स्पेस स्टेशन क्या है और दुनिया में कितने स्पेस स्टेशन पृथ्वी की कक्षा में हैं?

Oct 19, 2019, 11:56 IST

अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन; अंतरिक्ष में मानव निर्मित ऐसा स्टेशन है, जिससे पृथ्वी से कोई अंतरिक्ष यान जाकर मिल सकता है. अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन इसलिए बनाया गया है ताकि वैज्ञानिक लंबे समय तक अंतरिक्ष में काम कर सकें. क्या आप जानते हैं कि स्पेस स्टेशन कैसे काम करता है और दुनिया में कितने स्पेस स्टेशन कार्य कर रहे हैं? आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

What is Space Station and how many Space Stations are in orbit?
What is Space Station and how many Space Stations are in orbit?

आप सबने स्पेस स्टेशन के बारे में सुना होगा. परन्तु क्या आप जानते हैं कि स्पेस स्टेशन क्या होता है और दुनिया में कितने स्पेस स्टेशन हैं. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

स्पेस स्टेशन क्या होता है?

स्पेस स्टेशन को ऑर्बिटल स्टेशन भी कहते है. इसको इंसानों को रहने के लिए सभी सुविधाएं हो ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. यानी यह अंतरिक्ष में मानव निर्मित ऐसा स्टेशन है, जिससे पृथ्वी से कोई अंतरिक्ष यान जाकर मिल सकता है. इसके अलावा इसमें इतनी क्षमता होती है कि इस पर अंतरिक्ष यान उतारा जा सके. इन्हें पृथ्वी की लो-ऑर्बिट कक्षा में ही स्थापित किया जाता है. हम आपको बता दें कि स्पेस स्टेशन एक प्रकार का मंच है जहां से पृथ्वी का सर्वेक्षण किया जा सकता है, आकाश के रहस्यों को मालूम किया जा सकता है.

दुनिया में कितने स्पेस स्टेशन हैं?

अप्रैल 2018 तक, दो स्पेस स्टेशन पृथ्वी कक्षा में हैं: अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (परिचालन और स्थायी रूप से निवास), और चीन का Tiangong-2 (परिचालन लेकिन स्थायी रूप से निवास नहीं). पिछले स्टेशनों में अल्माज़ और  Salyut series, स्काइलैब, मीर और हाल ही में Tiangong-1 शामिल हैं. अंतरिक्ष में स्पेस  स्टेशन इसलिए बनाया गया है ताकि वैज्ञानिक लंबे समय तक अंतरिक्ष में काम कर सकें.

आइये अब अन्तर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (International Space Station) के बारे में अध्ययन करते हैं.

अन्तर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (International Space Station)

What is International Space Station

जानें अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन क्या है?

ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि यह अंतरिक्ष में उड़ता हुआ उपग्रह, नई तकनीक, खगोलीय, पर्यावरण और भूगर्भीय शोध के लिए एक प्रयोगशाला है. अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया एक ऐसा स्टेशन है जहां से अंतरिक्ष के बारे गहराई से अध्ययन किया जा सकता है.

अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को अंतरिक्ष में छोटे-छोटे टुकड़ों में ले जाकर इसके ऑर्बिट यानी कक्ष में स्थापित किया गया. 1998 में सबसे पहला मॉड्यूल रूस का जरया मॉड्यूल में प्रक्षेपित किया गया था. 2 नवम्बर, 2000 से लगातार अंतरिक्ष यात्री (Astronaut) इस स्टेशन में कार्य कर रहे हैं. इसमें कई सोलर पैनल लगे हुए हैं और इसका वजन लगभग 391000 किलोग्राम है. इस अंतरिक्ष स्टेशन (space station) में है, जिसमे छह अंतरिक्ष यात्री छह महीने तक रह सकते हैं.

स्पेस स्टेशन पृथ्वी से लगभग 248 मील (approx 400 km) की औसत उंचाई पर उड़ता है. यह 90 मिनट में लगभग 17,500 मिल प्रति घंटे की स्पीड से हमारी पृथ्वी का चक्कर लगता है. क्या आप जानते हैं की एक दिन में यह इतनी दूरी तय कर लेता है जितनी दूरी पृथ्वी से चंद्रमा तक जाने में और वापिस आने में लगती है. अगर इस स्पेस स्टेशन की स्थिति का ज्ञान हो तो इसको पृत्वी से नंगी आँखों से देखा जा सकता है एक चमकीले चलते हुए प्रकाश की तरह.

इस प्रोजेक्ट में NASA, Russia का Roscosmos State Corporation, European Space Agency, the Canadian Space Agency और Japan Aerospace Exploration एजेंसियों काम कर रही हैं.

18 देशों के 230 व्यक्तियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का दौरा किया है. भारत की कल्पना चावला और सुनीता विलियमस भी इस पर खोज कार्य कर चुकी हैं. पेगी व्हिटसन (Peggy Whitson) ने 2 सितंबर, 2017 को 665 दिनों में अंतरिक्ष में रहने और काम करने में सबसे अधिक समय व्यतीत करने का रिकॉर्ड निर्धारित किया. पूरे स्टेशन में सिर्फ दो बाथरूम हैं. अंतरिक्ष यात्रियों और प्रयोगशाला के जानवरों का यूरिन फिल्टर होकर फिर से स्टेशन के ड्रिकिंग वॉटर सप्लाई में चला जाता है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को कभी पानी की कमी ना झेलनी पड़े. इस स्टेशन में ऑक्सीजन electrolysis  की प्रक्रिया के जरिए आती है. यह स्पे्स सेंटर रात के समय आकाश में चंद्रमा और शुक्र के बाद तीसरा सबसे चमकदार है. जब कोई अंतरिक्षयात्री किसी भी समय यान से निकलकर अंतरिक्ष में कदम रखता है, तो उसे स्पेस वॉक कहते हैं. क्या आप जानते हैं कि 18 मार्च, 1965 को पहली बार स्पेस वॉक रूसी अंतरिक्षयात्री एल्केसी लियोनोव ने की थी.

चीन का Tiangong-1 स्पेस स्टेशन के बारे में

Tiangong-1 China Space Station
Source: www.theaustralian.com

चीन का प्रोटोटाइप स्पेस स्टेशन, जिसको "हेवनली पैलेस" भी बुलाया जाता था पृथ्वी के वायुमंडल में अप्रैल 2018 को दक्षिणी प्रशांत महासागर में गिर गया था. हम आपको बता दें कि 10.4 मीटर लंबे इस स्पेस स्टेशन को चीन ने साल 2011 में लॉन्च किया था. चाइना नैशनल स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन, चीन की स्पेस एजेंसी के अनुसार Tiangong-1 का मार्च 2016 से संपर्क टूट चुका था. जिसके बाद से यह अंतरिक्ष में घूम रहा था. Tiangong-1 लगभग 34 फीट लंबा 11 फीट चौड़ा और इसका 9 टन से अधिक (8 मीट्रिक टन) वजन था. इस स्पेस लैब में दो मुख्य भाग होते थे: एक "प्रयोगात्मक मॉड्यूल" जिसमें अंतरिक्ष यात्री दौरा किया करते थे और दूसरा "संसाधन मॉड्यूल" जो Tiangong-1 की सौर ऊर्जा और प्रणोदन प्रणाली को समायोजित करता था.

तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि स्पेस स्टेशन किसे कहते है और वर्तमान में कितने स्पेस स्टेशन ऑर्बिट में हैं.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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