12 वीं के बाद आईटी सेक्टर में एंट्री

Dec 2, 2010, 12:45 IST

बारहवीं के बाद करियर की अनेक राहें खुलती हैं। इनमें तत्काल जॉब दिलाने वाले प्रोफेशनल कोर्स भी हैं और उच्च शिक्षा से संबंधित एकेडमिक कोर्स भी। वर्तमान में छात्रों द्वारा ऐसे प्रोफेशनल कोर्सों को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है, जिन्हें पूरा करने के बाद आसानी से नौकरी मिल सके। ऐसे कोर्सों में आईटी से संबंधित कोर्स सबसे लोकप्रिय हैं।

Entry into IT Sector after 10+2
Entry into IT Sector after 10+2

बारहवीं के बाद करियर की अनेक राहें खुलती हैं। इनमें तत्काल जॉब दिलाने वाले प्रोफेशनल कोर्स भी हैं और उच्च शिक्षा से संबंधित एकेडमिक कोर्स भी। वर्तमान में छात्रों द्वारा ऐसे प्रोफेशनल कोर्सों को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है, जिन्हें पूरा करने के बाद आसानी से नौकरी मिल सके। ऐसे कोर्सों में आईटी से संबंधित कोर्स सबसे लोकप्रिय हैं। द नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर ऐंड सर्विसेज कंपनीज यानी नैस्कॉम और मैकिन्जे के मुताबिक, भारतीय सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री करीब 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से आगे बढ़ रही है। इस अध्ययन के मुताबिक, आईटी सेक्टर के विकास की यह रफ्तार अगले पांच साल तक इसी तरह बने रहने की उम्मीद है। अनुमान है कि वर्ष 2010 तक आईटी सेक्टर से देश को करीब 60 करोड़ डॉलर की आमदनी हो सकती है।
वर्तमान में देश में आईटी सेक्टर में प्रशिक्षित लोगों की डिमांड बहुत ज्यादा है, जबकि सप्लाई इसकी तुलना में काफी कम है। जगह-जगह सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर ट्रेनिंग सेंटर तथा कॉलेज खुलने के बावजूद मांग पूरी नहीं हो पा रही है। आईटी इंडस्ट्री की वर्तमान प्रगति को देखते हुए भारत को वर्ष 2010 तक करीब 23 लाख आईटी एवं बीपीओ एक्सपर्ट्स की जरूरत होगी। लेकिन देश में जिस गति से इस सेक्टर के लिए प्रशिक्षित लोग तैयार हो रहे हैं, उसमें 5 लाख लोगों की कमी फिर भी बनी रह सकती है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि यदि युवा अपनी रुचि के अनुसार कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर-नेटवर्किंग से जुड़ा कोई भी कोर्स कर लेते हैं, तो फायदे में रहेंगे।
इस सेक्टर में 12 वीं के बाद डेढ़ से दो साल का जॉब-ओरिएंटेड कोर्स (खासकर हार्डवेयर-नेटवर्किंग से संबंधित) करके प्रवेश पाया जा सकता है। इस तरह के कोर्स लगभग हर शहर में उपलब्ध हैं।

अवसर
आईटी वर्ल्ड में तमाम तरह के काम हैं। कोई भी कम्प्यूटर विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर्स की मदद से ही चलता है। और सॉफ्टवेयर बनाने और डेवलॅप करने का कार्य सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स और प्रोग्रामर्स करते हैं। इनका प्रमुख कार्य विभिन्न लैंग्वेजेज में सॉफ्टवेयर डेवलॅप करना होता है। दरअसल, सॉफ्टवेयर दो तरह के होते हैं-ऐप्लिकेशन सॉफ्टवेयर और सिस्टम सॉफ्टवेयर। इनकी मदद से कई तरह के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज तैयार किए जाते हैं, जिनका इस्तेमाल दुनिया भर की तमाम कंपनियां करती हैं। सॉफ्टवेयर डेवलॅपमेंट के लिए नॉलेज को हर समय अपडेट करते रहना जरूरी है। इसके अलावा, प्रमुख प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज, जैसे-सी, सी++,जावा, विजुअल बेसिक आदि में भी विशेषज्ञता हासिल करनी होती है। कम्प्यूटर और आईटी कोर्स करने के बाद कुछ महत्वपूर्ण अवसर निम्नलिखित हैं:

सिस्टम एनालिस्ट :  सिस्टम एनालिस्ट कम्प्यूटर डेवलॅप करने की योजना बनाते हैं। यदि किसी को सिस्टम एनालिस्ट के रूप में करियर बनाना हो, तो हर तरह के सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर की जानकारी रखनी होगी और इसे नियमित रूप से अपडेट भी करते रहना होगा। सिस्टम एनालिस्ट ग्राहकों की बिजनेस जरूरतों को समझते हुए सिस्टम तैयार करने में कुशल होते हैं।

सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर: सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर का मुख्य काम कनेक्टिविटी और इंटरनेट की सुविधा प्रदान करना है। आईटी सेक्टर में नेटवर्किंग काफी महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम (लैन, वैन या मैन) से कम्प्यूटर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और एक कम्प्यूटर का डाटा सर्वर के माध्यम से दूसरे कम्प्यूटर में देखा और ट्रांसफर किया जा सकता है। बैंकों के एटीएम, रेलवे रिजर्वेशन, न्यूज पेपर, इंटरनेट आदि की सुविधा नेटवर्किंग की बदौलत ही मिल पाती है। यही कारण है कि हर छोटे-बड़े संस्थान में कम्प्यूटर नेटवर्किंग के लिए सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर की जरूरत होती है। हालांकि, इस फील्ड में काम करने वालों को सिस्टम सिक्योरिटी के साथ-साथ नेटवर्किंग सिक्योरिटी का भी ध्यान रखना होता है। इसके अलावा, इस फील्ड में कैड स्पेशलिस्ट, सिस्टम आर्किटेक्ट, विजुअल डिजाइनर, एचटीएमएल प्रोग्रामर, डोमेन स्पेशलिस्ट, इंफॉर्मेशन सिक्युरिटी एक्सपर्ट, इंटीग्रेशन स्पेशलिस्ट, कम्युनिकेशन इंजीनियर, सेमीकंडक्टर स्पेशलिस्ट आदि के रूप में भी काम किया जा सकता है।

डाटा बेस:  डाटा बेस के अंतर्गत डाटा को इस प्रकार स्टोर किया जाता है, ताकि जरूरत पड़ने पर इसे आसानी से इस्तेमाल एवं अपडेट किया जा सके। किसी भी कंपनी के लिए उसका डाटा काफी महत्वपूर्ण होता है। यही कारण है कि डाटा बेस प्रोफेशनल्स की मांग भी बहुत ज्यादा है।

हार्डवेयर: कम्प्यूटर के लिए जितना जरूरी सॉफ्टवेयर है, उतना ही जरूरी हार्डवेयर भी है। हार्डवेयर का मतलब होता है कम्प्यूटर की सारी मशीनरी। इसमें सीपीयू, मदरबोर्ड, हार्डडिस्क से लेकर अन्य सभी चीजें आ जाती हैं। किसी कम्प्यूटर में जब ये सभी चीजें होंगी, तभी उसमें सॉफ्टवेयर लोड हो पाएगा। हार्डवेयर इंजीनियरिंग का काम करने वालों पर कम्प्यूटर असेंबल करने से लेकर उसके खराब पुर्जों को ठीक करने या बदलने तक की जिम्मेदारी होती है। सभी स्थानों पर कंप्यूटर के प्रयोग के कारण हार्डवेयर प्रोफेशनल्स की मांग काफी बढ़ गई है, जो कम्प्यूटरों को चुस्त-दुरुस्त रखने में माहिर हों। हार्डवेयर क्षेत्र से जुड़ने के बाद कम्प्यूटर मैन्युफैक्चरिंग, रिसर्च ऐंड डेवलॅपमेंट आदि के क्षेत्र में भी काम करने के भरपूर अवसर मिलते हैं।

कोर्स
कोई भी अपनी योग्यता, रुचि, क्षमता और जरूरत के मुताबिक सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर में कोई भी फील्ड चुन सकता है। लेकिन यदि  कोई सॉफ्टवेयर का फील्ड चुनता है,  तो इसमें उच्च योग्यता हासिल करनी होगी, जबकि हार्डवेयर का क्षेत्र चुनने पर महज डेढ़-दो साल की क्लास और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग लेकर जॉब मार्केट में एंट्री पा सकते हैं। दोनों क्षेत्रों से जुड़े कोर्सों का विवरण इस प्रकार है :

ग्रेजुएट लेवॅल कोर्स: इस लेवॅल पर प्रमुख कोर्स हैं-बीटेक, बीसीए, बीएससी आदि। बीटेक (आईटी, सीएस आदि) चार वर्षीय कोर्स है, जो आईआईटी तथा अन्य इंजीनियंरिंग कॉलेजों में चलाया जाता है। इसमें बारहवीं (पीसीएम) के बाद एंट्रेंस एग्जाम, जैसे-आईआईटीजेईई, एआईईईई आदि के माध्यम से प्रवेश मिलता है। इसके अलावा, बैचलर ऑफ कम्प्यूटर एप्लीकेशन यानी बीसीए और बीएससी (आईटी या कम्प्यूटर सांइस) तीन वर्षीय कोर्स हैं और कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं। खास बात यह है कि इन सभी कोर्सों को करते समय अंतिम वर्ष में ही कैम्पस सलेक्शन के माध्यम से अधिकांश कंपनियां छात्रों का चयन कर लेती हैं और उन्हें अपनी कंपनी के माहौल के अनुसार कुछ समय की ट्रेनिंग देती हैं। कैम्पस सलेक्शन के दौरान कंपनियां कम से कम साढ़े तीन लाख रुपये प्रतिवर्ष का पैकेज ऑफर करती हैं।

पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्स: इसमें एमटेक और एमसीए का फुलटाइम कोर्स होता है। यह कोर्स इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुसार आईटी एक्सपर्ट्स तैयार करते हैं। इसके अंतर्गत कम्प्यूटर संबंधी अवधारणाओं और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर की बारीकियां बताई जाती हैं। एमसीए प्रोग्राम में सी, सी++, जावा लैंग्वेज, टेक्निकल टॉपिक्स, जैसे-कम्प्यूटर डिजाइन, थ्योरी ऑफ कम्प्यूटिंग,  आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्राफिक्स, एनिमेशन आदि पढ़ाया जाता है। छात्रों को एक बात का खास खयाल रखना चाहिए कि बीसीए या एमसीए उसी संस्थान से करें, जिसे ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन यानी एआईसीटीई से मान्यता हासिल हो। इस तरह का कोर्स करने के बाद 25 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी मिल सकती है।

अन्य उच्च स्तरीय कोर्स: यदि कम्प्यूटर ट्रेनिंग या टीचिंग क्षेत्र से जुड़ना है, तो आईटी या कम्प्यूटर साइंस में एमफिल-पीएचडी भी किया जा सकता है। इसके अलावा, आईटी सेक्टर में रिसर्च का भी बड़ा महत्व है। बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियां उन्नत टेक्नोलॉजी के लिए हर समय रिसर्च करती रहती हैं। इसके लिए उन्हें उच्च दक्षता प्राप्त लोगों की जरूरत होती है।

हार्डवेयर-नेटवर्किंग कोर्स: हर छोटे-बड़े ऑफिस में कम्प्यूटर की अनिवार्यता को देखते हुए हार्डवेयर-नेटवर्किंग एक्सपर्ट्स की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। यह कोर्स सरकारी और निजी संस्थानों में सुलभ है। इस तरह के कोर्सों में कम्प्यूटर असेंबल करने, रिपेयर करने एवं खराब उपकरणों को बदलने या उन्हें ठीक करने की ट्रेनिंग दी जाती है। पहले कार्ड लेवॅल की ट्रेनिंग दी जाती थी, लेकिन अब उन्नत तकनीक पर आधारित चिप लेवॅल की ट्रेनिंग प्रदान की जाती है। इस तकनीक की खासियत यह है कि कार्ड लेवॅल में जहां खराब पुर्जों को बदल दिया जाता था, वहीं चिप लेवॅल में ऐसे खराब पुर्जों को ठीक करके उन्हें पुन: लगा दिया जाता है। इससे समय और पैसे दोनों की बचत होती है। इसलिए यह कोर्स करने के लिए जिस भी संस्थान में जायें, यह जरूर जान लें कि वहां पुरानी कार्ड लेवॅल तकनीक सिखाई जा रही है या फिर चिप लेवॅल, क्योंकि सभी कंपनियां चिप लेवॅल हार्डवेयर इंजीनियरों की डिमांड कर रही हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कि आईटी सेक्टर में थोड़े-थोड़े समय बाद ही नई तकनीक आ जाती है, जिससे पुरानी तकनीक चलन से गायब हो जाती है। ऐसी स्थिति में जहां सैन, नैस, डैस, डी2डी, डाटा प्रोटेक्टर जैसी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी पर आधारित ट्रेनिंग दी जाती हो, वहीं से कोर्स करनी चाहिए। कम्प्यूटर बनाने वाली कंपनियां (जैसे एचसीएल, डेल, एपल आदि) हार्डवेयर इंजीनियरों की नियमित रूप से भर्ती करती हैं। इसके अलावा, सभी बड़े संस्थानों में सिस्टम डिपार्टमेंट के तहत कम से 25 से 100 हार्डवेयर व नेटवर्किंग एक्सपर्ट्स के इंजीनियरों को रखा जाता है। इनकी सैलॅरी 10 हजार से 40 हजार रुपये मासिक होती है।

संस्थान
 1. ए-सेट ट्रेनिंग ऐंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
 2. आईएचटी, दिल्ली
 3. एप्टेक एन-पॉवर हार्डवेयर ऐंड नेटवर्किंग
 4. अरिहंत ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशंस ,दिल्ली
 5. जीटी कम्प्यूटर हार्डवेयर इंजीनियरिंग कॉलेज, नई दिल्ली
 6. आईआईजेटी, नई दिल्ली

 

Jagran Josh
Jagran Josh

Education Desk

    Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

    ... Read More

    आप जागरण जोश पर सरकारी नौकरी, रिजल्ट, स्कूल, सीबीएसई और अन्य राज्य परीक्षा बोर्ड के सभी लेटेस्ट जानकारियों के लिए ऐप डाउनलोड करें।

    Trending

    Latest Education News