विदेशी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के मिलते हैं अनेक लाभ

Mar 30, 2021, 21:01 IST

आप किसी फॉरेन यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने से पहले इस आर्टिकल में किसी फॉरेन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के प्लस प्वाइंट्स के बारे में जरुर पढ़ें.

Benefits of Graduation from a Foreign University
Benefits of Graduation from a Foreign University

भारत में भी इन दिनों यंग प्रोफेशनल्स या स्टूडेंट्स किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करना चाहते हैं. अक्सर हमारे देश के कई लोग यह सोचते हैं कि किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने पर उनके लिए कोई आकर्षक और सूटेबल जॉब हासिल करना काफी आसान हो जाएगा. दरअसल, भारत में इन दिनों कई कंपनियां किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट प्रोफेशनल्स को काफी आकर्षक सैलरी पैकेज पर जॉब ऑफर करती हैं. अब भारत के कई युवा स्टूडेंट्स अमरीका, इंग्लैंड, फ़्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जापान या जर्मनी की किसी अच्छी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के लिए अपने मनचाहे अंडरग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन लेने की भरपूर कोशिश करते हैं. इसलिए, आपके लिए इस आर्टिकल में हम किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने से मिलने वाले अनेक लाभों की चर्चा प्रस्तुत कर रहे हैं. आप इस आर्टिकल को बड़े गौर से पढ़ें:  

·         अंडर ग्रेजुएट कोर्स के लिए उपलब्ध हैं ढेरों सब्जेक्ट्स

किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से कोई मनचाहा अंडरग्रेजुएट कोर्स करने का एक महत्वपूर्ण फायदा तो यह है कि साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स की स्ट्रीम्स के लिए हरेक देशी-विदेशी यूनिवर्सिटी में विशेष सब्जेक्ट्स होते हैं. इसलिए छात्र अपना मनचाहा अंडरग्रेजुएट कोर्स करने के लिए कई विदेशी यूनिवर्सिटीज के बारे में रिसर्च कर सकते हैं और फिर जिस विदेशी यूनिवर्सिटी में उन्हें अपना मनचाहा कोर्स मिले, उस यूनिवर्सिटी में छात्र एडमिशन ले सकते हैं.

·         कम अवधि में मिलती है ग्रेजुएशन की डिग्री

अगर हमारे देश के स्टूडेंट्स अमरीका से अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करना चाहें तो भारत में 3 या 4 साल बाद ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बजाय केवल 1 साल में ही स्टूडेंट्स अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर लेंगे जिससे उनका काफी समय बच जाएगा. इससे स्टूडेंट्स की फीस और पढाई से संबंधित अन्य खर्च भी कम हो जाते हैं.

·         आसान होती है एडमिशन प्रोसेस

आमतौर पर सभी विदेशी यूनिवर्सिटीज में किसी अंडरग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन लेना, पोस्टग्रेजुएट कोर्स के बजाय ज्यादा सरल होता है. दुनिया के अधिकांश देशों की यूनिवर्सिटीज 12वीं क्लास में पास स्टूडेंट को अपने कॉलेज या यूनिवर्सिटी में विभिन्न अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में एडमिशन दे देती हैं. लेकिन, ज्यादातर विदेशी यूनिवर्सिटीज 16 वर्ष की पढ़ाई अर्थात 12वीं क्लास के बाद 4 साल के फुल टाइम अंडरग्रेजुएट कोर्स के आधार पर छात्रों को विभिन्न पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज  (खासकर किसी टेक्निकल कोर्स के लिए) में एडमिशन देती हैं.

·         लैंग्वेज स्किल्स

किसी अन्य देश में 3 – 4 साल रहकर अपनी हायर एजुकेशन हासिल करने वाले स्टूडेंट्स अक्सर उस देश की भाषा सीख लेते हैं. ऐसे स्टूडेंट्स को हिंदी, इंग्लिश और अपनी मातृभाषा के अलावा विदेशी भाषा की भी अच्छी जानकारी हो जाती है और आप उस विदेशी भाषा को उस देश में रहते हुए रोज़ाना बोलते भी हैं जिससे आपको जल्दी ही उस भाषा में महारत हासिल हो जाती है.

·         इंटरनेशनल लेवल का नेटवर्क

जब स्टूडेंट्स किसी दूसरे देश में रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं तो वे अपने देश के साथ ही अन्य किसी देश के माहौल में जीना अच्छी तरह सीख जाते हैं और विभिन्न स्वभावों और संस्कृतियों वाले अन्य स्टूडेंट्स के साथ पढ़ने और हॉस्टल रूम आदि शेयर करने के कारण विश्व स्तर पर उनका नेटवर्क और समझ विकसित हो जाते हैं जिनका फायदा उन्हें अपने पेशेवर जीवन और करियर में मिलता है क्योंकि अक्सर स्टूडेंट लाइफ की दोस्ती लोग सारी उम्र निभाते हैं. इसी तरह, विदेशी संस्कृति में अच्छी तरह रचे-बसे  स्टूडेंट्स विदेशों में भी जॉब कर लेते हैं.

·         बेहतरीन जॉब और आशाजनक करियर

अगर कैंडिडेट ने इंग्लैंड, अमरीका, फ़्रांस, जर्मनी या ऑस्ट्रेलिया से अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की हो तो इंटरनेशनल लेवल पर उस कैंडिडेट की समझ ज्यादा विकसित होती है. भारत में ऐसे कैंडिडेट्स को विभिन्न बड़ी कंपनियों और मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब्स के काफी अच्छे ऑफर मिलने लगते हैं क्योंकि आजकल भारत में भी एम्पलॉयर्स विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़े स्टूडेंट्स को उनके विश्व स्तर के माइंड-सेट के कारण अपनी कंपनी में जॉब देना चाहते हैं.

·         शिक्षा की कम लागत

भारत के बड़े शहरों में किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी या इंस्टीट्यूट से डिग्री हासिल करने की तुलना में कई विदेशी यूनिवर्सिटीज से ग्रेजुएशन की डिग्री काफी कम लागत पर प्राप्त की जा सकती है. भारत की किसी लोकप्रिय यूनिवर्सिटी या इंस्टीट्यूट से विभिन्न इंजीनियरिंग और बीबीए या एमबीए जैसे मैनेजमेंट कोर्सेज के लिए लाखों रुपये फीस में देने होते हैं जबकि एशिया और लेटिन अमरीका की कई यूनिवर्सिटीज में स्टूडेंट्स कम फीस पर विभिन्न अंडरग्रेजुएट/ पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज कर सकते हैं.

·         विदेशी संस्कृति और लाइफ स्टाइल का मिलता है अनुभव

छात्र जिस देश से अपना अंडरग्रेजुएट कोर्स करते हैं, उस देश की भाषा और संस्कृति की अच्छी जानकारी उन्हें अपने देश की संस्कृति के साथ हो जाती है. असल में, दुनिया की विभिन्न लोकप्रिय यूनिवर्सिटीज में कई देशों से स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए आते हैं इसलिए, 3 – 4 साल विदेश में अन्य देशों के स्टूडेंट्स के साथ पढ़ने से हमारे देश के स्टूडेंट्स का भी भाषाई और सांस्कृतिक दायरा बढ़ जाता है.

·         विशेष विदेशी लर्निंग एक्स्पीरिएंस

किसी फॉरेन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने पर स्टूडेंट्स को अपने एजुकेशनल और पर्सनल विकास, इंटर-कल्चरल विकास और प्रोफेशनल एक्सीलेंस के लिए कई अवसर मिलते हैं. किसी विदेशी यूनिवर्सिटी में अध्ययन करने पर स्टूडेंट्स को अपने देश से अलग यूनिवर्सिटी कल्चर, टीचिंग स्टाइल्स और करिकुलम    सहित विभिन्न विषय पढ़ने का मौका मिलता है. फिर जब स्टूडेंट्स किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करके अपने देश वापस आते हैं तो अपने व्यक्तित्व के बहुमुखी विकास के कारण उन्हें अपने देश की बड़ी कंपनियों और मल्टीनेशनल कंपनियों में बड़े अच्छे सैलरी पैकेज के साथ जॉब के बेहतरीन ऑफर मिलते हैं. अगर स्टूडेंट्स ने किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से कोई प्रोफेशनल डिग्री कोर्स किया हो तो फिर तो उनके रिज्यूम में मानों चार चांद ही लग जाते हैं अर्थात जहां कहीं भी ऐसे कैंडिडेट्स जॉब इंटरव्यू देने जाते हैं, उन्हें वह नौकरी काफी अच्छे सैलरी पैकेज के साथ अक्सर मिल जाती है.

·         वर्ल्ड टूर और ट्रेवलिंग के अवसर

किसी विदेशी यूनिवर्सिटी में 3 – 4 साल तक पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को अपने देश सहित अन्य देशों में ट्रेवलिंग के कई अवसर मिलते ही रहते हैं. बहुत वार ऐसे स्टूडेंट्स को ऐसी टॉप पोजीशन्स पर बड़ी कंपनियों में काम मिलता है कि उन्हें कारोबार के सिलसिले में भारत के विभिन्न राज्यों में ही नहीं बल्कि विदेशी दौरों पर भी अक्सर जाना पड़ता है. ऐसे में, इन पेशेवरों को अपने कारोबार के साथ अन्य देशों में सैर करने के भी अच्छे अवसर मिल जाते हैं और वह भी ऑफिशियल एक्सपेंस पर.  

टॉप इंटरनेशनल यूनिवर्सिटीज

•    हार्वर्ड यूनिवर्सिटी – अमरीका
•    मस्कट इंस्टीट्यट ऑफ़ टेक्नोलॉजी – अमरीका
•    स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी – अमरीका
•    कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी – अमरीका
•    ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी – इंग्लैंड
•    कैलिफ़ोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी – अमरीका
•    कैंब्रिज यूनिवर्सिटी – इंग्लैंड
•    कोलंबिया यूनिवर्सिटी – अमरीका
•    प्रिंसटन यूनिवर्सिटी – अमरीका
•    वाशिंगटन यूनिवर्सिटी – अमरीका

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