व्हाइट हैट हैकर कहा जाता है, क्योंकि इनका मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि साइबर खतरे से सावधान करना है।
हैकिंग बनाम एथिकल हैकिंग
कई बार लोगों के पास फर्जी ई-मेल आते हैं। उनका ईमेल अकाउंट भी कभी हैक हो जाता है। आपने अपने किसी दोस्त से सुना होगा कि उसका अकाउंट किसी ने हैक कर लिया और उससे ठगी वाले कुछ मेल भेजे जा रहे हैं। दरअसल, हैकर आपके कंप्यूटर या आपके संबंधित अकाउंट पर पूरी तरह से हावी हो जाता है। जिसके बाद उसे आपके डेटा को चुराने या खत्म करने की आजादी मिल जाती है। वाई-फाई इंटरनेट कनेक्शन से चलने वाले सिस्टम को हैक करना ज्यादा आसान होता है। कुछ समय पहले ही लंदन में एक इंटरनेट सिक्यॉरिटी फंड ने ऑनलाइन मार्केट में हैकर्स द्वारा बेचने के लिए रखा गया ढेर सारा पर्सनल डेटा पकड़ा था। इनमें से एक हैकर ने साढ़े 10 करोड़ से ज्यादा रिकॉर्ड्स चुराए थे, जो साइबर क्राइम के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी चोरी है। इस डेटा में 36 करोड़ से ज्यादा अकाउंट्स के क्रिडेंशल्स और साढ़े 12 लाख से ज्यादा ई-मेल एड्रेस थे। भारत में भी सरकारी मंत्रालयों, बीएसएनल जैसी दूसरी वेबसाइट्स पर हैकरों के हमले बढ़े हैं। कंप्यूटर में हैकिंग की बढ़ती घटनाओं से ही निपटने के लिए ही आज एथिकल हैकर्स की जरूरत महसूस की जा रही है।एथिकल हैकर ऐसे साइबर एक्सपर्ट होते हैं, जो किसी भलाई के लिए हैकिंग और हैकिंग से बचाव करते हैं। ये एक तरह से साइबर वर्ल्ड के टेक्निकल वॉरियर या जेम्स बॉन्ड हैं, जो अपनी टेक्निकल स्किल और दिमाग से साइबर वर्ल्ड के दुश्मनों या विलेन से मुकाबला करते हैं। फेसबुक, गूगल जैसी सोशल नेटवर्रि्कग साइट्स, सर्च इंजन्स आदि में तकनीकी खामी यानी बग बाउंटी खोजने के लिए बाकायदा एथिकल हैकर्स की सेवाएं ली जा रही हैं। गूगल ऐसे प्रोफेशनल्स को 100 से 20 हजार डॉलर तक पे कर रहा है।
ग्रोथ का गोल्डन चांस
एक रिसर्च के अनुसार, ग्लोबल साइबर मार्केट दिनों दिन बढ़ रहा है। साल 2011 में जहां यह 63 बिलियन डॉलर का था, वहीं 2017 तक इसके बढ़कर 120.1 बिलियन डॉलर का हो जाने का अनुमान है। नैस्कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल आईटी सिक्योरिटी एक्सपर्ट की मांग 10 लाख तक पहुंच जाने की उम्मीद है। आईटी ग्रेजुएट्स की तो इसमें खूब डिमांड है ही, नॉन टेक्निकल बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स भी एथिकल हैकिंग या साइबर सिक्योरिटी से जुड़ा कोर्स करके इस फील्ड में करियर बना सकते हैं।
एथिकल हैकिंग में स्कोप
-2012 में 42 मिलियन इंडियंस हुए
साइबर क्राइम के शिकार
-करीब 4.7 लाख साइबर एक्सपर्ट्स की
इंडिया में है जरूरत
-पांच लाख एथिकल हैकर्स को ट्रेन करने की योजना
साइबर फोर्स जरूरी
कंप्यूटर आज हमारी जरूरत बन चुका है और हम इस पर पूरी तरह से डिपेंड हो चुके हैं। जैसे-जैसे हम टेक्नोलॉजी पर डिपेंड हो रहे हैं, हमारी प्राइवेसी और हमारे सीक्रेट डेटा पर टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट (क्रैकिंग हैकर्स) सेंध भी लगा रहे हैं। ये हैकर्स न सिर्फ हमारी प्राइवेसी को जानने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी हमें नुकसान भी पहुंचा रहे हैं। हम सभी टेक्नोलॉजी के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी तो रखते हैं, लेकिन हमारी प्राइवेसी और आर्थिक रूप से हमें कोई नुकसान न पहुंचाए, इसका कोई उपाय हमारे पास नहीं है। ऐसे क्रैकिंग हैकर्स से बचाने का जिम्मा उठाते हैं एथिकल हैकर्स। एथिकल हैकिंग या व्हाइट हैट हैकिंग आज ऐसा उभरता हुआ करियर बन गया है जिसकी मदद मल्टीनेशनल कंपनीज के अलावा देश की सिक्योरिटी एजेंसीज भी ले रही हैं।
आईटी सिक्योरिटी एक्सपर्ट
22 साल के इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी कंसल्टेंट बेनिल्ड जोसफ का कहना है कि इंडिया दुनिया के टॉप 10 आईटी कंट्रीज में आता है, लेकिन हमारे यहां जितना बड़ा सिस्टम है, उसकी तुलना में आईटी सिक्योरिटी एक्सपर्ट बहुत कम हैं। नैस्कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक इंडिया को अभी कई लाख साइबर प्रोफेशनल्स की जरूरत है। जोसफ कहते हैं कि आने वाला समय उन हैकर्स से साइबर वॉर का है, जो बिना वेपन और सोल्जर के हमारे सिक्योरिटी सिस्टम को ब्रेक कर देते हैं। दूसरी कंट्री में बैठे हैकर्स हमारे सिक्योरिटी सिस्टम में सेंध लगाकर हमें काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। जोसफ के मुताबिक चीन में दुनिया की पहली साइबर सिक्योरिटी फोर्स है। इस फोर्स में पांच लाख से ज्यादा एक्सपर्ट्स काम कर रहे हैं। भविष्य में खतरे को देखते हुए इंडिया को भी बड़ी संख्या में ऐसे ही साइबर एक्सपर्ट्स की जरूरत है।
हाई पेड जॉब
जोसफ कहते हैं कि एथिकल हैकिंग आज हाई पेड जॉब में काउंट की जाती है। मल्टीनेशनल कंपनीज अपने यहां ऐसे साइबर एक्सपर्ट्स या एथिकल हैकर्स को अप्वाइंट करती हैं जो उनके सीक्रेट डेटा को दूसरे ब्लैक हैट हैकर्स से सिक्योर कर सकें। जोसफ अभी इंटरनेशनल आईटी सिक्योरिटी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, वह डोमेस्टिक और इंटरनेशनल कंपनीज को भी सर्विस प्रोवाइड करते हैं।
कोर्स इन डिमांड
साइबर सिक्योरिटी कोर्स इन दिनों डिमांड में है। कोर्स मॉड्यूल के तहत साइबर सिक्योरिटी की बारीकियों को प्रैक्टिकली बताया जाता है। एक हैकिंग एक्सपर्ट के रूप में हैकर्स के दिमाग को पढ़ने और उसके द्वारा उठाए जाने स्टेप्स को एनालाइज करने की ट्रेनिंग दी जाती है।
डेटा रखें सेफ
साइबर सिक्योरिटी की प्रॉब्लम इंडिया में तेजी से बढ़ रही है। इसके बावजूद गवर्नमेंट ने अभी तक साइबर सिक्योरिटी की तरफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। यह कहना है साइबर सिक्योरिटी एनालिस्ट और द हैकर्स कॉन्फ्रेंस के को-फाउंडर जितेन जैन का। उनकी मानें तो इस फील्ड में करियर के बेहतरीन ऑप्शंस हैं। मल्टीनेशनल और गवर्नमेंट एजेंसीज डेटा को सुरक्षित रखने के लिए एथिकल हैकर्स की मदद ले रही हैं।
प्राइवेट कंपनीज में डिमांड
साइबर एक्सपर्ट्स की आज सॉफ्टवेयर और नेटवर्किंग कंपनीज में जबर्दस्त डिमांड है। कंपनियां अपने डेटा को हर हाल में सुरक्षित रखना चाहती हैं, क्योंकि अगर डेटा चोरी हो गया, तो यूजर-क्लाइंट का भरोसा कंपनी के ऊपर से खत्म हो सकता है। इसका सीधा असर कंपनी की ग्रोथ पर पड़ता है।
करिकुलम में शामिल हो कोर्स
साइबर एक्सपर्ट बनना आसान नहीं है, इसके लिए अच्छी टेक्निकल नॉलेज होना बहुत जरूरी है। अभी लोग खुद प्रैक्टिस करके या छोटी-मोटी ट्रेनिंग लेकर इस फील्ड में आ रहे हैं। अगर कंट्री को साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में मजबूत बनना है, तो उसके लिए हमें अपने एकेडमिक करिकुलम में इस कोर्स को शामिल करना होगा। इसके साथ ही कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स को इस तरह की मॉरल ट्रेनिंग भी देनी होगी, जिससे कि वेकंट्री के प्रति अपने सरोकारों को समझकर ईमानदारी से काम कर सकें।
करियर ग्रोथ की अच्छी अपॉरच्युनिटी
साइबर सिक्योरिटी फील्ड में करियर बनाने की अच्छी अपॉरच्युनिटी है। साइबर एक्सपर्ट्स के रूप में तीन तरह से करियर बनाया जा सकता है। पहला कंपनी में जॉब करके, दूसरा सर्विस या प्रोडक्ट बनाकर और तीसरा गलत तरीके से। एथिकल हैकर के रूप में कंपनीज में जॉब करके या फिर सर्विस प्रोवाइड करके एक बढि़या करियर तो बनाया जा सकता है।
लाखों साइबर एक्सपर्ट्स की जरूरत
अमेरिका, चीन और यूरोपियन कंट्रीज के मुकाबले इंडिया में साइबर एक्सपर्ट्स की संख्या बहुत कम है। एक अनुमान के मुताबिक इंडिया में आज तीस हजार साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स हैं, जबकि जरूरत कई लाख साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स की है।
हैकर विद डिफरेंस
एथिकल हैकर और साइबर सिक्योरिटी फर्म लुसिडियस के सीइओ साकेत मोदी ने 2009 में कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करने के बाद साइबर फोरेंसिंक और एथिकल हैकिंग के ट्रेनर और कंसल्टेंट के रूप में करियर की शुरुआत की थी। आगे चलकर लुसिडियस नाम से फर्म शुरू की जो आज सीआईडी, आरबीआई, गवर्नमेंट डिपार्टमेंट्स, एजेंसीज, आईबीएम जैसी कंपनियों को साइबर सिक्योरिटी प्रोवाइड कराती है।
एथिकल हैकिंग के ट्रेनर
साकेत ने 11 साल की उम्र में पहली बार स्कूल के कंप्यूटर से केमिस्ट्री का पेपर हैक किया था। लेकिन जैसे ही गलती का अहसास हुआ, प्रिंसिपल को इसकी सूचना दी। बदले में सजा नहीं, एग्जाम में बैठने का मौका मिला और वे गलत रास्ते पर जाने से बच गए। साकेत ग्लोबल लेवल पर अब तक पांच हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स, प्रोफेशनल्स, कॉरपोरेट हाउसेज और गवर्नमेंट सेक्टर के एम्प्लॉयीज को एथिकल हैकिंग की ट्रेनिंग दे चुके हैं। वे ई-कॉमर्स कंपनीज के अलावा कई बैंकों के एडवाइजर भी हैं और उन्हें हैकर्स से बचने में मदद करते हैं।
कंप्यूटर का भरोसेमंद साथी
साकेत ने बताया कि एथिकल हैकर एक तरह का हैकर ही है, लेकिन वह परमिशन लेकर काम (हैक) करता है। आपके सिस्टम के अंदर जाता है। वहां के लूप-होल्स बताता है और उसे ठीक करने में मदद करता है। आज एथिकल हैकर्स कॉरपोरेट के साथ-साथ गवर्नमेंट एजेंसीज के साथ भी काम कर रहे हैं। इसके लिए वे बाकायदा एक ऑथराइजेशन लेटर लेते हैं, जिसे पेन टेस्टिंग कहते हैं यानी आपको क्लाइंट के सिस्टम में एंट्री करने के लिए ऑथराइज किया जाता है। साथ ही एक नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट पर साइन होता है जिसमें एथिकल हैकर की ओर से गारंटी दी जाती है कि वेबसाइट या सिस्टम को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाएगा। यहां गोपनीयता का भी पूरा ख्याल रखा जाता है।
भविष्य की नींव
साकेत बताते हैं कि देश में सिक्योरिटी ऑफिसर्स और एक्सपर्ट एथिकल हैकर्स की डिमांड काफी ज्यादा है। इसीलिए लुसिडियस जल्द ही गुजरात टेक्निकल यूनिवर्सिटी और उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर साइबर सिक्योरिटी में एक साल का डिप्लोमा कोर्स शुरू करने जा रहा है। इसके अलावा एआईसीटीई के पास भी डिप्लोमा कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव भेजा गया है ताकि इस प्रोफेशन में टैलेंटेड युवाओं को करियर संवारने का पूरा मौका मिल सके।
हैकिंग से मिला फेम
इन्होंने दुनिया के सबसे ज्यादा सिक्योर्ड इंटरनेट नेटवर्क्स को हैक किया है। साइबर सिस्टम पर कमांड रखने वाली गूगल, याहू, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, एप्पल, ब्लैकबेरी और नोकिया जैसी कंपनियों के सिस्टम में सेंध लगाई है औऱ बदले में पाया है इनाम। नाम है मोनेन्द्र साहू उर्फ मोहित, जो एक व्हाइट हैकर हैं और इंडिया के सबसे बड़े एथिकल हैकर्स ग्रुप इंडीशेल की मदद से कंपनियों के साइबर सिक्योरिटी सिस्टम को दुरुस्त करते हैं। साथ ही छत्तीसगढ़ इंफोसेक सोसायटी के जरिये साइबर क्राइम के खिलाफ लोगों को अवेयर भी करते हैं।
बग बाउंटी से मिली शोहरत
मोहित बताते हैं कि बढ़ते साइबर खतरे के मद्देनजर कंपनियां सिस्टम में कमियां ढूंढने और उन्हें सुधारने के लिए बग बाउंटी प्रोग्राम चलाती हैं। इसमें तकनीकी जानकारी रखने वाले यूजर्स को कमियां बताने का मौका मिलता है। एक व्हाइट हैकर के तौर पर वे यही काम करते हैं और महज तीन-चार महीने में उन्होंने करीब 3500 डॉलर की कमाई भी कर ली। कुछ समय पहले ही उन्होंने फेसबुक में बग ढूंढा था, जिसके बाद उन्हें हॉल ऑफ फेम मिला। दरअसल, मोहित ने ऐसे बग का पता लगाया था जिसके जरिये यूजर की परमिशन के बिना किसी भी पोस्ट पर लाइक या कमेंट किया जा सकता है। उन्होंने गूगल शॉपिंग स्टोर में भी ऐसी कमी ढूंढी, जिससे किसी भी यूजर की क्रेडिट कार्ड डिटेल व पासवर्ड की जानकारी मिल सकती थी।
एथिकल हैकिंग में सम्मान
रायपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से माइनिंग में बीटेक करने वाले मोहित को कई कॉरपोरेट्स, बैंक्स आदि की वेबसाइट्स में लूपहोल्स मिले। एक बैंक के सर्वर को तो उन्होंने सिर्फ दो मिनट में हैक कर लिया, जबकि कुछ को एक बार से ज्यादा हैक किया। इसके बाद खुद ही उसकी खबर भी अधिकारियों को दी और आखिर में उन्होंने फैसला किया कि एथिकल हैकिंग में ही करियर बनाएंगे। कहते हैं इंडिया में हैकिंग में पैसा है, लेकिन सम्मान नहीं। जबकि एथिकल हैकिंग में ये दोनों ही चीजें हैं। अब तक मोहित कई बड़ी कंपनियों के साइबर सिक्योरिटी सिस्टम में ऐसी खामियां निकाल चुके हैं, जो बड़ी-बड़ी टेक्निकल टीमें नहीं निकाल सकीं। उन्होंने छत्तीसगढ़ क्राइम ब्रांच को हैक करने के बाद उन्हें इससे बचने के उपाय भी बताए।
हैकर्स को हराएं
वर्चुअल वर्ल्ड में हैकर्स आए दिन नए-नए जरिये और तरीके से हमले करके कंपनीज और सरकारी प्रतिष्ठानों के सिक्योरिटी सिस्टम को ठेंगा दिखा रहे हैं। ऐसे में उनका मुकाबला करने के लिए एक्सपर्ट एथिकल हैकर्स की मांग देश और दुनिया में तेजी से बढ़ रही है..
साल 2002। दुनिया का सबसे मजबूत डिफेंस सिस्टम अमेरिका। किसी भी तरह के हैकिंग अटैक से बचने के लिए कई वर्ल्ड क्लॉस एथिकल हैकर्स की मौजूदगी। इसके बावजूद गैरी मैक्किनॉन ने इंग्लैंड में रहते हुए ही अमेरिकी डिफेंस सिस्टम के 90 संवेदनशील कंप्यूटर्स को हैक कर बेहद गोपनीय जानकारियां हासिल कर लीं, हालांकि बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इतने साल बीतने के बाद भी हैकिंग की घटनाओं पर रोक के लिए सरकारों-कपनियों द्वारा कोई खास कारगर उपाय नहीं किए जा सके हैं। उल्टे हैकिंग आज सुनियोजित वार गेम का हिस्सा बन गई है। तमाम देश अपने प्रतिद्वंद्वी देश का सीक्रेट हासिल करने और उसे आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए भी हैकिंग का सहारा ले रहे हैं।
बढ़ी डिमांड
इंटरनेशनल लेवल पर एथिकल हैकर्स की डिमांड तकरीबन 21 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ रही है। स्टूडेंट्स या आईटी प्रोफेशनल्स एथिकल हैकिंग का कोर्स करने के बाद अगर सर्टिफाइड एथिकल हैकर (इसी-काउंसिल), सर्टिफाइड हैकिंग फोरेंसिक इंवेस्टिगेटर (इसी-काउंसिल) जैसे इंटरनेशनल सर्टिफिकेट हासिल कर लें, तो दुनिया की तमाम आइटी कंपनियों और संस्थानों में आकर्षक पैकेज वाली जॉब मिल सकती है।
जरूरी स्किल्स
एथिकल हैकर के रूप में करियर बनाने के लिए इन स्किल्स का होना जरूरी है :
-कंप्यूटर नेटवर्किग और इंटरनेट पर परफेक्शन
और जावा, सी++ आदि पर कमांड
-हैकिंग रिलेटेड रिसर्च एबिलिटी
-प्रॉब्लम सॉल्विंग कैपेसिटी
-एनालिटिकल पावर
-अपडेट रहने की क्वॉलिटी
-अपराधी के दिमाग को पढ़ने की क्षमता
-कॉपी राइट्स की नॉलेज
-हैकिंग के लेटेस्ट ट्रेंड की नॉलेज
परफेक्शन का खेल
असल में साइबर वर्ल्ड में हैकर्स और एथिकल हैकर्स के बीच हमेशा कॉम्पिटिशन चलता रहता है। इसमें जीतता वही है, जो टेक्निकल नॉलेज में दूसरे को पीछे छोड़ देता है। अगर आप आइटी सेवी हैं और इस फील्ड में अपने डिटेक्टिव माइंड से साइबर वर्ल्ड के जेम्स बॉन्ड बनना चाहते हैं, तो खुद को एथिकल हैकर के रूप में डेवलप कर नाम और पैसा दोनों कमा सकते हैं। इस बात का जरूर ध्यान रखें कि यह एक ऐसा फील्ड है, जिसमें दिमाग को शॉर्प रखने के साथ-साथ तकनीकी रूप से भी हमेशा अपडेट रहना होगा। रेगुलर रिसर्च, इनोवेशन के अलावा अपने और दूसरों के अनुभवों से भी सीखना होगा।
फ्यूचर जॉब सेक्टर
फोर्ब्स मैगजीन ने दुनिया के फ्यूचर टॉप फाइव जॉब्स की जो सूची जारी की है, उसमें एथिकल हैकिंग को दूसरा स्थान मिला है। इससे पता चलता है कि आने वाले दिनों में इस फील्ड में कितनी जोरदार संभावनाएं मौजूद हैं। इंडिया में एथिकल हैकर्स कम हैं, इस कमी को पूरा करने की कोशिशें चल रही हैं। जिन युवाओं में कंप्यूटर का पैशन है, बेशक वे किसी भी दूसरी स्ट्रीम में काम कर रहे हों, इस फील्ड में आकर शानदार करियर बना सकते हैं। इसकी किसी विशेष ब्रांच जैसे एप्लीकेशन सिक्योरिटी, वाई-फाई सिक्योरिटी, नेटवर्क सिक्योरिटी आदि में स्पेशलाइजेशन के बाद ग्रोथ के चांस और बढ़ जाएंगे। यहां क्वॉलिफिकेशन से ज्यादा डेडिकेशन और रिसर्च की जरूरत होती है।
वर्क एरिया
एथिकल हैकर के रूप में आप किसी भी नेशनल या इंटरनेशनल लेवल की कंपनी या ऑर्गेनाइजेशन में सिक्योरिटी एनालिस्ट, चीफ इन्फॉर्मेशन ऑफिसर, प्रेजेंटेशन टेस्टर, नेटवर्किग स्पेशलिस्ट के रूप में काम कर सकते हैं। इस फील्ड की अच्छी नॉलेज और एक्सपीरियंस हासिल करने के बाद एथिकल हैकिंग की ट्रेनिंग देने वाले किसी इंस्टीट्यूट केसाथ जुड़कर टीचिंग का काम भी किया जा सकता है।
जॉब ऑप्शन
-टेलीकॉम कंपनीज
-फाइनेंशियल यूनिट्स
-एयरलाइंस
-डिफेंस ऑर्गेनाइजेशंस
-फोरेंसिक लेबोरेटरीज
-इंटरनेट फर्म्स
-आईटी सर्विस कंपनीज
-रिटेल चेन सेक्टर
प्लस प्वॉइंट
-नेम और फेम हासिल करने के चांस
-जॉब के लिए ज्यादा कॉम्पिटिशन नहीं
-अच्छी नॉलेज रखने वालों की इंटरनेशनल कंपनियों या ऑर्गेनाइजेशंस में एंट्री आसान
माइनस प्वॉइंट
-एक छोटी सी चूक, पूरे मिशन को फेल कर देती है
-हैकर्स से कॉम्पिटिशन कभी खत्म नहीं होता
ट्रेनिंग
एथिकल हैकिंग से रिलेटेड कोर्सेज में स्टूडेंट को कंप्यूटर सिक्योरिटी, प्रेजेंटेशन, पेनिट्रोशन, लेटेस्ट गैजेट्स, हैकिंग ट्रेंड, पासवर्ड क्रैकिंग, पोर्ट स्कैनिंग, बफर ओवरफ्लो, बायोमेट्रिक सिस्टम, हैकिंग वेब एप्लीकेशन, क्रॉस साइट स्क्रिप्टिंग, पैकेट स्निफर, स्पूफिंग अटैक, की लॉगर आदि के बारे में थ्योरेटिकली और प्रैक्टिकली बताया जाता है।
कोर्स
-पीजी डिप्लोमा इन इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी ऐंड क्लॉउड कंप्यूटिंग
-एमएससी इन साइबर फोरेंसिक ऐंड इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी
-एमटेक इन कंप्यूटर साइंस ऐंड इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी
-एमटेक इन इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी ऐंड कंप्यूटर फोरेंसिक
एलिजिबिलिटी
एथिकल हैकिंग से रिलेटेड कोर्सेज के लिए एलिजिबिलिटी अलग-अलग है। अधिकतर कोर्सेज के लिए कैंडिडेट को आईटी/ कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएट होना चाहिए। एमटेक कोर्स के लिए आइटी/कंप्यूटर साइंस आदि में बीइ या बीटेक की क्वालिफिकेशन मांगी जाती है। बहुत से इंस्टीट्यूट में एडमिशन के लिए मिनिमम मार्क्स डिसाइड किए गए हैं।
सैलरी
-स्टार्टिग में 40 से 50 हजार रुपये प्रति माह
-जिन लोगों की सब्जेक्ट पर पूरी कमांड होती है, उनकी सैलरी की शुरुआत 80 हजार से एक लाख रुपये प्रति माह
-तीन-चार साल का एक्सपीरियंस होने के बाद दो से तीन लाख रुपये हर महीने मिल सकेंगे
-अमेरिका एवं यूरोपीय देशों में इंडिया की तुलना में करीबन दोगुनी सैलरी
-पर्सनल वर्क करने वालों की इनकम 50 हजार से एक लाख रुपये हर मंथ
इंस्टीट्यूट
-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, कालीकट
www.cedtic.com
-इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी, मुंबई
www.iisecurit4.in
-यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास, चेन्नई
www.unom.ac.in
-इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन ेक्नोलॉजी, हैदराबाद
www.iiit.net
-एसआरएम यूनिवर्सिटी, चेन्नई
www.srmuni1.ac.in
आज की जरूरत
कंप्यूटर और इंटरनेट यूजर्स को हैकिंग से बचने के लिए एथिकल हैकिंग की बेसिक नॉलेज जरूरी है। आज कई इंस्टीट्यूट ऐसे शार्ट टर्म कोर्स करा रहे हैं, जिसमें यूजर्स को अपने सिस्टम, वेबसाइट, पासवर्ड आदि को सिक्योर करना सिखाया जाता है। इस तरह का कोर्स करके भी आप इस फील्ड में एंट्री कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपके पास अच्छी प्रैक्टिकल नॉलेज होना जरूरी है। यहां जॉब देते समय कंपनियां आपकी डिग्री या डिप्लोमा को नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल नॉलेज को ही प्रॉयरिटी देंगी।
साइबर वर्ल्ड के जेम्स बॉन्ड
कंप्यूटर, ई-मेल या बैंक अकाउंट हैक करने की बढ़ती घटनाओं से पूरी दुनिया परेशान है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation