उत्तराखंड ने आज, 27 जनवरी 2025, को यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने का ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिससे यह भारत का पहला राज्य बन गया है. इसका मुख्य उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान कानून स्थापित करना और धार्मिक आधार पर भेदभाव को समाप्त करना है.
बता दें कि UCC के तहत विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में एकरूपता लाई जाएगी. यह कानून न केवल राज्य के भीतर बल्कि राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के नागरिकों पर भी लागू होगा, जिससे समाज में समानता और न्याय की भावना को बढ़ावा मिलेगा.
यह भी देखें:
Union Budget 2025: इनकम टैक्स स्लैब में हो सकते है ये बड़े बदलाव, ऐतिहासिक हो सकता है बजट
RAC यात्रियों के लिए खुशखबरी, भारतीय रेलवे ने उठाया यह अहम कदम
यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत मुख्य बदलाव:
- विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन: अब सभी प्रकार की शादियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा, चाहे वह किसी भी धार्मिक या कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई हो. विवाह के 60 दिनों के भीतर रजिस्ट्रेशन न कराने पर जुर्माना या जेल हो सकती है.
- लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन: लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को भी अपने संबंध का रजिस्ट्रेशन कराना होगा. यदि किसी साथी की उम्र 21 वर्ष से कम है, तो माता-पिता की सहमति आवश्यक होगी. रजिस्ट्रेशन न कराने या गलत जानकारी देने पर 3 महीने की जेल और ₹25,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
- विवाह की न्यूनतम आयु: पुरुषों और महिलाओं के विवाह की न्यूनतम उम्र अब 21 वर्ष तय की गई है. यह कदम शिक्षा और परिपक्वता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है.
- बहुविवाह और बाल विवाह पर रोक: UCC के तहत बहुविवाह और बाल विवाह पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे लैंगिक समानता और नाबालिगों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
- संपत्ति और उत्तराधिकार अधिकार: संपत्ति और उत्तराधिकार कानूनों को सभी समुदायों के लिए समान बनाया गया है, जिससे सभी नागरिकों को समान अधिकार मिल सकें.
- वसीयत और उसका रद्दीकरण: वसीयत बनाने और रद्द करने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया गया है.
लागू करने की प्रक्रिया:
बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड विशेषज्ञों और समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ व्यापक चर्चा के बाद लागू किया गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि UCC का उद्देश्य समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करना है. इसे साल 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा के वादों के तहत लागू किया गया है.
विवाह के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन का प्रभाव:
UCC के तहत विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन मौजूदा शादियों पर भी प्रभाव डालेगा. रजिस्ट्रेशन से शादी को कानूनी मान्यता मिलेगी, जो भरण-पोषण, संपत्ति, और उत्तराधिकार जैसे अधिकार प्राप्त करने के लिए जरूरी है. जोड़े अगर अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं, तो उन्हें कानूनी अधिकारों को लागू कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
यह कदम समानता, पारदर्शिता और महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने के लिए एक बड़ी पहल है, हालांकि इसके समर्थन और विरोध दोनों सामने आ रहे हैं.
#WATCH | Dehradun: On UCC (Uniform Civil Code), Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami says, "Minimum age for marriage has been made compulsory in all religions - 21 years for a boy and 18 years for a girl. Second marriage is completely prohibited while the husband or wife is alive.… pic.twitter.com/be8q7i4gXP
— ANI (@ANI) January 27, 2025
Comments
All Comments (0)
Join the conversation