कौन सी संस्थाओं ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था

Aug 13, 2018, 18:59 IST

भारत के स्वंतंत्रता संग्राम में 'भारत छोड़ो आंदोलन' एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सम्पूर्ण भारत के गांव-गांव और शहर-शहर से लोग सभी बाधाओं को पार करते हुए एकजुट हुए और उन सबका एक ही मिशन था- साम्राज्यवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना। इस लेख में हमने उन संस्थाओं पर चर्चा किया हैं जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है।

Political institutions that opposes Quit India Movement HN
Political institutions that opposes Quit India Movement HN

भारत के स्वंतंत्रता संग्राम में 'भारत छोड़ो आंदोलन' एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सम्पूर्ण भारत के गांव-गांव और शहर-शहर से लोग सभी बाधाओं को पार करते हुए एकजुट हुए और उन सबका एक ही मिशन था- साम्राज्यवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना।

यह आंदोलन सही मायने में एक जन-आंदोलन था जिसमे लाखों आम हिंदुस्तानी शामिल थे। इस आंदोलन ने युवाओं को बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित किया। उन्होंने अपने कॉलेज छोड़कर जेल का रास्ता अपनाया। इस आंदोलन के दौरान भारत की कुछ ऐसी भी संगठन थीं जिन्होंने इस जन-आंदोलन का पुरज़ोर विरोध किया। आइये जानते हैं वो कौन-कौन सी संगठन थी जिन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन का विरोध किया था।

भारत छोड़ो आन्दोलन का विरोध करने वाली संस्थाएं

Quit India Movement

एक तरफ भारत छोड़ो आन्दोलन को जन शैलाब का समर्थन था तो दूसरी ओर भारत की कुछ ऐसी संस्थाए थी जो अपने राजनैतिक फायदे के लिए साम्राज्यवादियों का समर्थन कर रही थीं। इनमे मुख्य संस्थाएं थीं मुस्लिम लीग, हिन्दू महासभा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी तथा देशी रियासतें और राजें- रजवाड़े (प्रिन्सली राज्य) जिस पर नीचे चर्चा की गयी है:

मुस्लिम लीग

इस आंदोलन से मुस्लिम लीग खुद को बिलकुल अलग रखना चाहती थी क्योंकी वो नहीं चाहती थी की बिना बटवारा हुए भारत आज़ाद हो जाये। लीग का कहना था कि यदि ब्रिटिश, भारत को इसी हाल में छोड़ के चली जाती है और भारत आज़ाद हो जाता है, तो मुस्लिमो को हिन्दूओं के अधीन हो जाना पड़ेगा। मुस्लिमों का शोषण होगा और बहुसंख्यक शासन का अनुचित लाभ उठाया जायेगा। मुहम्मद अली जिन्ना ने महात्मा गाँधी के सभी विचारों और आंदोलन के प्रस्तावों को मानने से इनकार कर दिया था। लेकिन जन-शैलाब कहा इनकी खोखलीं धार्मिक बातों को माननें वाली थी और मुसलमानों ने इस आंदोलन का पुरज़ोर समर्थन किया।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के 7 महानायक जिन्होंने आजादी दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई

हिन्दू महासभा

इस संस्था और इसके कट्टर समर्थको ने भारत छोड़ो आन्दोलन का खुल कर विरोध किया। इस संस्था का कहना था की ये हिंदुओं के न्यायोचित अधिकारों लिए नहीं है अपितु ऐसी स्वतंत्रता जो हिंदुओं के न्यायोचित अधिकारों के बिना हो वो संभव नहीं है। इसलिए इन्होने ये आह्वाहन किया था की कोई भी हिन्दू सभाइयों विशेषतः हिंदुओं के लिए की आंदोलन में महात्मा गाँधी का साथ ना दे। इस संगठन के अध्यक्ष विनायक दामोदर सावरकर, श्यामाप्रसाद मुख़र्जी आदि ने महात्मा गाँधी के विचारों के साथ से इनकार कर दिया और हिन्दू महासभा उनका साथ देने से पीछे हट गयी।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ने इस आंदोलन का पुरजोर विरोध किया था क्योंकी द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और चीन नाजीवादियों के खिलाफ युद्ध कर रहे थे। सोवियत संघ से विचारधारात्मक समानता की वजह से ब्रिटेन सरकार की मदद की थी क्योंकी वो जर्मनी के विरुद्ध युद्द कर रहे थे।  कुछ इतिहासकारों का कहना है की भारत की कम्युनिस्ट पार्टी इसलिए भारत की ब्रिटिश सरकार का समर्थन कर रही थी क्योंकी वो अपने पार्टी पर बैन ब्रिटिश का साथ देकर हटाना चाहती थी। इसका फायदा भी मिला उनको क्योंकी बाद में ब्रिटिश सरकार ने कम्युनिस्ट पार्टी से देश में बैन हटा दिया था।

भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों को रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने कौन से कानून लागू किये थे

देशी रियासतें और राजें- रजवाड़े (प्रिन्सली राज्य)

ज्यादातर देशी रियासतें और राजें- रजवाड़े इस आन्दोलन में भाग नहीं लिया गया और ब्रिटिश सरकार की मदद तक की क्योंकी वो नहीं चाहते थे की आजादी के बाद उनका अस्तित्व ख़त्म हो जाये।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

संघ ने भारत छोड़ो आन्दोलन को आधिकारिक समर्थन नहीं दिया था क्योंकी इनका मानना था की सत्ता का धुरी बिंदु केवल और केवल हिन्दू होने चाहिए। ये पहले हिन्दुओं को संगठित करके आजादी लेना चाहते थे।

दिसंबर, 1940 में जब महात्मा गांधी अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ (व्यक्तिगत) सत्याग्रह चला रहे थे, तब जैसा कि गृह विभाग की तरफ़ से उपनिवेशवादी सरकार को भेजे गये एक नोट से पता चलता है, आरएसएस नेताओं ने गृह विभाग के सचिव से मुलाक़ात की थी और 'सचिव महोदय से यह वादा किया था कि वे संघ के सदस्यों को ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में सिविल गार्ड के तौर भर्ती होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।' ग़ौरतलब है कि उपनिवेशी शासन ने सिविल गार्ड की स्थापना 'देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक विशेष पहल' के तौर पर की थी।

भारत छोड़ो आंदोलन शुरू होने के डेढ़ साल बाद, ब्रिटिश राज की बॉम्बे सरकार ने एक मेमो में बेहद संतुष्टि के साथ नोट किया कि 'संघ ने पूरी ईमानदारी के साथ ख़ुद को क़ानून के दायरे में रखा है। ख़ासतौर पर अगस्त, 1942 में भड़की अशांति में यह शामिल नहीं हुआ है।' लेकिन जन-शैलाब ने भी मुस्लिम लीग की तरह इनको भी दरकिनार कर आंदोलन का पुरज़ोर समर्थन किया।

Jagranjosh
Jagranjosh

Education Desk

Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News