आईएएस परीक्षा में अपने पहले ही प्रयास में उत्तीर्ण होने वाले 23 वर्षीय गुलजार अहमद वानी जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले के वगुरा क्षेत्र में दरवा गांव के निवासी हैं. बारामुला जिला आतंकियों और भारतीय सुरक्षा बलों के बीच खुनी लड़ाईयों के लिए कुख्यात रहा है. बमुश्किल 100 परिवारों के दरवा गांव में दैनिक अखबार, पत्रिकाएं भी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पातीं. और तो और यहां शिक्षा-व्यवस्था भी पर्याप्त नहीं है. इन मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद गुलजार अहमद वानी ने सिविल सेवक बनने का न सिर्फ ख़्वाब देखा बल्कि उस ख़्वाब को अपने प्रथम प्रयास में साकार भी किया.
गुलजार अहमद वानी को संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवक परीक्षा 2010 में 341वां स्थान प्राप्त हुआ.
गुलजार अहमद वानी के पिता अब्दुल हामिद वानी एक छोटे व्यापारी हैं. गुलजार अहमद वानी की प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई और उसके आगे की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय से की. जवाहर नवोदय विद्यालय में ही उनके भीतर सिविल सेवक बनने की इच्छा जागी.
जागरण जोश.कॉम के गुलशन शर्मा से बात करते हुए गुलजार ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय के उनके बहुत सारे दोस्त अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाए और कोई भी स्नातक नहीं बन पाया. उन्होंने खुद को भाग्यशाली बताया कि उनका चयन जवाहर नवोदय विद्यालय में हुआ, क्योंकि सरकारी खर्चे पर वहां पढ़ाई के साथ-साथ छात्रावास की भी व्यवस्था होती है.
गुलजार अहमद वानी का लक्ष्य शुरुआत से ही निर्धारित था. उनके शब्दों में "जम्मू-कश्मीर के शिक्षित लोग एमबीबीएस या इंजीनियरिंग के अलावा कुछ और नहीं सोच पाते हैं. इस कारण मुझे अपने पिता को सिविल सेवा की तैयारी के लिए काफी समझाना पड़ा था."
गुलजार अहमद वानी विधि-स्नातक हैं. वह वर्ष 2004 में दिल्ली आए. उन्होंने आगे बताया कि "जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से बीए एलएलबी (ऑनर्स) ने मुझे यूपीएससी परीक्षा हेतु निम्नतम योग्यता दिलाई. और मुझे पूरा विश्वास था कि एक दिन मैं जरुर सिविल सेवक बनूंगा."
गुलजार अहमद वानी ने अपने केरल के एक शिक्षक के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनमें नियमित रूप से समाचारपत्र-पत्रिका पढ़ने की इच्छा को जागृत किया था.
आईएएस बनने की चाहत रखने वाले युवाओं को गुलजार अहमद वानी ने सिर्फ एक ही सलाह दी, "अपनी तैयारी को लेकर कोई शक-शंका की गुंजाईश नहीं होनी चाहिए. ध्यान हमेशा केंद्रित होना चाहिए और समाचारपत्र-पत्रिका तथा इंटरनेट के माध्यम से खुद को करेंट अफेयर्स से रु-ब-रु होते रहना चाहिए." साथ ही उन्होंने कहा, "तार्किक क्षमता का विकास और किसी भी मुद्दे के बहु-आयामी पहलुओं को समझने का कौशल विकास आईएएस में सफलता की कुंजी है."
विस्तार से समझाते हुए गुलजार अहमद वानी ने आईएएस बनने की चाहत रखने वाले युवाओं को सलाह दिया, "ऐसे मुद्दे जो हमारे जीवन, देश या विश्व को प्रभावित करते हैं, वह यूपीएससी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. विज्ञान-तकनीक से संबंधित विकास कार्य भी इसी के अंतर्गत आते हैं. और तो और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े ऐसे प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं, जिससे संबंधित बीमारियां भारत या विश्व के लिए चिंता का विषय है. इस कारण एक ऐसा दृष्टिकोण विकसित करें जो यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए कारगर हो.
गुलजार अहमद वानी से जब यह पूछा गया कि उनका अगला कदम क्या होगा तो उन्होंने कहा, "हम सिविल सेवक हैं, हमारा काम योजना का कार्यान्वयन है न कि योजना निर्माण. मैं पूरी ईमानदारी और निष्ठा से कार्य क्षेत्र में संतुलित दृष्टिकोण रखूंगा."
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2010 में जम्मू-कश्मीर के पांच अन्य परीक्षार्थियों ने उत्तीर्णता हासिल की. ये हैं आबिद हुसैन सादिक, डॉ सैयद आबिद रासिद, डॉ सर्वजीत सूडान, मुहम्मद एजाज और ओवेस्सा इक़बाल.
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