अपनी आंतरिक क्षमता को पहचाने

Nov 28, 2013, 14:24 IST

क्रिकेट में बहुत से महान प्लेयर हुए हैं, लेकिन लीजेंड कुछ ही बने हैं.

क्रिकेट में बहुत से महान प्लेयर हुए हैं, लेकिन लीजेंड कुछ ही बने हैं। इनमें मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी एक हैं, जिन्हें उनके फैन्स किसी भगवान से कम नहींमानते। सचिन ने लाइफ में जो भी सक्सेस हासिल की है, उसमें उनके अपने टैलेंट, डेडिकेशन और हार्डवर्क के अलावा बहुत सी ऐसी क्वॉलिटीज हैं, जो लोगों को अपना बेस्ट देने के लिए इंस्पायर करती हैं। सचिन की इन क्वॉलिटीज को फॉलो करके बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है।

डिसिप्लिन में पॉवर

कहते हैं कि टाइम इज मनी। जो लोग समय की कद्र करते हैं, वे कभी नाकाम नहींहोते। सचिन ने इस वैल्यू को बखूबी समझा, इसलिए वे कभी कहींलेट नहींपहुंचे। फिर चाहे नेट प्रैक्टिस के लिए फील्ड में पहुंचना हो या किसी मीटिंग में। सचिन अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में पूरा बैलेंस रखते रहे हैं। इस तरह जो भी व्यक्ति डिसिप्लिंड लाइफ जीते हैं, वे प्रेशर पडने पर भी मानसिक रूप से हमेशा स्ट्रॉन्ग बने रहते हैं।

स्ट्रॉन्ग मेंटल स्ट्रेंथ


आपने बहुत से लोगों को देखा होगा कि अगर कोई चीज उनके मन-मुताबिक नहींहोती है या फिर अचानक लाइफ में कोई चैलेंज आ जाता है, तो वे परेशान हो जाते हैं। कॉलेज में क्लासमेट से किसी बात को लेकर अनबन हो गई, ऑफिस में किसी से डिफरेंस या क्लैश हो गया या फिर किसी कॉम्पिटिशन में फेल्योर का सामना करना पडा, तो यंगस्टर्स तुरंत हार मान लेते हैं। सचिन तेंदुलकर के सामने भी कई बार डिफिकल्ट सिचुएशंस आई, लेकिन मेंटल लेवल पर वे इतने स्ट्रॉन्ग रहे कि कुछ फेल्योर्स के बावजूद मन से हार नहींमानी। रन बनाते रहे, खेलते रहे। इसलिए हमें कभी भी नाकामी से घबराना नहींचाहिए, बल्कि उससे सीख लेकर आगे बढने की कोशिश करनी चाहिए।

सेल्फ मोटिवेशन

निगेटिव थिंकिंग से कॉन्फिडेंस लेवल कम हो जाता है और हमारी ग्रोथ रुक जाती है। सचिन खुद एक बडे मोटिवेटर माने जाते हैं। वे नए प्लेयर्स को मोटिवेट और इंस्पायर करते हैं। उन्हें खुद पर विश्वास रखने की सलाह देते हैं। सचिन का मानना है कि हर इंसान को अपने टैलेंट पर भरोसा और खुद पर कॉन्फिडेंस रखना चाहिए। जब प्रोफेशनल्स अपनी काबिलियत पहचानने के साथ-साथ यह समझ लेंगे कि उनमें भी कुछ क्वॉलिटीज है तो वे मोटिवेटेड फील करेंगे और उन्हें सक्सेस मिलेगी।

बी सिंपल ऐंड मॉडेस्ट

हालांकि सोसायटी में ऐसे लोगों की कमी नहींहै जो थोडी सी सक्सेस पाकर ओवर कॉन्फिडेंट या ऐरोगेंट बन जाते हैं। वे जरा भी नहीं सोचते कि इसका उनकी इमेज पर कितना खराब असर पडेगा। सचिन इतना कुछ हासिल करने के बाद भी जमीन से जुडे हैं। उन्हें कभी भी अपने जूनियर्स (कैप्टेंस) के अंडर में खेलने से ईगो या ऐरोगेंस जैसी प्रॉब्लम नहींहुई। इसके अलावा, उनकी सबसे बडी क्वॉलिटी, उनकी मॉडेस्टी है। इसी से लाखों-करोडों लोग उन्हें प्यार और सम्मान देते हैं और दिल से कहते हैं, सचिन इज द ग्रेट।

नो योर लिमिटेशन

हर किसी की अपनी लिमिटेशन होती है। सचिन एक समय फास्ट बॉलर बनना चाहते थे, लेकिन फिर उन्हें लगा कि यह उनके लिए संभव नहींहै। इसी तरह जब उन्हें महसूस हुआ कि वे अच्छे कैप्टेन नहींबन सकते, तो उन्होंने इंडियन टीम की कप्तानी छोड दी और अपनी बल्लेबाजी पर पूरा ध्यान देना शुरू कर दिया। नतीजा सबके सामने है। इसके अलावा सचिन ने कभी मैच से पहले प्रैक्टिस से मुंह नहीं मोडा, क्योंकि वे मानते हैं कि प्रैक्टिस से ही परफेक्शन आता है।

Jagran Josh
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Education Desk

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