जानें भारत में हथियार के लाईसेन्स से जुड़े नियम, दस्तावेज और जरूरी योग्यता

Mar 27, 2019, 11:15 IST

भारत में लागू शस्त्र नियम, 1962 शस्त्रों के निर्माण, बिक्री और लाइसेंस से जुड़ा हुआ है जिसको शस्त्र नियम, 2016 के द्वारा रिप्लेस कर दिया गया है. नये नियमों के मुताबिक जिसे शस्त्र चलाना आता है उसे ही लाइसेंस मिल सकता है, इसके लिए परीक्षा देनी होगी. लाइसेंसधारी अब 25 कारतूस ही रख सकेंगे और 25 से ज्यादा कारतूस खरीदने के लिए शासन से अनुमति लेना अनिवार्य होगा.

Pistol
Pistol

दुनिया में हथियारों की होड़ बढती जा रही है अमेरिका की इकॉनोमी की जड़ ही हथियारों की बिक्री है. स्माल आर्म्स सर्वे-2018 के सर्वे से पता चलता है कि 2006 में दुनिया में 650 मिलियन हथियार थे जो कि 2017 में बढ़कर लगभग 857 मिलियन हो गये हैं. वर्ष 2018 में अमेरिका की आबादी 32.67 करोड़ थी जबकि यहाँ पर शस्त्रों की औसतन संख्या 39.33 करोड़ है. मतलब इस देश में यहाँ की जनसंख्या से भी अधिक शस्त्रों की संख्या है.
रिपोर्ट का सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इस सूची में भारत दूसरे नम्बर पर है.

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने एक अधिसूचना जारी की है जिसके अनुसार सभी हथियार लाइसेंसधारकों (नए या पुराने दोनों) के लिए एक हथियार लाइसेंस प्रणाली बनायी जाएगी जिसमें राष्ट्रीय हथियार डेटाबेस बनाया जायेगा. इस प्रणाली में हथियार धारक को एक 1 अप्रैल, 2019 से एक यूनिक पहचान संख्या (UIN) भी जारी की जाएगी. इस पहल के पीछे सरकार का मकसद यह है कि सरकार जानना चाहती है कि देश में किस-किस व्यक्ति के पास किस-किस प्रकार के हथियार हैं.

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राष्ट्रीय लाइसेंस डाटाबेस प्रणाली (National Database of Arms Licenses system)
अप्रैल 1, 2019 से प्रत्येक लाइसेंसिंग और नवीकरण अथॉरिटी को नेशनल डाटाबेस ऑफ आर्म्स लाइसेंस सिस्टम में डेटा दर्ज करना होगा, जो कि यूआईएन उत्पन्न करेगा. जिस भी लाइसेंस धारक के पास यह यूनिक नम्बर नहीं होगा उसका लाइसेंस अवैध माना जायेगा.

इस नए नियम को लागू करने के लिए सरकार ने शस्त्र अधिनियम, 1959 के सेक्शन 44 में दी गयी पॉवर का इस्तेमाल करते हुए शस्त्र अधिनियम, 2016 में संशोधन किया है. ज्ञातव्य है कि भारत में लागू 1962 का शस्त्र नियम; शस्त्रों के निर्माण, बिक्री और लाइसेंस से जुड़ा हुआ है जिसको शस्त्र नियम, 2016 के द्वारा रिप्लेस कर दिया गया है.  इस बार लाया गया संशोधन आर्म्स रूल्स (दूसरा संशोधन), 2018 कहा जाएगा.

शस्त्र नियम, 2016 के अनुसार किसी शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले किसी व्यक्ति को या किसी राइफल क्लब या संघ या फायरिंग रेंज के लिए आवेदन करने के लिए या इस तरह के क्लब या निर्माता या विक्रेता द्वारा नियुक्त कर्मचारी के लिए शस्त्र एवं गोलाबारूद सुरक्षा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरा करना होगा. अर्थात नये नियमों के मुताबिक जिसे शस्त्र चलाना आता है उसे ही लाइसेंस मिल सकता है. इसके लिए उसे परीक्षा भी देनी होगी.

अब नए कानून के अनुसार, जिन लोगों ने फॉर्म 3 के तहत कई लाइसेंस ले रखे हैं उनको अब 1 अप्रैल, 2019 से पहले फिर से एप्लीकेशन डालना होगा और अब एक लाइसेंस पर अधिकतम तीन हथियार ही इशू किये जायेंगे. इसके साथ ही उन्हें एक यूनिक नम्बर (UIN) भी दिया जायेगा. इससे पहले एक व्यक्ति को तीन लाइसेंस मिल सकते थे.

लाइसेंसधारी अब 25 कारतूस ही रख सकेंगे और 25 से ज्यादा कारतूस खरीदने के लिए शासन से अनुमति लेना अनिवार्य होगा. नए नियम के तहत अब प्रतिबंधित और स्वीकार्य हथियारों की श्रेणियों के लिए अलग-अलग लाइसेंस बुक बनायीं जाएगी.

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि शस्त्र नियम में संशोधन होने से उन व्यक्तियों को हथियार लाइसेंस मिलने की संभावना ख़त्म हो जाएगी जिनके पूर्वजों का ट्रैक रिकॉर्ड ठीक नहीं था. हालाँकि यदि किसी लाइसेंस धारक की मृत्यु हो जाती है तो अधिकारी उसके लीगल उत्तराधिकारी ने नाम पर लाइसेंस जारी कर सकेंगे.

शस्त्र अधिनियम की धारा 3 के तहत, किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी हथियार को रखने, लाने और ले जाने के लिए एक सक्षम लाइसेंसिंग प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया लाइसेंस रखना अनिवार्य है.
लाइसेंस के लिए जरूरी दस्तावेज
लाइसेंस आवेदक के आपराधिक रिकार्ड के बारे में आस पास के थानों से जानकारी ली जाती है. आवेदक का चरित्र वेरीफिकेशन (आवेदक की आपराधिक छवि जानने के लिए) भी पुलिस व खुफिया विभाग से कराया जाता है. आवेदक को मुख्य चिकित्साधिकारी से फिटनेस सर्टिफिकेट प्राप्त करना होता है. आवेदक के पूर्णतः स्वस्थ होने पर ही लाइसेंस दिया जा सकता है. यदि आवेदक का कोई अंग भंग है या फिर कोई दृष्टि दोष है तो उसे लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है. आवेदक को अपना आइडेंटिटी प्रूफ, निवास प्रमाण पत्र और फिटनेस प्रमाण पत्र को आवेदन के साथ ही जमा करना होगा.

आवेदक के फार्म पर लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार और एसडीएम की रिपोर्ट ली जाती है. सम्बंधित जिले के एसडीएम और एसपी; आवेदक के पूरे कागजात होने के बाद आवेदक की फाइल को जिलाधिकारी को भेजते हैं. कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद जिलाधिकारी अपने विवेकानुसार शस्त्र लाइसेंस जारी कर देते हैं.

इस प्रकार इस नई प्रक्रिया से स्पष्ट है कि सरकार देश में अवैध हथियारों के बढ़ते प्रचलन और आपराधिक गतिविधियों को कम करने के लिए प्रयत्नशील है. उम्मीद है कि सरकार के इस कदम से देश में अपराधों की संख्या में कमी आएगी.

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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