यहाँ हम यूपी बोर्ड के छात्रों की कुछ ऐसी समस्याओ के बारे में बात करेंगे जिसकी वजह से उन्हें अच्छे मार्क्स लाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं| हम उन समस्याओ के समाधान पर भी प्रकाश डालेंगे|
1 # शुरुआत से ही अलर्ट न रहना और आज का काम कल पे डालना:
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अक्सर ये देखा गया है, कि छात्र शुरुआत मे लापरवाही बरतते है, जैसा की हमें पता है के UP बोर्ड का सिलेबस काफी बड़ा होता है तो शुरू मे लापरवाही बरतने से ये काफी चिन्ता का करण बन सकता है,जिसके करण एक साथ परीक्षा के समय छात्रों पे अतिरिक्त बोझ हो जाता है, इसलिए हमेशा शुरू से ही तैयारी करते रहें, ऐसा करने से आखरी मे छात्रों को पर्याप्त समय मिल सकता है, जिसका उपयोग छात्र अन्य तैयारी मे दे सकते है|
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2 # पढ़े हुए चैप्टर्स का रिविज़न न करना:
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एक बार पढ़े हुए टॉपिक को रिविज़न न करना भी परीक्षा के समय परेशानी का करण बनता है, छात्रों को समय-समय मे पढ़े हुवे टॉपिक को दोहराना चाहिए,जो नही करने पे उनकी पूरी मेहनत ख़राब हो जाती है| नया पड़ने से पहले के साथ-साथ पुराना पड़ा हुआ जरूर दोहराना चाहिए अन्यथा नए टॉपिक को पड़ने के चक़्कर में आप पुराना पड़ा हुआ भी भूल सकते हैं|
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3 # चैप्टरों के टॉपिक्स को विभाजित करके पढ़ाई ना करना:
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हम वाकिफ़ है UP के सिलेबस के सिलेबस से, जिसके करण ऐसा देखा गया है कि छात्र बहुत सारी चीजों को एक साथ व एक ही दिन में पढ़ने की कोशिश करते है। ऐसा करने से बचना चाहिए। आप प्रत्येक विषय को टॉपिक में विभाजित करें और एक दिन में आप एक विषय की एक इकाई को ही धयान से पढ़े और उन इकाई से संबंधित प्रश्न का उत्तर सही तरीके में लिखने का प्रयास करें। इससे आपका आत्मविश्वास उस विषय के प्रति बढ़ेगा। यहां पर आप एक या दो चैप्टर को मिलाकर भी इकाई बना सकते हैं।
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4 # जागरूक अध्ययन ना करना:
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जागरूक अध्यन से ये मतलब है के देखा गया है के UP बोर्ड के परिणाम के अनुसार अधिकतर विद्यार्थियों को पता ही नही होता की किस तरह पढ़े और क्या पढ़े, जैसा की पहले भी ये स्पष्ट रूप से बताया है के UP बोर्ड का सिलेबस बहुत बड़ा होता है जो छात्रों की चिन्ता का करण बन जाता है| यह जरूरी नहीं कि आपको अधिक पढ़ने से ज्यादा अंक मिल जाएंगे। परीक्षा में बेहतर सफलता तभी मिलती है, जब जागरूकता के साथ अध्ययन किया जाए। इसके लिए पिछले वर्षों के प्रश्न-पत्रों की मदद ली जा सकती है। दरअसल, पाठ्य पुस्तक (टेक्सट बुक) में बहुत सी बातें जानकारी के लिए दी जाती हैं उसका परीक्षा से उतना वास्ता नहीं होता । एक जागरूक छात्र को इसकी पहचान होनी चाहिए और परीक्षा की तैयारी को मद्देनजर इस पर धयान रखना जरूरी है| हलाकि अत्यधिक छात्र ऐसा नहीं करते हैं, जिसके करण छात्र परीक्षा की तैयारी के अंतिम दिनों में क्या पढ़ें और क्या नहीं पढ़ें की स्थिति में ही पड़े रह कर और बेवजह बेहद तनाव में भी आ जाते हैं।
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5 # समय का सही तरीके से विभाजन करना ना आना:
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समय का सही तरीके से विभाजन ना करना भी एक बहुत बड़ी समस्या है, जल्द बाज़ी मे उत्तर करना या समय कम होने के करण परीक्षा मे प्रश्नों का छुटना भी बस समय के अनुसार प्रेक्टिस ना करने का करण है, जहां तक विषय की बात है तो आपके टाइम टेबिल में सभी विषयों को समान रूप से एहमियत देना जरूरी है । और हर एक प्रेक्टिस समय के अनुसार ही करें, यदि नियमित रूप से ऐसा करना शुरू करे छात्र तो उनका आधा तनाव तो अपने आप ही छूमंतर हो जाएगा। दरअसल, ऐसा कहने की वजह यह है कि परीक्षा परिणाम को बेहतर करने में किसी एक विषय की नहीं बल्कि सारे विषयों के अच्छे अंकों के कुल योग का महत्व होता है। हमेशा ऐसा देखा गया है कि कुछ बच्चे किसी एक विषय में तो बहुत अच्छा स्कोर करते हैं, जबकि दूसरे में उतना अच्छा नही कर पते। इससे उनके परीक्षा परिणाम के कुल अंक प्रतिशत पर असर पड़ता है
6 # प्रैक्टिस पेपर या सैंपल पेपर हल ना करना:
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ऐसा देखा गया है के UP बोर्ड के विद्यार्थी पुष्तक के प्रश्नों मे ही अपना पूरा समय लगा देते है जो की महत्वपूर्ण है लेकिन उसके साथ प्रक्टिस पेपर या सैंपल पेपर की मदद कम लेते है, जिसके करण परीक्षा मे आये घुमावदार प्रश्नों से परेशान हो जाते हैं | जबकि सैंपल पेपर और प्रैक्टिस पेपर ऐसे प्रश्नों से छात्रों को वाकिफ करते है | देखा गया है के कुछ छात्र कभी—कभी घर पर तो बहुत अच्छा करते हैं , लेकिन परीक्षा में जाते ही उसका आत्मविश्वास कम हो जाता है । वह कन्फयूज्ड’ होने लगते हैं। इसका एक ही समाधान है कि छात्र सैंपल पेपर से उत्तर लिखने की भरपूर प्रैक्टिस करे। फिर अपने उत्तर को टीचर से चेक भी करवाए। इससे सवाल के जवाब देने में कहां कमी रह रही है, उसका पता चलेगा और आप आसानी से सुधार कर सकेंगे। बोर्ड परीक्षा में अक्सर सवालों के जवाब स्टेप बाई स्टेप देने होते हैं। शिक्षक आपको भली—भांति बता सकता है कि एक उत्तर के विभिन्न चरण कौन—कौन से होंगे। ऐसा करने से निश्चित रूप से आपको परीक्षा में हाई स्कोरिंग करने से कोई रोक नहीं सकता।
7 # प्रश्नों को सही तरीके से लिखने का तरीका ना आना :
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प्रश्नों को सही तरीके से लिखने का तरीका ना आना एक ऐसी समस्या है, जो पूरी मेहनत पर पानी फेर देती है | UP बोर्ड मे प्रश्नों के उत्तर काफी विस्तार में लिखने होते है जिस करण छात्र सही तरीके से उत्तर नही कर पाते,कभी कभी छात्रों को सारे उत्तर पता होते हैं,प्रश्नों को अच्छे तरीके से हल करने के बावजूद कम अंक प्राप्त होते हैं | इसका बस एक ही करण होता है उत्तर को सही तरीके से ना लिखना, जैसे की हैडिंग या सब हैडिंग सही तरीके से ना देना, साफ़ ना लिखना, समय कम होने के करण लिखावट अच्छी ना होना, चित्र की कमी, ऐसी काफी चीज़े है जिन्हें छात्र नही धयान देते |
समाधान:
ऊपर अंकित UP बोर्ड छात्रों की मुलभुत समस्याएं इस प्रकार हल हो सकती हैं :
• समय का सही तरीके से विभाजन कर के पढ़ना शुरू करें|
• प्रैक्टिस पेपर या सैंपल पेपर से प्रेक्टिस करें :
• इकाई विभाजित कर के पढ़ाई करे|
• पढ़े हुए चैप्टर्स का रिविज़न करें ध्यान पूर्वक |
• जागरूक अध्ययन करे ये ध्यान रखें के क्या और कितना पढ़ना है|
• शुरुआत से ही बिना लापरवाही के अलर्ट होकर पढ़े,जिससे परीक्षा के समय तनाव से बच सकते हैं|
• सिलेबस के हिसाब से पढ़ें|
• प्रश्नों के लिखने के तरीके पे ध्यान दे
• हैण्डराइटिंग अच्छी रखें और जो लिखें साफ़ साफ़ लिखें|
• प्रश्न के उत्तर को हैडिंग और सब हैडिंग मे लिखें और जहाँ आवश्यकता हों चित्र बनाकर समझाएं|
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