एसबीआई पीओ 2017: जीडी के लिए एक प्रैक्टिकल एप्रोच

Aug 31, 2017, 19:07 IST

इस जीडी में, लगभग 12-15 लोगों का समूह होगा और पैनल के सदस्यों द्वारा एक विषय आपको दिया जाएगा। आपको उस विषय के बारे में अपने पॉइंट्स को संक्षेप में लिखने के लिए समय दिया जाएगा और फिर, सभी को अंत में बोलने के लिए 2 मिनट मिलेंगे।

Practical Approach for SBI PO GD
Practical Approach for SBI PO GD

एसबीआई ने हाल ही में परिवीक्षाधीन अधिकारियों की भर्ती के लिए पूरे देश में 4 जून2017 को आयोजित मुख्य परीक्षा का परिणाम घोषित किया है। इस प्रतिष्ठित नौकरी को पाने के लिए अगले राउंड समूह चर्चा और साक्षात्कार में उम्मीदवारों को  अच्छा प्रदर्शन करना होगा । इसके लिए, आपको जीडी के पैटर्न को समझना और तदनुसार तैयार करना होगा।

इस लेखमें, हम एसबीआई के वास्तविक जीडी में होने वाली चीज़ो का एक परिदृश्य पेश करने का प्रयास करेंगे ।

एसबीआई पीओ के लिए समूह चर्चा:

ठीक है, भारत में बैंक अधिकारियों के लिए भर्ती के मामले में समूह चर्चा सामान्यतः नहीं होता है। यहां तक ​​कि, आरबीआई भर्ती प्रक्रिया में भी समूह चर्चा राउंड नहीं होता है लेकिन एसबीआई इस प्रक्रिया के माध्यम से उम्मीदवारों के कम्युनिकेशन कौशल की जांच करता है क्योंकि भविष्य में बोर्डरूम की बैठकों में आपको इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ता है । इस जीडी में, लगभग 12-15 लोगों का समूह होगा और पैनल के सदस्यों द्वारा एक विषय आपको दिया जाएगा। आपको उस विषय के बारे में अपने पॉइंट्स को संक्षेप में लिखने के लिए समय दिया जाएगा और फिर, सभी को अंत में बोलने के लिए 2 मिनट मिलेंगे, उम्मीदवारों को एक और मिनट दिया जाएगा, यदि वे चाहें तो कुछ और जोड़ सकते हैं। ऐसा करने के बाद, बैंक के पैनल के सदस्यों द्वारा समूह चर्चा समाप्त हो जाती है।

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यहां हम एक सैंपल जीडी प्रस्तुत कर रहे है

हम इस आलेख के लिए, यह मान लें कि समूह में 4 उम्मीदवार हैं (वास्तविक जीडी में, लगभग 12-15 होंगे) और विषय दिया गया है "7 वें वेतन आयोग की सिफारिशें सरकारी कर्मचारियों को अधिक उत्तरदायी बनाने जा रही हैं” शुरुआती दो मिनट खत्म होने के बाद, घंटी बजती है और संकेत दिया जाता है कि कोई भी जीडी शुरू कर सकता है।

उम्मीदवार 4: सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि वह 7 वें वेतन आयोग की सभी सिफारिशों को लागू करने जा रही है और सरकार को बकाया राशि (arrears) के साथ के साथ वेतन और पेंशन में 2000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। यह सच है कि वेतन को नियमित अंतराल पर बढ़ाया जाना चाहिए ताकि कर्मचारियों को एक सभ्य जीवन जीने का मौका मिल सके और वे अपने एम्प्लायर से खुश हैं लेकिन साथ ही जवाबदेही और ज़िम्मेदारियों के बारे में क्या? 7 वें वेतन आयोग ने योग्यता के आधार पर प्रमोशन और वेतन वृद्धि के बारे में कोई सुझाव नहीं दिया है ।आखिरकार, सरकारी कर्मचारियों को करदाताओं के पैसे से भुगतान किया जाता है और उन सभी भत्तों के लिए उन्हें जवाबदेह बनाया जाना चाहिए दुर्भाग्य से, सरकार द्वारा की गई घोषणा में उस दृष्टिकोण को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया गया।

उम्मीदवार 2: मेरे दोस्त ने जो उल्लेख किया है उसके अलावा, मैं यह भी जोड़ना चाहूंगा कि अगर बैंक या अन्य क्षेत्रों में हड़ताल होती है तो उनके कर्मचारियों के वेतन में कटौती की जाती है परन्तु केंद्र सरकार के कर्मचारियों को ऐसा के साथ ऐसा नहीं किया जाता क्यों किया जाए? किसी भी तरह की जिम्मेदारी का अभाव उस स्तर तक पहुंच गया है, जहां यह सोचना असंभव हो गया है कि आबादी के दूसरे पक्ष क्या महसूस कर रहे है। जवाबदेही (accountability )एक बुनियादी चीज है जो सबके लिए होनी चाहिए क्योंकि इसके बिना कोई भी कर्मचारी कभी भी पर्याप्त समर्पित नहीं होगा। सार्वजनिक कर्मचारियों को जनता के अच्छे हितों में कार्य करना चाहिए और उसके लिए, उन्हें जनता के लिए जवाबदेह होना चाहिए। लेकिन, भारत में, क्या होता है कि तथाकथित बाबू गैर-निष्पादक होने के आदी हैं क्योंकि काम नहीं करने यहाँ कोई  सजा नहीं है। सरकार को जल्द से जल्द एक प्रदर्शन समीक्षा प्रणाली बनानी चाहिए यह कर्मचारियों को जवाबदेह बनाने के लिए आवश्यक है।

उम्मीदवार 1: हम 7 वीं वेतन आयोग के बारे में बात कर रहे हैं जो सरकार द्वारा हर 10 साल में अपने कर्मचारियों के वेतन और भत्ते में बदलाव लाने के लिए स्थापित किया गया है। जवाबदेही के साथ क्या करना है? यह पूरी तरह से कार्यकारी (executive) क्षेत्र है अगर जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, तो ये सभी के लिए है और एक केंद्रीय सरकारी कर्मचारी इस प्रभाव से नहीं बच रहे हैं। तो, क्या हुआ है कि उनके वेतन में वृद्धि हुई है? यह उन्हें सभ्य जीवन जीने के लिए सक्षम करने के लिए है और जवाबदेही और जिम्मेदारी से कोई लेना देना नहीं है। यदि हम निजी क्षेत्र से तुलना करते हैं, तो सरकारी कर्मचारियों को अभी भी ऑल इंडिया सर्विस अधिकारियों के स्तर पर विशेष रूप से खराब भुगतान किया जाता है। वे तेज़ दिमाग हैं जो इस देश को चलाते हैं और अगर आपको अपने प्रयासों के लिए पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया जाता है, तो दूसरों के लिए काम करने के लिए इतने निस्वार्थ कौन होगा? कोई सामान्य व्यक्ति निस्वार्थ काम नहीं करता  है और हमें किसी सरकारी कर्मचारी से भी इसकी उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कड़ी मेहनत के साथ सरकारी क्षेत्र में अपनी स्थिति को सुरक्षित किया है और यदि कोई अन्य इस उपलब्धि को हासिल करने में सक्षम नहीं है, तो उन्हें सरकारी कर्मचारी से जलन क्यों हो रही है? अगर हम प्रदर्शन के बारे में बात कर रहे हैं, तो सरकार निजी कंपनियों की तर्ज पर प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणाली पर विचार कर सकती है।। लेकिन, यह वेतन वृद्धि इन कर्मचारियों के लिए एक तरह का अधिकार है और इसे उत्तरदायित्व और जिम्मेदारी जैसी चीजों के साथ मिश्रित नहीं किया जाना चाहिए।

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उम्मीदवार 3: केंद्र सरकार के पास कर्मचारियों के संशोधित वेतन संरचना को लागू करने का अधिकार है। यह संदेह से परे एक तथ्य है कि निजी क्षेत्र की तुलना में भारत में सरकारी कर्मचारियों को कम भुगतान किया जाता है। यदि नौकरी के लिए पर्याप्त मुआवजा नहीं है, तो वहां भ्रष्टाचार होगा। जाहिर है, कमीशन के अन्य सुझावों को सरकार द्वारा ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि वे करदाताओं के पैसे से जिन कर्मचारियों वेतन का भुगतान सरकार करते हैं तो उनके लिए कर्मचारियों की  जवाबदेही और जिम्मेदारी भी होनी चाहिए है। वर्ष के अंत में एक कर्मचारी के प्रदर्शन को देखने के लिए एक तंत्र होना चाहिए। जहां तक ​​उच्च वेतन के साथ ज़िम्मेदारियों की बात है तो इसकी कोई भी गारंटी नहीं ले सकता । इसलिए, हम सरकारी कर्मचारियों से निस्वार्थ होने की अपेक्षा नहीं कर सकते, क्योंकि यह गलत है, वे इंसान भी हैं, उनका अपना जीवन भी है, अपनी इच्छाएं हैं, उन्हें क्यों दोष देना है? क्या जैसा कि गांधी जी ने कहा, "यदि आप अन्य लोगों में परिवर्तन देखना चाहते हैं तो पहले स्वयं में करे", हमें पहले हमें निस्वार्थ रहना सीखना चाहिए अगर हम चाहते हैं कि सरकार कर्मचारियों को उनके कार्यो के लिए अधिक जिम्मेदार ठहराया जाए ।

इस सत्र के समाप्त होने के बाद, प्रत्येक उम्मीदवार को फिर से 1 मिनट दिया जाता है, यदि वह पहले चर्चा में किसी भी बिंदु को जोड़ना चाहे या अन्य उम्मीदवारों द्वारा उठाए गए किसी भी बिंदु को खारिज करना चाहता हो। हालांकि, इस दौर में बोलने के लिए अनिवार्य नहीं है।

उम्मीदवार 3: भारत एक गरीब देश है और हमारे पास ऐसे लोग हैं जो एक दिन में दो वक़्त भोजन नहीं कर सकते। फिर भी, सरकार अपने कर्मचारियों के वेतन और भत्ते पर इतना खर्च करती है ।लेकिन, यह वही कार्यबल है जो सरकार की जमीनी स्तर पर योजनाओं को लागू करने में मदद करता है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को अच्छी तरह से प्रस्तुत करता है, सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करता है, हाँ, इसमें समस्याएं हो सकती हैं लेकिन आप सभी पर दोष नहीं लगा सकते । अगर हर कोई ऐसा होता, तो यह देश ठीक से नहीं चल रहा होता। सभी को काम के लिए भुगतान किया जाता है और वही सरकारी कर्मचारियों के लिए है सबको वेतन वृद्धि मिलती है । तो, उनके लिए आलोचना क्यों ?

उम्मीदवार 2: मेरे सम्मानित मित्रों द्वारा उल्लिखित सभी बिंदुओं को सुनने के बाद, मै एक बात को इंगित करना मै चाहुगा और वह है, निजी क्षेत्र की कंपनी में आपको बिना प्रदर्शन के कभी भी वेतनवृद्धि नहीं मिलती है । क्या सरकारी कर्मचारियों के लिए ऐसा ही होता है? क्या उनके प्रदर्शन को मापने के लिए कोई तंत्र है या वे हर साल के अंत में केवल वेतन वृद्धि के हकदार हैं? अगर किसी को कुछ नहीं करने के साथ वेतनवृद्धि मिलती है, तो काम के बारे में भी चिंता क्यों करें?  उत्तरदायित्व एक ऐसी संस्कृति है जिसे संगठन में आत्मसात करने की आवश्यकता होती है और जो जवाबदेही से आती है, जो कि सरकारी विभागों में कहीं नहीं है।

अन्य दो उम्मीदवारों ने चुप रहने का फैसला किया, और इसके साथ ही, जीडी समाप्त होता है।

यह एक नमूना जीडी है जिसमें केवल 4 लोग शामिल हैं, लेकिन आपके बैच में अधिक लोग होंगे । अपनी बातों को ऐसे तरीके से आगे बढ़ाने की कोशिश करें जो व्यक्तिगत रूप से किसी व्यक्ति को चोट न दे, जैसा कि आप चर्चा में भाग ले रहे हैं न की किसी बहस में । सुनिश्चित करें कि आप या तो अंग्रेजी या हिंदी भाषा में बोल रहे हैं, हालांकि एक भाषा को बनाए रखना बेहतर है बोलने के दौरान अपने सभी साथी के साथ आंखों का संपर्क करें, क्योंकि वे आपके बोर्डरूम सहयोगी हैं ।अगर आपके पास कहने के लिए कुछ नहीं है तो चुप रहे और बेकार बात न करे ।

Jagran Josh
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Education Desk

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