किस नदी के किनारे बसा है उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला, जानें

उत्तर प्रदेश भारत का सांस्कृतिक विरासत वाला राज्य है, जो कि अपनी विविधता के लिए देश-दुनिया में विख्यात है। यहां अलग-अलग जिले अलग-अलग नदियों के किनारे बसे हुए हैं। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि यूपी का सबसे छोटा जिला किस नदी के किनारे बसा है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।

May 2, 2025, 13:36 IST
यूपी का सबसे छोटा जिला
यूपी का सबसे छोटा जिला

उत्तर प्रदेश भारत में विविध संस्कृति और अनूठी परंपराओं वाला राज्य है। भारत का यह राज्य प्रत्येक जिले की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हुए भारत के माथे पर स्वर्ण तिलक के रूप मे भी जाना जाता है।

क्योंकि, यहां मौजूद विविधता इसे भारत की विविध पहचान को स्थापित करने में मदद करती है। आपने प्रदेश के अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा, जो कि अलग-अलग नदियों के किनारे बसे हैं। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि यूपी का सबसे छोटा जिला किस नदी के किनारे बसा है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

उत्तर प्रदेश में कितने जिले हैं

उत्तर प्रदेश पूरे भारत में सबसे अधिक जिले वाला राज्य है। यहां कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। इसके अतिरिक्त यहां 351 तहसील, 17 नगर निगम, 75 नगर पंचायत, 58 हजार से अधिक ग्राम पंचायत और एक लाख से अधिक गांव हैं।

ये सभी कुल चार संभागों का हिस्सा हैं, जिनमें पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल और बुंदेलखंड शामिल हैं। कुछ किताबों में हमें रोहिलखंड और बघेलखंड का भी जिक्र देखने को मिलता है। 

उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला

अब हम यह जान लेते हैं कि उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला कौन-सा है। आपको बता दें कि यूपी का सबसे छोटा जिला हापुड़ है। यह जिला कुल 660 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस जिले को हम स्टील सिटी के रूप में भी जानते हैं।

वहीं, सबसे बड़े जिले की बात करें, तो यह लखीमपुर खीरी जिला है। यह जिला कुल 7246 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो कि मेंढक आकार में बने प्राचीन शिव मंदिर के लिए भी जाना जाता है। 

किस नदी के किनारे है सबसे छोटा जिला 

उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला यानि कि हापुड़ शहर गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां मौजूद गढ़मुक्तेश्वर से गंगा नदी होकर बहती है। ऐसे में इस स्थान को हम छोटा हरिद्वार के नाम से भी जानते हैं। यही वजह है कि यहां विभिन्न अवसरों पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं। 

क्या है शहर का इतिहास 

हापुड़ के बारे में कहा जाता है कि इसक स्थापना 983ई. राजा हरि सिंह द्वारा की गई थी। उस समय इसे हरिपुरा नाम दिया गया था। 1857 की क्रांति में भी इस शहर के क्रांतिकारियों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

सिंतबर, 2011 में इसे गाजियाबाद से अलग पंचशील नगर के रूप में पहचान मिली। हालांकि, साल 2012 में इसका नाम बदलकर हापुड़ कर दिया गया। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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